हर इंसान की अपनी अलग पर्सनैलिटी होती है. हालांकि, कई बार ये परिस्थिति के हिसाब से बदल जाती है. वहीं कई लोगों की पर्सनैलिटी जीवन भर एक जैसी ही रहती है. लेकिन कई रिसर्च ये कहती हैं कि हमारे व्यक्तिगत जीवन में हुई महत्वपूर्ण घटनाएं जिनसे हमें गंभीर तनाव होता है या जो हमारी मेंटल हेल्थ को प्रभावित करती है, वो पर्सनैलिटी में बदलाव का कारण बन सकती हैं. कुछ ऐसा ही कोविड-19 में लगे पैंडेमिक के दौर में हुआ है. रिसर्च से पता चला है कि कोरोना ने हमारे व्यक्तित्व पर बहुत असर डाला है, जिससे हमारी पर्सनैलिटी में काफी चेंज आया है..
महामारी से पहले लोगों के पर्सनैलिटी ट्रेट अलग थे
आपको बताते तलें कि PLOS ONE (प्लोस वन) में पब्लिश एक नई रिसर्च से पता चलता है कि कोविड महामारी ने वास्तव में हमारे व्यक्तित्व में बहुत बदलाव किए हैं. शोधकर्ताओं ने पाया कि महामारी से पहले की तुलना में 2021 और 2022 में लोग कम एक्सट्रोवर्ट (less extroverted), कम खुले (less open,), कम सहमत (less agreeable) और कम कर्तव्यनिष्ठ (less conscientious) थे.
कैसे की गई रिसर्च?
इस रिसर्च में अमेरिका के 7,000 से अधिक प्रतिभागी शामिल थे, जिनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच थी. इसमें पांच पर्सनैलिटी ट्रेट की तुलना की गई- neuroticism, extraversion, openness, agreeableness और conscientiousness. साथ ही प्री-पैंडेमिक जिसमें मई 2014 से फरवरी 2020, पैंडेमिक की शुरुआत मार्च 2020 से दिसंबर 2020 और पैंडेमिक के बाद वाले साल 2021 और 2022 को शामिल किया गया.
लोग पहले से कम एक्सट्रोवर्ट हुए हैं
गौरतलब है कि समय के साथ, हमारा व्यक्तित्व आमतौर पर इस तरह से बदलता है जो हमें उम्र बढ़ने के अनुकूल होने और जीवन की घटनाओं से अधिक प्रभावी ढंग से निपटने में मदद करता है. दूसरे शब्दों में कहें तो हम अपने जीवन के अनुभवों से सीखते हैं और यह बाद में हमारे व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं. जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं, हम आम तौर पर ज्यादा आत्मविश्वासी, सेल्फ कंट्रोल्ड और अपने इमोशंस को कंट्रोल करना सीख जाते हैं.
हालांकि, रिसर्च में सामने आया कि प्री-पैंडेमिक और 2020 के पर्सनैलिटी ट्रेट के बीच बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं था. हालांकि, शोधकर्ताओं ने महामारी से पहले की तुलना में 2021-2022 में इनमें काफी परिवर्तन पाया. लोग पहले से कम एक्सट्रोवर्ट, खुले, सहमत और कर्तव्यनिष्ठ पाए गए.