
आज कल दिल से जुड़ी बीमारियां काफी ज्यादा बढ़ गई हैं, और इसकी रोकथाम के लिए वैज्ञानिक भी तरह -तरह की तकनीक की खोज में लगे हुए हैं. इन खोजों के पीछे वैज्ञानिकों की कोशिश हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं का ट्रिटमेंट करके इन्हें दोबारा से जिवित करना है. अब ऐसा ही एक परीक्षण चूहों पर किया गया है. अगर ये परीक्षण मनुष्यों पर भी कारगर हो जाता है तो मुमकिन है उन लोगों को बचाना आसान हो जाएगा जिन्हें दिल का दौरा पड़ा है.
चूहों पर किए गए इस प्रयोग में एक सिंथेटिक मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (mRNA) का इस्तेमाल किया गया है. इस तकनीक में एमआरएनए डीएनए अनुक्रमों का एक 'ब्लूप्रिंट' बनाता है जिसे शरीर प्रोटीन बनाने के लिए वहां पर इस्तेमाल करता है जहां पर प्रोटीन हमारी कोशिकाओं को बनाती और नियंत्रित करती हैं. वैज्ञानिक के ऐसा करने का मकसद एमआरएनए में बदलाव करके अलग-अलग जैविक प्रक्रियाओं के लिए अलग-अलग निर्देश देना है.
यहां पर मैसेज या निर्देश दो तरह से पैदा होते हैं. पहला स्टेमिन और दूसरा YAP5SA के जरिए, ये दोनों ही हार्मोन दोनों ही हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं (कार्डियोमायोसाइट्स) को एक्टिव कर देते हैं. इसका मकसद हृदय की उन मांसपेशियों को जिवित करना है जिसे दोबारा जिवित होने की क्षमता कम होती है, लेकिन ये स्टेम कोशिकाओं की तरह ज्यादा समय तक जिवित रह सकती हैं. ऐसा करके वैज्ञानिकों की कोशिश इन कोशिकाओं को बिल्कुल नई कोशिकाओं की शक्ल देना होगा.
इस सिलसिले में टेक्सास में ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी रॉबर्ट श्वार्ट्ज का कहना है कि " अभी तक इस तरह का कोई ऑपरेशन नहीं हुआ है. लेकिन अगर ऐसा हो जाता है तो ये एक चमत्कार होगा. साइंस की मानें तो हृदय की मांसपेशी कोशिकाओं के दोबारा जिवित होने के चासेंज 1 प्रतिशत से भी कम होते हैं.
चूहों पर किए गए इस प्रयोग में टिशू कल्चर और जिवित चूहों का इस्तेमाल किया गया है, इन चूहों में YAP5SA एक गेम चेंजर की तरह काम करता पाया गया. इस प्रयोग में दिल की बीमारी से जूझ रहे चूहे में म्यूटेशन देखा गया, और इंजेक्शन के 24 घंटों में ही मायोसाइट (दिल में पाया जाने वाला एक सेल) में सुधार 15 गुना तक दिखाई दिया.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोशिकाओं में जोड़ा गया सिंथेटिक एमआरएनए कुछ दिनों में गायब हो गया, और ये बिल्कुल नैचुरल है, यह नई तकनीक जीन थेरेपी प्रक्रियाओं के मामले में भी काफी फायदेमंद साबित होगी, जिसे अब तक आसानी से रोका या हटाया नहीं जा सका है.
लेकिन अभी ये देखना बाकी है कि क्या ये प्रयोग इंसानों में भी उतना ही कारगर होगा. इसके लिए पूरी टीम काम कर रही है. वैज्ञानिक दिल की बीमारी और दिल की चोट लगने पर शरीर कैसा रिस्पॉस देता है और इसे कैसे सुधारा जा सकता है इसपर भी काम कर रहे हैं. कुल मिलाकर हृदय रोग पर रिसर्च वैज्ञानिकों की प्राथमिकता बनी हुई है. बता दें कि कुल होने वाली मौतों में दिल की बीमारी से होने वाली मौतें कुल एक चौथाई हैं, और ये परेशान करने वाले हैं.
ह्यूस्टन विश्वविद्यालय के जीवविज्ञानी सियू जिओ कहते हैं, "यह प्रयोग हृदय के पुनर्जनन के लिए एक बहुत बड़ा अध्ययन है, खासतौर से स्टेमिन और YAP5SA की मदद से mRNA का इस्तेमाल करने की स्मार्ट रणनीति को देखते हुए जिस तरह से काम हो रहा है इससे हमें बहुत उम्मीद है.