सोचिये आप नेजल स्प्रे को किस तरह लेते हैं….नाक के एक नथुने को बंद करके, दूसरे नथुने को ऊपर की ओर करके फिर दवाई को नाक में खींचते हैं. लेकिन साउथ डकोटा स्टेट यूनिवर्सिटी के सैकत बसु कहते हैं, कि नाक में मेडिसिन स्प्रे इस्तेमाल करने का ये प्रभावी तरीका नहीं है.
क्या है सबसे बेहतर तरीका?
दरअसल, किसी भी दवाई को जब नाक से दिया जाता है तो इसका उद्देश्य द्वारा के प्रभाव को गले, नाक और इससे जुड़े सभी भागों में पहुंचाना होता है. कंप्यूटर मॉडल के अनुसार, एरोसोल नाक में प्रवेश करते हैं और नासॉफिरिन्क्स (nasopharynx) तक पहुंचते हैं, यानि गले की शुरुआत में जहां नाक में दो एयरवेज एक साथ आते हैं. दवा को स्प्रे स्प्रे के माध्यम से इसी एयरवेज में पहुंचाना होता है, जिससे इंफेक्शन वाली बीमारियों को रोका जा सके.
लेकिन बसु ने अपने शोध में पाया कि जब हम नार्मल तरीके से अपनी नाक में स्प्रे डालते हैं तो यह सही तरह से हमारे एयरवेज तक नहीं पहुंचती है. बजाय इसके अगर हम नेजल स्प्रे को हॉरिजॉन्टल रखते हुए और अपने गाल की ओर थोड़ा सा झुकाकर डालते हैं, तो ये तरीका सबसे अच्छा हो सकता है.
एग्जामिन करने के लिए लिया स्कैन का सहारा
नासॉफिरिन्क्स में एरोसोल के बारे में पता करने के लिए बसु ने नाक के तीन-डाइमेंशनल स्कैन का सहारा लिया. इसके बाद इन स्कैन को एक कंप्यूटर मॉडल में के माध्यम से एग्जामिन किया. इसमें उन्होंने पाया कि जब हम हॉरिजॉन्टल रूप से स्प्रे अपनी नाक में डालते हैं तो नासोफरीनक्स में उतरने वाली एरोसोल बूंदों की संख्या कम से कम 100 बढ़ जाती है.
बसु की आगे बताया कि जब हॉरिजॉन्टल रूप में स्प्रे किया जाता है, इसकी बूंदें स्प्रे करने के दौरान या बाद में सांस लेने वाले व्यक्ति के मजबूत वायु प्रवाह से बच जाती हैं, जो अन्यथा बूंदों को नासॉफिरिन्क्स से गले और फेफड़ों में ले जाती हैं. वे कहते हैं, “अगर आप ऊपरी एयरवेज को टारगेट करते हुए स्प्रे डालते हैं टो दवा को डालने का ये सबसे अच्छा तरीका नहीं है.”
हालांकि बसु ने यह भी कहा है कि उनके पास कोई अथॉरिटी नहीं है कि वे किसी को सलाह दें, लेकिन वे अपनी निजी जिंदगी में इसी पैटर्न को फॉलो करते हैं.