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Fastball Eeg: पहले ही लग जाएगा अल्जाइमर और डिमेंशिया का पता, Fastball Eeg हो सकती है गेम चेंजर साबित 

Fastball Eeg : फास्टबॉल एक यूनिक टेस्ट है क्योंकि इसमें रोगी को टेस्ट को समझने या कोई प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं होती है. इससे हमें कई उलझनों को दूर करने में मदद मिलती है जो पारंपरिक टेस्ट में प्रभावित कर सकती हैं.

Fastball Eeg: Fastball Eeg:
हाइलाइट्स
  • पहले ही लग जाएगा अल्जाइमर और डिमेंशिया का पता

  • गेम चेंजर हो सकती है फास्टबॉल 

किसी भी बीमारी का अगर पहले ही पता चल जाए तो उसके गंभीर होने तक उसका इलाज आसानी से हो सकता है. इसी कड़ी में अब मेडिकल इंडस्ट्री में डॉक्टर्स अल्जाइमर रोग का जल्दी पता लगाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं. अल्जाइमर रोग और डिमेंशिया का जल्दी पता लगाने में फास्टबॉल ईईजी (Fastball Eeg) मदद कर सकता है. इसके लिए बाथ और ब्रिस्टल यूनिवर्सिटी को £1.5 मिलियन / $1.9 मिलियन का ग्रांट दे दिया गया है. 

फास्टबॉल ईईजी कैसे काम करता है?
दरअसल, 'फास्टबॉल' इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (Eeg) हेडसेट का उपयोग करके मरीजों की ब्रेन वेव की जांच की जाती है. फास्टबॉल मेमोरी रिकग्निशन के दौरान जो ब्रेन वेव में बदलाव होता है उसे देखा जाता है. फास्टबॉलम में व्यक्ति को टेस्ट को समझने की जरूरत नहीं होती है.

फास्टबॉल एक यूनिक टेस्ट है क्योंकि इसमें रोगी को टेस्ट को समझने या कोई प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं होती है. इससे हमें कई उलझनों को दूर करने में मदद मिलती है जो पारंपरिक टेस्ट में प्रभावित कर सकती हैं. शिक्षा, भाषा और घबराहट जैसी चीजें किसी भी टेस्ट में किसी के प्रदर्शन को प्रभावित कर सकती हैं, और फास्टबॉल की निष्क्रिय प्रकृति इसे बायपास करने में मदद करती है. 

गेम चेंजर हो सकता है फास्टबॉल 

अगले पांच साल में, टीम ब्रिस्टल के साउथमीड अस्पताल में एक डिमेंशिया क्लिनिक में 1,000 से अधिक रोगियों पर फास्टबॉल का टेस्ट करेगी. अल्जाइमर रोग के टेस्ट के लिए ईईजी का उपयोग करने वाली ये सबसे बड़ी स्टडी होगी. स्टडी करने वाले स्टोथार्ट कहते हैं, "हमारे पास थ्योरी का प्रमाण है कि फास्टबॉल कैसे काम करता है. इसके बाद हम इसे लैब से एक क्लिनिक में ले जा रहे हैं जहां डेमेंशिया को लेकर जांच की जाएगी. इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि फास्टबॉल बड़े पैमाने पर कैसे काम करता है, और इसे कैसे बेहतर बनाया जाए.