भारत में आज बहुत सी महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं और इस बीमारी से लड़ना बिल्कुल भी आसान नहीं है. क्योंकि ब्रेस्ट कैंसर के इलाज के दौरान कीमोथेरेपी के कारण महिलाएं अपने बाल तक खो देती हैं. बाल हर एक महिला के लिए उनकी पहचान का हिस्सा होते हैं और अपने बालों को इस तरह खो देना बिल्कुल भी सहज नहीं है. इन महिलाओं को सपोर्ट करने और उनकी लड़ाई में उनकी हिम्मत बढ़ाने का काम कर रहा है Hair for Hope India संगठन.
साल 2013 में इस संगठन को प्रेमी मैथ्यू ने शुरू किया था. क्योंकि वह खुद स्तन कैंसर से जूझ चुकी थीं. उन्हें पता था कि यह कितना मुश्किल और चुनौतीपूर्ण है. उनका इलाज पूरा हो ही रहा था जब उन्हें पता चला कि उनका छह साल का भतीजा भी इस लड़ाई में उनके साथ है. दरअसल उनके भतीजे ने काफी समय तक बाल नहीं कटवाए और अपने बालों को कैंसर के रोगियों के लिए विग बनाने वाली यूनिट को दान किया. उसकी इस कोशिश ने प्रेमी को साहस दिया कि वह इस राह पर आगे बढ़ें.
शुरू कर दिया ग्लोबल मुवमेंट
प्रेमी की छोटी सी कोशिश आज एक ग्लोबल आंदोलन बन चुकी है. वह न सिर्फ बाल दान करने के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं बल्कि इस दिशा में भी काम कर रही हैं कि कैंसर का शुरुआती स्टेज में ही पता चल जाए. उनके संगठन से आज 55,000 से ज्यादा लोग जुड़े हैं. सबसे दिलचस्प बात यह है कि उनके इस काम को आगे ले जाने वालों में ज्यादातर बच्चे और युवा हैं.
हेयर फॉर होप इंडिया का नेतृत्व बाल डोनेट करने वाले लोग करते हैं और इनमें तीन साल की उम्र के बच्चों से लेकर बड़े लोग भी शामिल हैं. बालों को दान करने से पहले कम से कम 12 इंच तक बढ़ाया जाता है. योर स्टोरी की रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चे उनके साथ सिर्फ हेयर डोनेशन के लिए नहीं जुड़े हैं बल्कि उनकी पहल- प्रोटेक्ट योर मॉम (PYM) को भी सपोर्ट कर रहे हैं. यह पहल आज इंटरनेशनल बन चुकी है जिसके तहत बच्चे अपना मां की सेहत को बेहतर रखने में भूमिका निभा रहे हैं. जैसे बच्चे अपना मांओं को हर महीने सेल्फ-एग्जामिन के माध्यम से गांठ और स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षणों की जांच करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.
बच्चे बन रहे मां के रक्षक
प्रोटेक्ट योर मॉम के तहत विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमें ब्रेस्ट कैंसर के बारे में बच्चों और युवाओं को जागरूक किया जाता है. साथ ही, प्रेमी ने दान किए गए बालों को विग में बदलने के लिए 60 से अधिक एनजीओ को प्रशिक्षित किया है, जिसे वे कैंसर रोगियों को मुफ्त में देते हैं.
कैंसर के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व कर रहे युवा चैंपियन आदित्य सिंह आठ साल के थे, जब उन्होंने अपनी मां पर गांठ और कैंसर के अन्य लक्षणों की जांच के लिए जोर देना शुरू किया. कैंसर से अपनी दादी को खोने के बाद, आदित्य अपने तरीके से मां का ख्याल रखने लगे. यहां तक कि आदित्य ने अपनी मां के साथ डील की कि अगर वह रेगुलर चेकअप कराएंगी तो आदित्य पढ़ाई में हमेशा अच्छा करेंगे. साल 2022 में आदित्य PYM के ब्रांड एंबेसडर बने. इसी तरह भिलाई, छत्तीसगढ़ की सोलह वर्षीय रितिशा सिंह, 2022 में भारत में PYM की निदेशक बनीं.
रितिशा ने महामारी के दौरान छात्रों को शिक्षित करने के लिए एक ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें उन्होंने अपनी मांओं को सेल्फ-एग्जामिन करने के लिए प्रेरित किया, और अपने पड़ोस के मॉल में एक कट-ए-थॉन आयोजित किया, जहां 25 लोगों ने अपने बाल दान किए. पिछले साल जून में, हेयर फॉर होप के ग्लोबल कट-ए-थॉन में 13 भारतीय राज्यों के 26 लाइव स्थानों पर 475 लोगों ने बाल दान किए थे. आज बहुत से बच्चे इस अभियान से जुड़कर अपनी मां के लिए रक्षक बन रहे हैं. क्योंकि कैंसर का अर्ली डिटेक्शन महिलाओं को बहुत से शारीरिक और मानसिक आघातों से बचा सकता है.