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फिर से स्कूल जाने के लिए माता-पिता को मानसिक तौर पर करना होगा बच्चों को तैयार

लगभग 18 महीने बाद एक बार फिर स्कूल खोले जा रहे हैं. हालांकि, हर कोई इस फैसले से सहमत नहीं है. कुछ माता-पिता ने इस फैसले का स्वागत किया है तो कुछ अभी भी कोरोना की तीसरी लहर के संदेह में हैं. लेकिन फिलहाल इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि इतने महीनों तक घरों में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों को कैसे स्कूल के लिए तैयार किया जाए.

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हाइलाइट्स
  • हाइब्रिड मॉडल में काम कर रहे हैं स्कूल

  • माता-पिता और शिक्षकों की बढ़ी ज़िम्मेदारियां

जैसे-जैसे देश में कोरोना के मामलों की संख्या कम हो रही है, वैसे-वैसे ज़िंदगी फिर से सामान्य होने लगी है. लगभग 18 महीने बाद एक बार फिर स्कूल खोले जा रहे हैं. हालांकि, हर कोई इस फैसले से सहमत नहीं है. कुछ माता-पिता ने इस फैसले का स्वागत किया है तो कुछ अभी भी कोरोना की तीसरी लहर के संदेह में हैं. 

लेकिन फिलहाल इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि इतने महीनों तक घरों में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों को कैसे स्कूल के लिए तैयार किया जाए. छोटी कक्षाओं के बहुत से बच्चों ने अभी तक स्कूल देखा ही नहीं है. क्योंकि उनका दाखिला ही कोरोना काल में हुआ. 

ऐसे में, यह और भी जरुरी हो जाता है कई बच्चों को स्कूल के लिए तैयार किया जाए. ताकि वे खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखें और साथ ही, तनावमुक्त रहकर अपनी शिक्षा पर फोकस करें.

बच्चों को समझाएं सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत:

वैसे तो बच्चों को इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि कब स्कूल खुलें और कब वे अपने दोस्तों से मिल सकें और उनके साथ खेलें व खाना खाएं. इसलिए बहुत आवश्यक है कि बच्चों को फिर से स्कूल भेजने से पहले सोशल डिस्टेंसिंग के नियम अच्छे से समझाएं जाएं.

जैसे कि उन्हें अपने दोस्तों के साथ बात करते समय एक उचित दूरी बनानी होगी, अभी वे अपना लंच साथ में नहीं कर सकते हैं. 

स्कूल के हाइब्रिड मॉडल के लिए करें तैयार: 

फिलहाल, कुछ स्कूल हाइब्रिड मॉडल में काम करेंगे. इसका मतलब है कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में काम किया जाएगा. इसलिए जरूरी है कि माता-पिता बच्चों को समय-समय पर समझाते रहें और प्रोत्साहित करें कि चीजें धीरे-धीरे सामान्य ही जाएंगी. ताकि बच्चों को मानसिक तनाव न हो. 

स्वस्थ आदतों से दूर रहेगा कोरोना: 

स्कूल जाने से पहले बच्चों को समझाएं कि अभी भी कोरोना पूरी तरह से गया नहीं है. इसलिए वे स्कूल में भी बार-बार साबुन से हाथ धोते रहें, सैनिटाइज करते रहें और हमेशा मास्क पहनें रखें. और अपने दोस्तों से बात करते समय एक उचित दूरी बनाएं रखें.  

शिक्षकों को समझनी होगी जिम्मेदारी: 

इस समय सबसे ज्यादा शिक्षकों को धैर्य और संयम से काम लेने की आवश्यकता है. क्योंकि स्कूल में शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी बच्चे कोरोना से सुरक्षा के दिशा-निर्देशों का पालन करें. एक-दूसरे से उचित दूरी बनाएं, साबुन से हाथ धोएं, कोहनी में छीकें या खांसे आदि.