हर साल करोड़ों लोगों को चिकन पॉक्स का संक्रमण होता है. आज के समय में तो ये थोड़े समय के बाद ही ठीक हो जाता है लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. 19वीं शताब्दी में इसके चपेट में आने के कारण बहुत से लोगों की मृत्यु हो जाती थी. गूगल ने आज उस जापानी वायरोलॉजिस्ट का डूडल बनाया है जिन्होंने हमें इस समस्या से निजात दिलाई. ये और कोई नहीं, जापानी वायरोलॉजिस्ट डॉ. मिचियाकी ताकाहाशी हैं जिन्होंने चिकनपॉक्स के खिलाफ पहला टीका बनाया था. जापान के कलाकार तात्सुरो किउची ने गूगल का आज का ये खास डूडल बनाया है.
बेटे को हुआ था चिकनपॉक्स
मिचियाकी ताकाहाशी का जन्म आज ही के दिन 1928 में जापान के ओसाका में हुआ था. उन्होंने ओसाका विश्वविद्यालय से अपनी चिकित्सा की डिग्री हासिल की और 1959 में ओसाका विश्वविद्यालय के माइक्रोबियल रोग अनुसंधान संस्थान में शामिल हो गए. खसरा और पोलियो वायरस का अध्ययन करने के बाद, डॉ ताकाहाशी ने 1963 में संयुक्त राज्य अमेरिका के बायलर कॉलेज में एक रिसर्च फेलोशिप स्वीकार की. इस समय के दौरान उनके बेटे को गंभीर रुप से चिकन पॉक्स हो गया, जिससे उन्हें इस अत्यधिक संक्रामक बीमारी का मुकाबला करने की दिशा में मदद मिली.
1974 में बनाया पहला टीका
डॉ. ताकाहाशी 1965 में जापान लौट आए और जानवरों और इंसानों में जीवित लेकिन कमजोर चिकनपॉक्स वायरस डालना शुरू किया. केवल पांच साल के बाद, उनका टीका नैदानिक परीक्षणों के लिए तैयार था. 1974 में, डॉ. ताकाहाशी ने चेचक का कारण बनने वाले वैरिकाला वायरस को लक्षित करने वाला पहला टीका विकसित किया था. बाद में इसे इम्यूनोसप्रेस्ड रोगियों के साथ कठोर शोध के अधीन किया गया और यह अत्यंत प्रभावी साबित हुआ.
टीके का 80 से अधिक देशों में किया गया उपयोग
1986 में, ओसाका विश्वविद्यालय के माइक्रोबियल रोगों के रिसर्च फाउंडेशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित एकमात्र वैरिकाला वैक्सीन के रूप में जापान में रोलआउट शुरू किया. डॉ. ताकाहाशी के जीवन रक्षक टीके का जल्द ही 80 से अधिक देशों में उपयोग किया गया. 1994 में, उन्हें ओसाका विश्वविद्यालय के माइक्रोबियल रोग अध्ययन समूह का निदेशक नियुक्त किया गया. उनके बनाए गए टीके की मदद से, हर साल चिकनपॉक्स के लाखों मामलों को रोका जाता है.