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EXCLUSIVE: देख‍िए कोविड वॉर्ड में किस तरह हो रहा है मरीजों का इलाज

अस्पताल में फिलहाल 50 बेड्स बनाए हैं जिनमें से लगभग 32 बेड्स पर मरीजों को भर्ती किया गया है. यह सारे बेड्स सभी तरह की सुविधाओं से लैस हैं. हर एक बेड पर वेंटिलेटर, ऑक्सीजन, मॉनिटरिंग सिस्टम और हर एक जरूरी चीज की सुविधा है.

कोविड वॉर्ड कोविड वॉर्ड
हाइलाइट्स
  • अस्पताल में बच्चों के लिए अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है.

  • सभी डॉक्टर्स अपनी फैमिली से दूर रहकर यहां मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

देश में कोरोना का केहर बढ़ता जा रहा है. डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. अस्पतालों में भी अब धीरे-धीरे मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. ऐसे में जीएनटी की टीम अस्पताल का जायजा लेने के लिए सीधा ग्राउंड जीरो पर पहुंची और AIIMS (झज्जर) के कोविड/ओमिक्रॉन वार्ड पहुंचकर वहां की ग्राउंड रियलिटी का जायजा लिया. 

AIIMS (झज्जर) में ओमिक्रॉन और डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. डॉक्टरों की मानें तो यहां पर मरीज की स्थिति पहली और दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं है, लेकिन फिर भी हर रोज करीब तीन से चार मरीज भर्ती हो रहे हैं. कभी-कभी एक दिन में दस मरीज भी भर्ती किए गए थे. ऐसे में इन सभी मरीजों का इलाज करने के लिए डॉक्टर नर्सिंग स्टाफ की एक टीम भी तैयार की गई है जो दिन-रात मरीजों का ख्याल रख रही है. कोविड केयर मैनेजर कमल ने बताया कि मरीजों के डाइट चार्ट से लेकर उनके हेल्थ चार्ट तक सभी चीजों का ध्यान बड़ी ही बारीकी से रखा जा रहा है. 

अस्पताल में 50 बेड्स बनाए गए हैं

 यहां पर अस्पताल में फिलहाल 50 बेड्स बनाए हैं जिनमें से लगभग 32 बेड्स पर मरीजों को भर्ती किया गया है. यह सारे बेड्स सभी तरह की सुविधाओं से लैस हैं. हर एक बेड को वेंटिलेटर बेड की तर्ज पर बनाया गया है. इसमें ऑक्सीजन, मॉनिटरिंग सिस्टम और हर एक जरूरी चीज की सुविधा है. मरीजों का इलाज कर रही सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर खुशबू ने बताया कि ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों को बुखार की शिकायत आ रही है. हालांकि किसी भी मरीज में ज्यादा गंभीर संक्रमण नहीं है लेकिन फिर भी हम हर मरीज को बड़ी बारीकी से 24 घंटे अंडर ऑब्जर्वेशन रख रहे हैं. 

बच्चों के लिए अलग आइसोलेशन वॉर्ड 

 यहां पर बच्चों के लिए अलग से एक आइसोलेशन वॉर्ड भी बनाया गया है. हालांकि यहां पर फिलहाल केवल एक ही बच्चा भर्ती हुआ है जिसकी स्थिति अभी सामान्य है. बच्चे के पिता जितेंद्र ने बताया कि अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है लेकिन पहले जब उसे यहां पर लाया गया था, तब उसे बहुत तेज बुखार था. तीन से चार दिन होने के बाद भी बुखार उतर नहीं रहा था.  ऐसे में डॉक्टर ने सलाह दी कि उसका कोविड टेस्ट किया जाना चाहिए. टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव आते ही हम उसे यहां पर अस्पताल ले आए.  यहां पर डॉक्टर्स की पूरी टीम ने उसका बहुत अच्छे से ख्याल रखा. बच्चे को वैक्सीन की एक भी डोस नहीं लगी है.  डॉक्टर्स का कहना है कि वैसे तो बच्चों की इम्युनिटी बहुत स्ट्रांग होती है लेकिन वैक्सीन हमेशा ही एक सुरक्षा कवच के तौर पर काम करती है. 

वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी कोरोना संक्रमित

इसके बाद आज तक और जीएनटी की टीम ने उनसे बात की जो कोरोना से संक्रमित हुए और उनका इलाज यहां पर अस्पताल में चल रहा है. मीना नाम की एक पेशेंट अब पूरी तरह से ठीक हैं और उन्हें 1 दिन बाद अस्पताल से डिस्चार्ज मिलने वाला है. मीना ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्हें शुरुआत में बहुत तकलीफ हो रही थी. पहले तो उन्हें बुखार आया और उसके बाद तेज सिर दर्द होना शुरू हुआ. 2 दिन तक स्थिति में कोई सुधार नहीं आने के बाद उन्हें अस्पताल भर्ती किया गया. वो बताती हैं कि अस्पताल में डॉक्टर ने न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी हमारी काउंसलिंग करके हमारा ध्यान रखा. मीना को वैक्सीन की दोनों ही डोसेज लग चुकी है फिर भी वह कोरोना से संक्रमित हो गई. 

कोविड वॉर्ड
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डॉक्टर्स पर ज्यादा खतरा 

पहली और दूसरी लहर के बाद इस बार भी डॉक्टर्स सबसे ज्यादा इसकी चपेट में आ रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर्स के लिए यह सबसे कठिन समय है क्योंकि डेल्टा के बाद अब ओमिक्रॉन 10 गुना ज्यादा संक्रमण फैलाता है. डॉक्टर ने बताया कि ये उनके लिए बेहद मुश्किल वक्त है. सभी डॉक्टर्स अपनी फैमिली से दूर रहकर यहां पर मरीजों का इलाज कर रहे हैं. किसी के घर पर 2 साल का बच्चा है तो किसी के घर पर 60 साल के बुजुर्ग और ऐसे में परिवार के साथ रहना उनकी जान को खतरे में डालना है. इसीलिए यह डॉक्टर्स आइसोलेशन में रहकर फिर अपने परिवार से मिलते हैं. सभी डॉक्टर्स का यही कहना है कि अब मरीजों की संख्या अस्पताल में फिर से बढ़ने लग गई है. ऐसे में डॉक्टर्स ने लोगों से अपील की और कहा कि सभी लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें और जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है वह तुरंत वैक्सीन लगाएं.