पिछले कुछ सालों में, हेल्थकेयर सेक्टर में काफी तरक्की हुई है. इस कारण अब दुर्लभ से दुर्लभ बीमारी का भी इलाज संभव हो पा रहा है. हाल ही में, अमेरिका में भी डॉक्टर्स ने एक बहुत ही मुश्किल सर्जरी करके साबित कर दिया कि मेडिकल क्षेत्र बहुत आगे बढ़ चुका है.
दरअसल, लुईज़ियाना में एक दंपति, केन्याटा और डेरेक कोलमैन को कुछ समय पहले पता चला कि केन्याटा की गर्भ में पल रहे बच्चे के दिमाग में गैलेन मालफॉर्मेशन (वीओजीएम) की एक नस थी जो बहु दुर्लभ है और दिमाग की ब्लड वेस्लस के लिए बहुत घातक भी. इस बीमारी पर हुए अध्ययनों से पता चलता है कि वीओजीएम से पीड़ित एक-तिहाई मरीज जी नहीं पाते हैं, वहीं, एक-तिहाई न्यूरोकॉग्निटिव कॉम्प्रोमाइज से पीड़ित होते हैं, और केवल एक-तिहाई बिना किसी खास परेशानी के जीवित रहते हैं.
गर्भ में ही की गई बच्चे की सर्जरी
कोलमैन दंपति ने रिस्क के बावजूद फैसला किया कि वे हर संभव इलाज कराएंगे. बोस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल और मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में एक टीम ने गर्भ में ही भ्रूण के विकासशील ब्रेन की सर्जरी करने का फैसला किया. बच्चे की आर्टरी का पता लगाने और प्रक्रिया में मदद के लिए एक अल्ट्रासाउंड किया गया.
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के जर्नल स्ट्रोक में प्रकाशित एक केस स्टडी में इस सर्जरी के बारे में बताया गया. केन्याटा 34 सप्ताह और दो दिन की गर्भवती थीं जब सर्जरी की गई. ब्रिघम और वीमेन्स अस्पताल में मातृ-भ्रूण चिकित्सा और प्रजनन जेनेटिक्स के डिवीजन निदेशक डॉ लुईस विल्किन्स-हॉग ने डॉ डैरेन ओरबैक के साथ काम किया.
विल्किंस-हॉग ने समझाया कि उन्होंने भ्रूण को "दवा का एक छोटा इंजेक्शन दिया ताकि वह हिल न सके, और उसे दर्द से राहत के लिए भी एक छोटा इंजेक्शन भी दिया गया."
सफल रही सर्जरी
डॉक्टर्स की मेहनत रंग लाई और सर्जरी सफल रही. प्रक्रिया के बाद, बच्चे में सुधार के तत्काल लक्षण दिखाई दिए, स्कैन में प्रमुख क्षेत्रों में ब्लड प्रेशर में कमी दिखाई दी. इस बच्चे का जन्म ऑपरेशन के दो दिन बाद पैदा हुआ था, जिसका वजन 4.2 पाउंड था. लेकिन उसमें कोई जन्मजात अक्षमता नहीं थी.
केन्याटा ने सीएनएन को बताया कि जब उन्होंने पहली बार अपने बच्चे का रोना सुना तो वह उस पल इतना खुश थीं कि इस फीलिंग को बयां नहीं कर सकती हैं. डॉ. डैरेन ऑरब्रैक के अनुसार, बच्चा ठीक से डेवलप कर रहा है और उसका वजन बढ़ा रहा है, और सामान्य रूप से खा रहा है.