आजकल ब्लड शुगर की बीमारी काफी आम हो गई है. हालांकि, इसमें अगर ख्याल न रखा जाए और ये आगे चलकर आपको काफी नुकसान पहुंचा सकती है. कंट्रोल में न होने पर इसमें किडनी और आंखों से जुड़ी समस्या हो सकती है. हालांकि, इन समस्याओं का पहले ही पता लगाया जा सकता है. लंबे समय से जो आपका ब्लड शुगर लेवल (Long-Term Sugar Level) चल रहा होता है उसे HbA1c के नाम से जाना जाता है. अब रिसर्च में सामने आया है कि इससे हम टाइप 1 डायबिटीज वाले व्यक्ति के आंख और गुर्दे की समस्याओं के जोखिम का सटीक अनुमान लगा सकते हैं. इस रिसर्च में लॉन्ग टर्म शुगर का मिनिमम लेवल बताया गया है. शोध के अनुसार, यह लेवल 53 mmol/mol (7%) से कम होना चाहिए.
डायबिटीज में छोटी ब्लड वेसल्स को होता है नुकसान
डायबिटीज में अक्सर लोगों के शरीर के अलग-अलग अंगों में छोटी ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है. हालांकि, इसका कारण किसी को नहीं पता है. लेकिन 1990 के दशक में कई रिसर्च से पता चला कि अलग ब्लड शुगर लेबल कंट्रोल में हो तो इस जोखिम को कम किया जा सकता है. हालांकि, यह साफ नहीं हुआ है कि टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों को लंबे समय तक शुगर, एचबीए1सी का लेवल क्या होना चाहिए ताकि आंखों और गुर्दे में ब्लड वेसल्स के गंभीर नुकसान से बचा जा सके.
बता दें, टाइप 1 डायबिटीज में आंखों की छोटी ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचता है. लगभग सभी रोगियों को आंखों में समस्या का सामना करते हैं. कुछ मामलों में, रेटिना में नई ब्लड वेसल्स बन जाती हैं, जिसे प्रोलिफेरेटिव रेटिनोपैथी के रूप में जाना जाता है और इससे अंधापन हो सकता है
कैसे हुई रिसर्च?
इस रिसर्च में 447 लोगों का शामिल किया गया था. ये वो लोग थे जो साल 1983 से 1987 के बीच में 35 साल से कम उम्र के थे और उन्हें टाइप 1 डायबिटीज हो गया था. इसमें 32 से 36 साल की अवधि के लिए इन रोगियों में आंखों और गुर्दे को पहुंचे नुकसान की निगरानी भी की गई.
लिंकोपिंग यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एमेरिटस और रिसर्च करने वाले हैंस अर्न्क्विस्ट कहते हैं, "हमारी रिसर्च शुगर में लंबे समय में होने वाले शुगर के लेवल को बताती है ताकि जटिलताओं से बचा जा सके. इससे कई जान बचाई जा सकती हैं.”
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