कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकार वैक्सीनेशन अभियान में तेजी लाने के हर संभव प्रयास कर रही है. पर देश की राजधानी दिल्ली में टीकाकरण का विरोध करने वालों की कमी नहीं है. कोरोना टीकाकरण को लेकर आज भी हेल्थकेयर वर्कर्स को जद्दोजहद करनी पड़ रही है. लोग आज भी वैक्सीन लेने से डर रहे हैं. यही नहीं घर-घर जाकर लोगों को वैक्सीनेशन देने वाले हेल्थ केयर वर्कर्स को ये लोग देखते ही दरवाजा बंद कर देते हैं, उनको भगा देते हैं.
इतना ही नहीं जागरुकता का अभाव इतना है कि लोग उनको गालियां तक देते हैं, उनके साथ बदसलूकी करते हैं. GNT की टीम ने इन्हीं हेल्थ केयर वर्कर्स के साथ ग्राउंड जीरो पर जाकर खुद ये जानने की कोशिश की, कि किन परिस्थितियों में इन लोगों को टीकाकरण के युद्ध में काम करना पड़ता है. पूर्वी दिल्ली हो या फिर उत्तर पूर्वी दिल्ली के तमाम ऐसे इलाके हैं जहां हेल्थकेयर वर्कर्स को हर रोज अलग-अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. यमुना खादर जैसे इलाकों में नाव में सवार होकर जब यह हेल्थकेयर वर्कर्स यमुना के आसपास इलाकों में रह रहे लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करते हैं. तो यह लोग भाग जाते हैं. सामने नहीं आते, आशा वर्कर्स को इनको पकड़कर लाना पड़ता है. जब आशा वर्कर इनको टीका के लिए समझाती है तो लोग आशा वर्कर्स को बेइज्जत करते हैं.
महिलाएं करती हैं बदसलूकी
उत्तर पूर्वी दिल्ली के मुस्तफाबाद इलाके में काम करने वाली आशा इशरत बताती है कि जब वह घर-घर जाकर लोगों को टीके के लिए समझाती हैं तो महिलाएं उनसे बदसलूकी करती हैं. उन्होंने बताया कि महिलाएं उनसे सवाल करती हैं कि आखिर उनको इस टीके के लगाने से कितने पैसे मिलेंगे. कई महिलाएं उनको भगा देती हैं. मुस्तफाबाद इलाके में आलम यह है कि आशा वर्कर्स को लोग मारने तक के लिए दौड़ पड़ते हैं. आशा वर्कर नाजमीन ने बताया एक दिन कॉलोनी के लोग उसको मारने के लिए दौड़ पड़े, जैसे-तैसे जान बचाकर वो डिस्पेंसरी पहुंची और अगले 3 दिन तक इस हादसे के कारण काम पर नहीं गयीं.
लोग गालियां देते हैं
वहीं एक आशा वर्कर शबनम ने बताया कि लोग उनको गंदी-गंदी गालियां देते हैं. फिर भी आशा वर्कर्स सब तकलीफों को दरकिनार कर वैक्सीन के बक्से को लेकर सेवा समर्पण और सेहत की उम्मीद से निकल पड़ती है. इन्हीं सवालों का उनको हर रोज सामना करना पड़ता है. पूर्वी दिल्ली की मयूर विहार डिस्पेंसरी में काम करने वाली आशा मीना बताती हैं कि वो पिछले 2 साल से अपने परिवार वालों से सही से नहीं मिली है. परिवार वालों ने एक कमरा दे रखा है जिसमें वह हर रोज रहती हैं. उनको डर है कि कहीं कोरोना हो गया तो उनके साथ पूरा परिवार इसकी चपेट में आ जायेगा. लेकिन इन सबके बीच इस आशा को दिल्लीवालों की बदसलूकी का सामना करना पड़ता है. लेकिन यह आशा हार नहीं मानती और रोज सुबह निकल पड़ती है. दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में घर-घर जाकर लोगों को वैक्सीन देने के लिए.
हेल्थकेयर वर्कर्स को घेर लेते हैं लोग
पूर्वी दिल्ली के डिस्टिक मजिस्ट्रेट सोनिका सिंह की माने तो हर रोज उन्हें हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ मीटिंग करनी पड़ती है. उनकी इन परेशानियों को सुनकर तकलीफ होती है. सोनिका सिंह ने बताया कि आशावर्कर टीकाकरण अभियान के सूत्रधार है. बगैर उनके इस सपने को पूरा नहीं किया जा सकता. पूरी डिस्ट्रिक्ट टीकाकरण की इंचार्ज एसडीएम पूनम प्रकाश बताती हैं कि आशा वर्कर जब थक हार जाती हैं तब उनके पास अपनी परेशानियां लेकर पहुंचती है. जिसके बाद पूनम उनको समझती हैं. उन इलाकों में एनजीओ के साथ मिलकर काउंसलिंग करवाती हैं. तब जाकर के लोग आगे आते हैं.
पूर्वी दिल्ली के ही एडीशनल डिस्टिक मजिस्ट्रेट पुनीत पटेल बताते हैं कि कई ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जिसमें आशा वर्कर और हेल्थकेयर वर्कर्स को लोग घेर लेते हैं. उस दौरान उन लोगों को लोकल एनजीओ और अमन कमेटी के लोगों की मदद से बाहर निकाला जाता है. यही वजह है कि कई इलाकों में वैक्सीनेशन बहुत देरी से शुरू हुआ. आज भी कई जगह परेशानियां आती हैं जिनसे हम निपटते हैं.
(रिपोर्ट सुशांत मेहरा)