उत्तर प्रदेश में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के लिए नए सिरे से निर्देश जारी किए गए हैं. जिसके तहत सरकारी अस्पतालों के OPD और दवा वितरण काउंटर पर CCTV कैमरे लगाए जाएंगे. अब राज्य के कंट्रोल रूम से इन पर नज़र रखी जाएगी. साथ ही अस्पतालों में दवा की अनुपलब्धता होने पर डॉक्टर जन औषधि केंद्रों में मिलने वाली दवा ही लिख पाएंगे. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने ये निर्देश देते हुए यूपी के स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक को पत्र लिखा है.
अस्पतालों में काफी खामियां पाई गईं
दरअसल, यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक जिनके पास स्वास्थ्य विभाग की ज़िम्मेदारी है लगातार कुछ दिनों से अस्पतालों का औचक निरीक्षण कर रहे थे. इसमें लखनऊ के वे अस्पताल भी शामिल हैं जहां दूर-दूर से लोग इलाज कराने आते हैं. अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य के पत्र में इस बात को साफ़ लिखा गया है कि डिप्टी सीएम के दौरे और निरीक्षण में "अस्पतालों में काफ़ी ख़ामियां पाई गईं." अब उन ख़ामियों को दुरुस्त करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. इसमें कहा गया है कि सभी सरकारी अस्पतालों में साफ़ पीने के पानी की व्यवस्था की जाए.
अस्पतालों में स्वच्छ पेयजल होना चाहिए
हालांकि, अस्पतालों में साफ पानी की व्यवस्था पहले से ही होनी चाहिए पर डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने अपने औचक निरीक्षण में कई अस्पतालों के नल खोलकर पानी पिया तो उसमें साफ़ पानी नहीं मिला. अब ये निर्देश दिया गया है कि अस्पतालों में स्वच्छ पेयजल के लिए वॉटर कूलर, वॉटर फिल्टर बिल्कुल सही स्थिति में होने चाहिए. ये भी निर्देश दिया गया है कि अस्पताल में जांच के लिए सभी मशीनें ठीक से काम करें. इसके लिए इसका रखरखाव सुनिश्चित किया जाना चाहिए. डीजी हेल्थ को लिखे इस पत्र में स्पष्ट लिखा है कि 'अपरिहार्य स्थिति में ही कोई जांच बाहर से कराई जाए.'
डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित हो
डिप्टी सीएम बृजेश के औचक निरीक्षण में एक ये बात भी सामने आई थी कि अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मरीज़ों को गर्मी में डॉक्टर का इंतज़ार करना पड़ता है. उसके लिए ये कहा गया है कि सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC/PHC) में डॉक्टरों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर का नाम और मोबाइल नम्बर बाहर बोर्ड पर दर्ज़ किया जाए.
जन औषधि केंद्र में मिलने वाली दवा ही लिखी जाए
ये भी निर्देश दिया गया है कि अस्पतालों में दवाई न होने पर ‘जन औषधि केंद्र’ में मिलने वाली दवा ही लिखी जाए. दरअसल, इस बात की शिकायत सामने आती रही है कि सरकारी ज़िला अस्पतालों में डॉक्टर ऐसी दवा लिखते हैं जो बाहर से ख़रीदनी पड़ती है. ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग पर महंगी दवाओं का बोझ पड़ता है. अब ये स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अस्पतालों में अगर कोई दवा नहीं है तो जन औषधि केंद्र में उपलब्ध दवा ही डॉक्टर लिख पाएंगे. इसके साथ ही सभी ज़िला अस्पतालों को नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड (NQAS) से प्रमाणित कराए जाने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं. जानकारी के अनुसार, अस्पतालों के NQAS प्रमाण की जांच के लिए अलग से भी मॉनिटरिंग की जाएगी.
डिप्टी सीएम की कई तस्वीरें भी वायरल हुई थीं
गौरतलब है कि यूपी में सरकार बनने के बाद से ही डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य और चिकित्सा विभाग की ज़िम्मेदारी सम्भाल रहे बृजेश पाठक ने अस्पतालों का औचक निरीक्षण शुरू किया था. उनकी मरीज़ों से बात करते कई तस्वीरें भी वायरल हुई थीं. कहा जा रहा है कि उनके निरीक्षण कार्यक्रम को देखते हुए आम लोगों ने भी उनके सम्पर्क किया और स्वास्थ्य सेवाओं और अस्पतालों की स्थिति को लेकर अपनी बात रखी. डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने जो ख़ामियां ढूंढीं उनको लेकर अब नए निर्देश दिए गए हैं. जानकारी के अनुसार इनकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी.