मेडिकल साइंस की दुनिया में पिछले कुछ समय में तेजी से बदलाव आया है. इसी बदलाव की वजह से गंभीर से गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को राहत देना संभव हुआ है. ऐसे ही नए बदलाव से 74 साल के इंद्रपाल सिंह को दिल की सौगात मिली है.
इंद्रपाल सिंह की बीमारी और उनका इलाज आसान बिल्कुल नहीं था. इसकी बड़ी वजह उनका दिल ही था. जो बाएं के बदले शरीर में दाहिनी तरफ था. मेडिकल लाइन में इसे डेक्सट्रोकॉर्डिया कहते हैं. लाखों में कोई एक ऐसा होता है, जिसका दिल शरीर के बाएं हिस्से के बदले दाहिने हिस्से में धड़कता होगा. लेकिन यही फर्क एक दिन इंद्रपाल सिंह के लिए परेशानी का सबब बन गया. जिनके धड़कते दिल ने साथ देना कम कर दिया, सांस लेने में दिक्कत हुई तो अस्पताल की दौड़ शुरू हो गई.
इंद्रपाल सिंह का मेडिकल चेकअप हुआ तो पाया गया कि उन्हे ''ईवोटिक्स स्टेनोसिस'' नाम की बीमारी है. इस बीमारी में ईवोटिकवाल में कैल्शियम जम जाता है. दाहिने तरफ हार्ट होने की वजह से इंद्रपाल सिंह का इलाज करना बड़ा मुश्किल था. लेकिन डॉक्टरों की टीम ने टीएवीआर की जटिल प्रक्रिया को अंजाम दिया. मेडिकल के इतिहास में इससे पहले अमेरिका में तीन लोगों का इलाज संभव हो पाया है, लेकिन भारत के लिए ये पहला मामला है, जहां डॉक्टरों को ऑपरेशन में सफलता मिली, दिल की बीमारी से जूझ रहे इंद्रपाल को नई जिंदगी मिली.
क्या है टीएवीआर?
ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट या ट्रांस कैथेटर महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन को टीएवीआर कहते हैं. टीएवीआर उन रोगियों के लिए एक सबसे बेहतर उपचार है जो ओपन-हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी से गुजरने के इच्छुक नहीं हैं. यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जो ऊरु धमनी (कमर में बड़ी धमनी) के माध्यम से डाली गई कैथेटर या ट्यूब के माध्यम से एक प्रतिस्थापन वाल्व रखकर पुराने, क्षतिग्रस्त वाल्व को हटाए बिना महाधमनी हृदय वाल्व को ठीक करती है. यह प्रक्रिया पहले से विफल बायो प्रोस्थेटिक वाल्व वाले रोगियों के इलाज के लिए भी फायदेमंद है, इस प्रकार, किसी भी बड़ी सर्जरी से बचा जाता है. इसका उपयोग बहुत बुजुर्गों या गंभीर सह-रुग्णता वाले लोगों के लिए किया जाता है जो सर्जरी को जटिल या जोखिम भरा बनाते हैं.