गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (GIMS) ने दिल्ली में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) से हरी झंडी मिलने के बाद ड्रोन से ब्लड बैग डिलीवरी का ट्रायल रन शुरू किया है. टेस्टिंग के दौरान, ICMR और GIMS, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज (LHMC), नई दिल्ली और जेपी इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (JIIT) के साथ, छह महीने की अवधि के लिए ड्रोन से डिलीवर होने वाले ब्लड सैंपल्स की स्टडी करेंगे.
साथ ही, संस्थान एक तुलनात्मक अध्ययन भी करेगा कि ड्रोन द्वारा डिलीवर किए जाने वाली ब्लड की गुणवत्ता कैसी है और दूर-दराज की जगहों पर समय से पहुंचने के लिए पुराने तरीकों को अपनाने में क्या चुनौतियां है.
10 मई को हुआ एक ट्रायल
GIMS के निदेशक प्रोफेसर राकेश गुप्ता ने कहा कि यह एक पाथ-ब्रेकिंग स्टडी होगी. उन्होंने कहा, "स्टडी के दौरान, एलएचएमसी और जीआईएमएस ब्लड बैग्स की आपूर्ति करेंगे और टेस्ट करेंगे, जबकि जेआईआईटी ड्रोन सॉर्टियों के लिए कार्यान्वयन केंद्र के रूप में कार्य करेगा." इस अध्ययन के दौरान पैक्ड लाल रक्त कोशिकाओं, फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा और प्लेटलेट्स की गुणवत्ता को मान्य करने के लिए संस्थान आगे ड्रोन फ्लाइट्स संचालित करेंगे.
10 मई को, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने 40 मिनट के लिए ड्रोन तकनीक का उपयोग करके पूरे ब्लड सैंपल्स की 10 यूनिट डिलीवर करने के लिए उड़ाया. दिल्ली के एलएचएमसी से नोएडा में जीआईएमएस तक ब्लड सैंपल्स के समान सेट को ले जाने में एक एम्बुलेंस भी इतना ही समय लेती है.
महामारी के दौरान इस्तेमाल हुआ था i-Drone
परीक्षण में इस्तेमाल किया गया 'आई-ड्रोन' पहली बार महामारी के दौरान दुरगामी क्षेत्रों में टीकों के वितरण के लिए इस्तेमाल किया गया था. आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा कि ड्रोन आधारित रक्त की डिलीवरी लास्ट-माइल डिलीवरी के समय को कम कर देगी. ICMR स्वास्थ्य संबंधी उद्देश्यों के लिए ड्रोन का उपयोग करने में अग्रणी रहा है और उसने मणिपुर और नागालैंड को चिकित्सा आपूर्ति, टीकों और दवाओं का सफलतापूर्वक वितरण किया है.