
हरियाणा के फरीदाबाद में एक महिला के दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए. ये महिला 38 साल की है. जबकि 76 साल की ब्रेन डेड महिला डोनर थी. अस्पताल का कहना है कि यह उत्तर भारत की पहली डबल हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी है. महिला को साल 2012 में बिजली की चपेट में आने के बाद दोनों हाथ गंवाने पड़े थे.
12 घंटे तक चली सर्जरी-
ट्विंकल डोगरा नाम की महिला के दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए हैं. ट्विंकल उत्तराखंड की रहने वाली हैं. यह सर्जरी 12 घंटे तक चली. अमृता अस्पताल के प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के एचओडी डॉ. मोहित शर्मा ने बताया कि लोग ज्यादातर हार्ट, किडनी या फिर लीवर ट्रांसप्लांट के बारे में ही जानते हैं, लेकिन अब दोनों हाथ ट्रांसप्लांट किए गए हैं.
करंट लगने से गंवाए थे दोनों हाथ-
पहले ट्विंकल डोगरा के दोनों हाथ सकुशल थे. साल 2010 के आसपास उनकी शादी हुई थी. लेकिन 2 साल बाद साल 2012 में उनके साथ एक हादसा हुआ, जिसमें उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए. दरअसल ट्विंकल हाइटेंशन तार की चपेट में आ गई. जिसकी वजह से उनको दोनों हाथ गंवाने पड़े.
इसके बाद उन्होंने आर्टिफिशियल हाथ लगवा लिए थे. इसके बाद भी ट्विंटल हैंड्स ट्रांसप्लांट के बारे में जानकारी हासिल करती रहती थी. इंटरनेट पर इसको लेकर नई रिसर्च की जानकारी हासिल करती थी. ट्विंकल का कहना है कि किसी जानकार ने उन्हें अमृता अस्पताल के बारे में बताया. जब ट्विंकल ने इस अस्पताल में संपर्क किया तो उनके डोनर की तलाश शुरू हुई. काफी इंतजार के बाद डोनर मिला. इसके बाद दोनों हाथों को ट्रांसप्लांट किया गया.
बहुत बड़ी उपलब्धि- डॉक्टर
डॉक्टर का कहना है कि यह मल्टी-ऑर्गन ट्रांसप्लांट भारत के मेडिकल इतिहास में एक बहुत बड़ी उपलब्धि है. हैंड ट्रांसप्लांटेशन बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसमें कई सर्जन और 20 से ज्यादा मल्टीस्पेशलिटी के एक्सपर्ट सर्जन ट्रांसप्लांट के दौरान काम करते हैं. कई कोशिकाओं के प्रकार शामिल होते हैं और त्वचा की बढ़ी हुई इम्यून प्रतिक्रिया के कारण हाई लेवल के इम्युनोसप्रेशन की आवश्यकता होती है.
एक साल से ज्यादा वक्त में काम करेंगे हाथ-
डॉक्टर ने बताया कि भले ही डोनर 76 वर्ष की थी, लेकिन गहन मेडिकल जांच में यह पाया गया कि उनके दान किए गए हर अंग एकदम सही आकार में थे. उन्होंने बताया कि ऐसे केस में डोनर ब्रेन डेड होता है. जब उनके हाथ निकाले जाते हैं तो उन्हें नकली हाथ लगाकर बॉडी परिवार को सौंपी जाती है, जिससे बॉडी खराब ना लगे. डॉक्टर ने बताया कि हाथ का जितना कम हिस्सा ट्रांसप्लांट किया जाता है, वह उतना जल्दी काम करने लगता है. इस केस में शोल्डर से ट्रांसप्लांट किया गया है तो इसे काम करने में 1 से डेढ़ साल का वक्त लगेगा.
(सचिन गौड़ की रिपोर्ट)
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