हम सभी ने अपने आसपास मैथ्स फीवर के बारे में सुना हैं. बच्चों के मार्क्स कम आने पर उनके मां-बाप अक्सर परेशान होने लगते हैं और उनका ट्यूशन लगवाने पर जोर देते हैं. हालांकि, बच्चे का मन पढ़ाई में ना लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. एक ऐसा ही मामला सामने आया है हैदराबाद का. जिसमें एक बच्चे का मन गणित में नहीं लगता था, दूसरे विषयों को छोड़कर उसके मार्क्स मैथ्स में कम आते थे. लेकिन जब उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया तो मेडिकेशन का बच्चे पर इतना असर हुआ कि ट्रीटमेंट के बाद उसने मैथ्स में 95% से ज्यादा स्कोर किया. दरअसल, इस पूरे केस के बारे में न्यूरोलॉजिस्ट डॉक्टर सुधीर कुमार (Dr Sudhir Kumar) ने ट्वीट करके बताया. बता दें, डॉक्टर सुधीर हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने जब एक बच्चे के दिमाग का अच्छे से टेस्ट किया तो सामने आया कि बच्चा कैलकुलेशन इंड्यूस्ड सीजर (Calculation-induced seizures) से पीड़ित था.
डॉ सुधीर कुमार ने इस पूरे मामले के बारे में GNT डिजिटल को बताया. डॉ सुधीर ने बताया कि एक 15 साल के बच्चे को उसके माता-पिता उनके पास लेकर आए. मां-बाप का कहना था कि उनका बेटा पढ़ने में अच्छा है लेकिन गणित में उसका ध्यान नहीं लगता है. तो उन्होंने बच्चे की दवाई चलवाने के लिए कहा ताकि बच्चे की मैथ्स बेहतर हो जाए. मां-बाप ने बताया कि दूसरे विषयों में बच्चे के नंबर अच्छे आते हैं लेकिन गणित में बच्चे का मन नहीं लगता. इसीलिए वे बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर आए.
ब्रेन का कुछ हिस्सा हो सकता है मिर्गी का शिकार
आगे डॉक्टर सुधीर ने बताया, “तब मैंने सबसे पहले बच्चे से बात की. उसने बताया कि उसके गणित के सारे कांसेप्ट क्लियर हैं, जब वह क्वेश्चन सोल्व करता है तब शुरुआत में कुछ दिक्कत नहीं होती लेकिन आखिर स्टेज में आते-आते बच्चे का दिमाग सुन्न हो जाता है और उसे पता नहीं चलता कि वह कहां है या क्या कर रहा है. ये 2-3 मिनट होता है और फिर नॉर्मल हो जाता है. मैंने इसके बारे में एक बार पढ़ा था. इसमें ब्रेन कुछ टाइम के लिए एपिलेप्सी (Epilepsy) या मिर्गी का शिकार हो जाता है. मुश्किल सवाल देखते ही दिमाग से एपिलेप्टिकफॉर्म डिस्चार्ज (Epileptiform discharges) निकलता है, जिसकी वजह से जो ब्रेन का मौजूदा स्टेज होता है वह काम नहीं करता है. ये वही केस था.”
बच्चे ने अच्छे से किया गणित का एग्जाम पास
डॉक्टर सुधीर आगे बताते हैं कि उन्होंने बच्चे के सारे टेस्ट करवाए, जो नॉर्मल आए. इसके बाद उन्होंने इस बीमारी के बारे में बच्चे के माता-पिता को बताया. डॉ सुधीर आगे कहते हैं, “मैंने इस बारे में उन्हें बताया कि ये बीमारी तभी ट्रिगर (Trigger) होती है जब कोई कठिन सवाल हल कर रहा होता है. इस दौरान अगर हम EEG (Electroencephalogram) करें और बच्चे को सवाल दें तो उस समय ये ऐबनॉर्मल डिस्चार्ज (Abnormal discharge) देखने को मिला. तो मेरा शक हकीकत में बदल गया. इस बीमारी को हम मेडिकल की भाषा में कैलकुलेशन इंडियुस्ड सीजर (Calculation Induced Seizure) कहते हैं. तब हमने बच्चे की दवाई शुरू की और इसका रिजल्ट पॉजिटिव निकला. बच्चे ने अच्छे से एग्जाम दिया और उसके 95% से ज्यादा मार्क्स आए.”
कैसे पता लगेगा इस बीमारी के बारे में?
हम अक्सर देखते हैं कि बच्चे पढ़ाई न करने के पीछे अलग अलग कारण बताते हैं. ऐसे में घरवालों के लिए ये समझना मुश्किल हो जाता है कि ये कोई बीमारी है या बच्चा केवल बहाने मार रहा है. इसको लेकर डॉ सुधीर ने GNT डिजिटल को बताया कि पढ़ाई में कमजोर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. डॉ सुधीर कहते हैं, “जिस बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं है उनका अपने आप पता चल जाता है. उनका किसी भी विषय में ध्यान नहीं लगेगा. लेकिन कई बार ऐसा होता है कि बच्चे को किसी एक विषय में दिक्कत आती है. हम इससे पता लगा सकते हैं कि बच्चे का मन पढ़ाई में है या नहीं. आप ऐसे में बच्चे से सवाल का कांसेप्ट भी पूछ सकते हैं. या एक ऐसा बच्चा जो शुरू से लेकर अभी तक अच्छा कर रहा था लेकिन अचानक से उसका रिजल्ट या पढ़ने से मन हटने लगा है तो ऐसे में उसे डॉक्टर से पास ले जाया जा सकता है.”
बच्चे के पढ़ाई में मन ना लगने के हो सकते हैं मेडिकल कारण
डॉक्टर सुधीर ने बच्चे के पढ़ाई में मन ना लगने के कई कारण बताए. इसके मेडिकल कारणों पर बात करते हुए डॉ सुधीर कहते हैं, “सही समय पर अगर हमें मेडिकल कारणों का पता लग जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है और बच्चा नॉर्मल हो सकता है. हमारे देश में सबसे कॉमन समस्या विटामिन-B12 की है. ये हमारे ब्रेन के फंक्शन के लिए काफी जरूरी है. शाकाहारी आहार में विटामिन-B12 की कमी होती है जबकि मांसाहारी आहार में ये भरपूर होती है. लेकिन फिर भी कुछ मांसाहारी लोगों की आंतों में एंटीबॉडी की उपस्थिति के कारण विटामिन-B12 की कमी हो सकती है. जिसके कारण बच्चे पढ़ाई में कमजोर हो सकते हैं. वहीं, दूसरी बीमारी होती है विल्सन डिजीज (Wilson disease). ये एक जेनेटिक (Genetic) बीमारी है. इसमें हमारी बॉडी से कॉपर (Copper) बाहर नहीं निकल पाता है. ये हमारे ब्रेन और हमारी आंखों में जमा हो जाता है. ऐसे में बच्चा अगर पढ़ाई में अच्छा भी होता है तो धीरे धीरे वो कमजोर होता जाएगा. इसके अलावा कुछ दिमाग के इन्फेक्शन (Brain Infections) भी होते हैं. जिसके कारण बच्चे का मन पढ़ाई में नहीं लगता है. साथ ही बच्चे को थॉयरोइड (Thyroid) की समस्या है तो उसका भी फर्क पढ़ाई पर पड़ सकता है.”
डॉक्टर सुधीर आखिर में कहते हैं कि आज बहुत जरूरी है कि मां-बाप बच्चे के साथ बैठें. उन्हें पढ़ने के लिए मोटीवेट करें और उनसे परेशानी पूछें. बच्चे के पढ़ाई में मन ना लगने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इनके बारे में पता लगाने की कोशिश करें. ये चीजें घर में सुलझाई जा सकती है. हालांकि, कुछ सीरियस लगे तो डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए.