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गुड न्यूज! दो साल में आ सकती है Melanoma Vaccine, स्किन के सबसे खतरनाक कैंसर में होती है इसकी गिनती

मेलेनोमा एक प्रकार का स्किन कैंसर है, जो तब होता जब मेलानोसाइट्स (वो सेल्स जो स्किन को भूरा रंग देती हैं) कंट्रोल से बाहर होने लगती हैं. मेलेनोमा दूसरे कैंसर की तुलना में आम कैंसर नहीं है. ये काफी रेयर है.

Melanoma Vaccine Melanoma Vaccine
हाइलाइट्स
  • आशाजनक दिखे हैं परिणाम 

  • 2025 तक किया जा सकता है लॉन्च 

हजारों लोग हर साल स्किन कैंसर की बीमारी से जूझते हैं, लेकिन कुछ समय में इसका इलाज संभव हो सकेगा. हाल ही में एक इंटरव्यू में, मॉडर्ना के सीईओ, स्टीफन बैंसेल ने बताया कि अगले दो साल के मेलेनोमा वैक्सीन लॉन्च की जा सकती है. इसकी मदद से सबसे खतरनाक तरीके के स्किन कैंसर से निपटा जा सकता है.  

बता दें, वैश्विक स्तर पर, 2020 में 325,000 नए मेलेनोमा मामले और 57,000 मौतें दर्ज की गईं थीं. इस वैक्सीन से इन सभी मामलों को कम किया जा सकेगा. 

क्या है मेलेनोमा कैंसर? 

मेलेनोमा एक प्रकार का स्किन कैंसर है, जो तब होता जब मेलानोसाइट्स (वो सेल्स जो स्किन को भूरा रंग देती हैं) कंट्रोल से बाहर होने लगती हैं. मेलेनोमा दूसरे कैंसर की तुलना में काफी आम नहीं है. लेकिन मेलेनोमा काफी खतरनाक है क्योंकि अगर समय रहते इसका पता नहीं लगाया गया और इसका इलाज नहीं किया गया तो इसके शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने की संभावना बहुत ज्यादा होती है.

स्किन कैंसर कहां से शुरू होता है? 

ज्यादातर स्किन कैंसर स्किन की ऊपरी परत, जिसे एपिडर्मिस कहते हैं, में शुरू होते हैं. इस परत में 3 तरह की सेल्स होती हैं-

स्क्वैमस सेल्स: ये एपिडर्मिस के ऊपरी (बाहरी) भाग में चपटी सेल्स होती हैं, जो नई सेल्स बनने के साथ लगातार झड़ती रहती हैं.

बेसल सेल्स: ये सेल्स एपिडर्मिस के निचले भाग में होती हैं, जिन्हें बेसल सेल लेयर कहा जाता है. ये सेल्स स्किन की सतह से घिसने वाली स्क्वैमस सेल्स की जगह लेने के लिए लगातार अलग-अलग होकर नई सेल्स बनाती हैं. जैसे-जैसे ये सेल्स एपिडर्मिस में ऊपर की ओर बढ़ती हैं, वे चपटी हो जाती हैं और आखिर में स्क्वैमस सेल्स बन जाती हैं.

मेलानोसाइट्स: ये वे सेल्स हैं जो मेलेनोमा बन सकती हैं. वे आम तौर पर मेलेनिन नाम का एक भूरा पिग्मेंट बनती हैं, जो स्किन को उसका भूरा रंग देता है. मेलेनिन स्किन की गहरी परतों को सूरज के कुछ हानिकारक प्रभावों से बचाता है.

2025 तक किया जा सकता है लॉन्च 

इस स्टडी को करने वाले रिसर्चर कहते हैं, “हमें लगता है कि कुछ देशों में प्रोडक्ट को 2025 तक लॉन्च किया जा सकता है." उन्होंने आगे कहा कि पारंपरिक टीकों से खुद को अलग करते हुए, मॉडर्ना जैसे मेडिकल टीकों का उद्देश्य बीमारियों को रोकने के बजाय उनका इलाज करना है. इन टीकों को "इम्यूनोथेरेपी 2.0" कहा जाता है. 

आशाजनक दिखे हैं परिणाम 

मॉडर्ना के हालिया क्लिनिकल ट्रायल रिजल्ट में आशाजनक परिणाम दिखे हैं. मेलेनोमा के लिए की गई इस स्टडी में 157 व्यक्तियों को शामिल किया गया था. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन और यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी दोनों ने मेलेनोमा के खिलाफ लड़ाई में इसके संभावित प्रभाव को पहचानते हुए, इस आशाजनक थेरेपी रिव्यू करने की प्रक्रिया में तेजी ला दी है।