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Unexpected Perils of Sneezing: फेफड़े फटने से लेकर कान में परेशानी तक, हल्की सी छींक भी पहुंचा सकती है आपको अस्पताल

तेज छींकने की वजह से इंटरकोस्टल मांसपेशियों के माध्यम से फेफड़े में हर्नियेशन भी हो सकता है. इंटरकोस्टल मांसपेशियां पसलियों के बीच स्थित होती है. हर्नियेशन आमतौर पर कमजोर फेफड़ों के टिश्यू या कमजोर मसल वॉल वाले व्यक्तियों में होता है.

Sneezing (Photo: Getty Images) Sneezing (Photo: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • छींक भी पहुंचा सकती है आपको अस्पताल

  • छींक से हो सकते हैं नुकसान

छींकना बहुत ही नॉर्मल चीज है. सांस लेने वाली नली में जलन पैदा करने वाली चीजों को बाहर निकालने का एक आसान तरीका माना जाता है. हालांकि, फ्लोरिडा के एक व्यक्ति पर हल्की-सी छींक काफी भारी पड़ी है. हाल ही में पेट की सर्जरी के बाद, उस व्यक्ति को घाव के सड़ने का अनुभव हुआ. ये एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें सर्जिकल निशान अच्छे से ठीक नहीं होता है. छींक के कारण उस व्यक्ति की आंतें उसके सर्जिकल घाव में फट गईं. 

छींक आना एक साइकोलॉजिकल रिस्पांस है. ये हमारी श्वसन प्रणाली (respiratory system) को धूल (Dust), पॉलेन (Pollen) और रोगजनकों (pathogens) से बचाने का काम करता है. ये प्रक्रिया ब्रेन के मेडुला ऑबोंगटा में Sneezing Centre के सक्रिय होने से शुरू होती है. जब नेजल पैसेज में जलन का पता चलता है, तो नर्व सिग्नल इस सेंटर को भेजे जाते हैं, जिसके बाद इंसान छींकता है. 

छींक से हो सकते हैं नुकसान  

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1. पेट का फटना और घाव का फूटना

फ्लोरिडा के व्यक्ति को छींक के बाद पेट के निचले हिस्से में अचानक दर्द और गीलापन महसूस हुआ. चेक करवाने पर, उन्होंने पाया कि उनकी आंतों के कई लूप ठीक नहीं हुए बल्कि सर्जिकल घाव के माध्यम से बाहर निकल आए थे. इस स्थिति को घाव का फूटना कहा जाता है. 

2. हर्नियेशन और फेफड़ों की चोटें

तेज छींक से इंटरकोस्टल मांसपेशियों के माध्यम से फेफड़े में हर्नियेशन (Herniation) भी हो सकता है. इंटरकोस्टल मांसपेशियां पसलियों के बीच स्थित होती है. हर्नियेशन आमतौर पर कमजोर फेफड़ों के टिश्यू या कमजोर मसल वॉल वाले व्यक्तियों में होता है. ये अक्सर क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), मोटापा या डायबिटीज जैसे कारकों के कारण होता है. गंभीर मामलों में, एक तेज छींक से न्यूमोथोरैक्स हो सकता है. इसमें फेफड़े और छाती की दीवार के बीच की जगह में हवा का रिसाव होता है, जिससे फेफड़ा पूरी तरह से खराब हो जाता है.

3. ब्रेन में ब्लड वेसेल के टूट सकती हैं

कई मामलों में छींकने से सबराचोनोइड हेमरेज (subarachnoid hemorrhage) हो सकता है, जो ब्रेन में ब्लड वेसेल के टूटने की वजह से होने वाला एक तरह का स्ट्रोक है. ऐसा तब होता है जब छींक से ज्यादा दबाव पड़ जाता है और इससे ब्लड वेसेल फट जाती हैं. इसके लक्षणों में अचानक सिरदर्द, कमजोरी, या कम दिखना जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं. 

इसके अलावा, छींक के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और एओर्टिक डिसेक्शन हो सकता है. एओर्टिक दिल से शरीर के बाकी हिस्सों में खून ले जाने वाली आर्टरी है. एओर्टिक डिसेक्शन में इस आर्टरी में दरार आ जाती है. 

4. मस्कुलोस्केलेटल और दूसरी चोटें

छींकने से मस्कुलोस्केलेटल चोट भी लग सकती है. हालांकि छींक के बाद लोगों को पीठ दर्द का अनुभव होना असामान्य बात नहीं है, लेकिन कुछ मामलों में छींक के कारण चेहरे की हड्डियों, विशेष रूप से आंखों के आसपास की हड्डियों में फ्रैक्चर हो जाता है. इस प्रकार की चोट को ब्लो-आउट फ्रैक्चर के रूप में जाना जाता है. इसी तरह, छींकने के दबाव से कान की छोटी हड्डियां टूट सकती हैं, जिससे सुनने की क्षमता कम हो सकती है. 

कभी न रोकें छींक
 
छींकने से चोट लगने की संभावना को देखते हुए, कुछ लोग सोच सकते हैं कि छींक को दबाना सेफ है. हालांकि, ये और भी खतरनाक हो सकता है. छींक को रोकने से गले या श्वास नली फट सकती है.