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पीरियड्स के दौरान नॉर्मल से ज्यादा ब्लीडिंग या असहनीय दर्द हो सकता है बीमारी का संकेत, यूट्रस की गांठे हो सकती हैं बड़ी वजह 

पीरियड्स के दौरान नॉर्मल से ज्यादा ब्लीडिंग या असहनीय दर्द बीमारी का संकेत हो सकता है. इसके पीछे यूट्रस की गांठे भी हो सकती हैं. इन्हें विज्ञान की भाषा में फाइब्रॉइड्स कहते हैं.

पीरियड्स पीरियड्स
हाइलाइट्स
  • पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग भी है खतरनाक

  • कई टेस्ट के जरिए कर सकते हैं इसकी जांच

कई महिलाओं को पीरियड्स के दौरान अक्सर हैवी ब्लीडिंग होती है. या फिर पीरियड साइकिल जहां बाकी महिलाओं की 5 दिन होती है, उनके केस में ये 10 दिन या 15 दिन तक भी जा सकती है. लेकिन महिलाएं इसे सीरियस नहीं लेती हैं. हालांकि, ये खतरनाक हो सकती है. इसका कारण यूट्रस की गांठ भी हो सकती हैं, जिसे विज्ञान की भाषा में फाइब्रॉइड्स (Uterine fibroids) कहते है. साल 2019 में जानी-मानी सितार वादक और संगीतकार अनुष्का शंकर ने अपनी हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी (Hysterectomy Surgery) के बारे में बताया था. जिसमें उनका यूट्रस निकाल दिया गया था. 

क्या है हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी?

दरअसल, हिस्टेरेक्टॉमी सर्जरी एक ऐसी सर्जरी है जिसमें महिलाओं की बच्चेदानी यानि यूट्रेस को ऑपरेशन के जरिए निकाल दिया जाता है. सितार वादक अनुष्का शंकर के पेट से 13 ट्यूमर निकाले गए थे. इसके बारे में अनुष्का ने ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिए बताया था. बताते चलें, हिस्टेरेक्टॉमी दुनिया में की जाने वाली सबसे आम नॉन-प्रेगनेंसी वाली सर्जरी में से एक है. हालांकि, यूट्रेस की ये गांठ कैंसर वाली नहीं होती हैं लेकिन ये दर्द और पीरियड्स के दौरान भारी ब्लीडिंग की वजह हो सकती हैं. ये फाइब्रॉइड्स एक तरह के ट्यूमर होते हैं, जो यूट्रेस के अंदर या उसकी वॉल पर होते हैं. 

कितनी भी बड़ी हो सकती हैं ये गांठें 

बताते चलें, यूट्रस में एक या एक से ज्यादा फाइब्रॉएड हो सकते हैं. वे सेब के बीज जितने छोटे या अंगूर जितने बड़े (या कभी-कभी उससे भी बड़े) हो सकते हैं. इसके अलावा ये ट्यूमर समय के साथ सिकुड़ या बढ़ भी सकते हैं. मेडिकल न्यूज टुडे के मुताबिक, फाइब्रॉएड 30 साल की उम्र से मेनोपॉज तक की उम्र में हो सकते हैं. हालांकि, मेनोपॉज के बाद ये ट्यूमर या गांठे अपने आप सिकुड़ जाती हैं. ऑफिस ऑफ विमेंस हेल्थ के अनुसार, 20% और 80% महिलाओं में 50 साल की उम्र तक फाइब्रॉएड विकसित हो जाते हैं. 

क्या होती है इसके होने की वजह?

यूं तो अभी तक भी ये क्लियर नहीं हो पाया है कि आखिर फाइब्रॉइड्स के होने की वजह क्या होती है, लेकिन कई मेडिकल रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये एस्ट्रोजेन के लेवल बढ़ने के साथ विकसित होने लगते हैं. एक और बात  कि ये यूट्रस फाइब्रॉएड लगभग हमेशा कैंसर रहित होते हैं. हालांकि, यूट्रीन सार्कोमास जो एक कैंसर की फॉर्म होती है उसके जैसे ही फाइब्रॉएड होते हैं. इस कैंसर को leiomyosarcoma कहा जाता है. 

जान लीजिए यूट्रस फाइब्रॉएड के लक्षण

दरअसल, कई महिलाएं में जीवन में कभी न कभी यूट्रस फाइब्रॉएड विकसित होते ही हैं, लेकिन उन्हें इस स्थिति के बारे में पता नहीं होता है क्योंकि उन्हें इसके कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं. ये लक्षण फाइब्रॉएड पर निर्भर करते हैं. मेयो क्लिनिक के डॉक्टरों के अनुसार, इन लक्षणों में-

-पीरियड्स के दौरान हैवी ब्लीडिंग

-जल्दी पेशाब आना

-पेडू में दर्द

-सेक्स के दौरान दर्द

-पेशाब करने में कठिनाई

-पीठ दर्द या पैर दर्द

-कब्ज

किन टेस्ट के जरिए कर सकते हैं इसकी जांच?

यूट्रस फाइब्रॉएड का पता लगाने के लिए डॉक्टर कई टेस्ट कर सकते हैं, जैसे- 

अल्ट्रासाउंड स्कैन: एक डॉक्टर पेट पर स्कैन करके या वजाइना में एक छोटी अल्ट्रासाउंड प्रोब डालकर अल्ट्रासाउंड इमेज बना सकते हैं. फाइब्रॉएड का पता लगाने के लिए दोनों तरीके अपनाए जा सकते हैं. 

एमआरआई स्कैन: एमआरआई स्कैन फाइब्रॉएड के आकार और संख्या के बारे में बताता है.

हिस्टेरोस्कोपी: हिस्टेरोस्कोपी के दौरान, डॉक्टर यूट्रस के अंदर की जांच करने के लिए कैमरे के साथ एक छोटे उपकरण का उपयोग करता है. वे डिवाइस को वजाइना के जरिए, यूट्रस में डालते हैं. अगर जरूरी होता है तो वे कैंसर सेल्स को चेक करने के लिए सैंपल भी ले सकते हैं, जिसे बायोप्सी के रूप में जाना जाता है. 

लैप्रोस्कोपी: एक डॉक्टर चेक करने के लिए लैप्रोस्कोपी भी कर सकता है. वे यूट्रस के बाहर और उसके आसपास के स्ट्रक्चर की जांच करने के लिए पेट में एक छोटे चीरे में एक छोटी, हल्की ट्यूब डालते हैं. 

क्या है इसका इलाज?

दरअसल, ज्यादातर मामलों में फाइब्रॉएड में ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है. मेनोपॉज के बाद ये गांठ अपने आप सिकुड़ जाती हैं या गायब हो जाती हैं. लेकिन अगर फाइब्रॉएड की वजह से पीरियड्स या अन्य चीजों में ज्यादा परेशानी हो रही है तो डॉक्टर इसके लिए ट्रीटमेंट कर सकते हैं. डॉक्टर आपको यूट्रस निकालने की सलाह दे सकते हैं.

(Disclaimer: यहां बताई गई सभी बातें सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.)