कोरोना महामारी हो, रूस-यूक्रेन का युद्ध हो या फिर हर दिन घटती मार-काट की घटनाएं. सोशल मीडिया के इस दौर में लोग दिन भर बुरी खबरों से रूबरू होते हैं. मीडिया में खौफनाक और दिल दहला देने वाली सुर्खियां भी बहुत ज्यादा हो गई हैं. लेकिन नए शोध से पता चला है कि इस तरह की वेब सर्फिंग आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है. कोरोना महामारी के बाद डूमस्क्रॉलिंग के आंकड़ों में उछाल आया है.
क्या कहती है स्टडी
जर्नल हेल्थ कम्युनिकेशन में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक सर्वे में शामिल लगभग 1,100 लोगों में से 16.5% ने बताया कि उनका ज्यादातर समय "अधिक परेशान करने वाली खबरों को स्कॉल करते हुए बीतता है" इन लोगों में तनाव, चिंता का स्तर बढ़ा हुआ पाया गया.
अध्ययन के प्रमुख लेखक और टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एसोसिएट प्रोफेसर ब्रायन मैकलॉघलिन ने कहा कि 24 घंटे निगेटिव खबरें देखने की लालसा लोगों में "हाई अलर्ट की स्थिति" पैदा करती है और उन्हें दुनिया "अंधेरी और खतरनाक" लगने लगती है. लगातार निगेटिव खबरें देखने और पढ़ने की वजह से आपको हर जगह सिर्फ निगेटिविटी ही नजर आने लगती है. ऐसे लोग अपनी जिज्ञासा को कम करने के लिए चौबीसों घंटे खबर की अपडेट लेते रहते हैं. और जितना ज्यादा ये खबरों में घुसते हैं उतना ही अपनी पर्सनल लाइफ खराब करते हैं.
नकारात्मक खबरों की तलाश
इस सर्वे में शामिल लोगों में से लगभग 27.3% ने बताया कि उन्हें इन खबरों से बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता है. जबकि कुछ पाठक ऐसे भी होते हैं जो बिना किसी मनोवैज्ञानिक प्रभाव इन खबरों को पढ़ते हैं. शोधकर्ताओं का मानना है कि नकारात्मक खबरों की तलाश की आदत आपको मानसिक तनाव, डिप्रेशन, मायूसी तक पहुंचा देती है जिससे सोचने समझने की क्षमता भी प्रभावित होती है. इसलिए अब अगर कभी सोशल मीडिया के जरिए कोई निगेटिव खबर पढ़ें तो साथ ही पॉजिटिव खबरें भी पढ़ें और उन्हें दोस्तों या फिर परिवार के साथ शेयर भी करें.
क्या है "डूमस्क्रॉलिंग"
जब आप सोशल मीडिया पर लगातार निगेटिव या परेशान करने वाली खबर को स्क्रॉल करते रहते हैं तो उसे डूम सर्फिंग या डूम स्क्रोलिंग कहते हैं. परेशान करने वाली खबरों के बारे में अधिक जानकारी पाने के लिए सर्च करना आजकल आम बात हो गई है.