कोरोना की पहली ओरल पिल मोलनुपिरवीर को कुछ ही दिनों के अंदर भारत में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है. मोलनुपिरवीर कोरोना संक्रमण के उपचार में उपयोगी मानी जा रही मर्क की एंटी-वायरल गोली (टैबलेट) है. सीएसआईआर के अध्यक्ष डॉ राम विश्वकर्मा ने एनडीटीवी को बताया आने वाले समय में कोरोना की दवाएं वैक्सीन से ज्यादा अहम होने वाली है. खास तौर से कोरोना होने के बाद बुजुर्गो के अस्पाताल होने की संभावना ज्यादा होती है. ऐसे में बुजुर्गो के लिए कोरोना की दवा ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती है.
मंजूरी देने के लिए ये बड़ी कंपनियां कर रही बैठक
मोलनुपिरवीर की उपलब्धता के बारे में बताते हुए डॉ राम विश्वकर्मा ने बताया कि दवा को जल्द जल्द उपलब्ध कराने के लिए पांच बड़ी कंपनियां समीक्षा बैठक कर रही हैं, और ये उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही भारत में इसे मंजूरी मिल सकती है. ब्रिटेन ने कोरोना संक्रमण के उपचार के लिए मर्क की एंटी-वायरल गोली (टैबलेट) को पहले ही मंजूरी दे दी है. इसी के साथ ब्रिटेन पहला ऐसा देश बना चुका है जिसने इस दवा को कोरोना के उपचार में प्रयोग करने की अनुमति दी है. ब्रिटेन की सरकार ने फिलहाल 18 और इससे ज्यादा उम्र के लोगों पर इस दवा के इस्तेमाल की इजाजत दी है.
फाइजर की गोली की मंजूरी मे लग सकता है कुछ समय
डॉ राम विश्वकर्मा ने बताया कि फाइजर की गोली पैक्सलोविड की मंजूरी में थोड़ा वक्त लग सकता है. उन्होनें ये कहा कि दोनों दवाओं के आ जाने से बिमारी के खिलाफ चल रही जंग में काफी मदद मिलेगी. क्योकि परिक्षण में ये साबित हो चुका है कि वैक्सीन की तुलना में दवाएं ज्यादा असरदार होती हैं. फाइजर दवा के क्लिनिकल परीक्षण में ये सामने आया है कि, इसका पैक्सलोविड कमजोर वयस्कों में अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के जोखिम को 89 प्रतिशत तक कम करता है.
कम कीमत में दवा मिलने की है उम्मीद
कीमत के बारे में डॉ विश्वकर्मा ने कहा कि " अमेरिका में मर्क वैक्सीन की लागत 700 डॉलर से बहुत कम होगी, लेकिन भारत में ये कीमत कुछ कम हो सकती है क्योंकि अमेरिका एक मंहगा देश है, और यकिनन ही भारत सरकार बल्क में दवाएं खरीदेगी, कुछ कम कीमत पर दवाएं मिल सकती है.