देश में कोविड के नए वेरिएंट JN.1 ने दस्तक दे दी है और अब तक कई लोगों की जान ले चुका है. ऐसे में, लोगों को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है. पब्लिक जगहों पर मास्क लगाने के साथ-साथ इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग करने की सलाह एक्सपर्ट और डॉक्टर दे हे हैं. सर्दियों में इस बात का ख्याल रखना और ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि सर्दियों में कम एक्टिविटी की वजह से हमारे मेटाबॉलिज्म पर भी असर पड़ता है और मेटाबॉलिज्म का ठीक रहना हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है.
सर्दियों में मेटाबॉलिज्म को कैसे मजबूत करें और कोविड के खतरे के साथ-साथ दूसरी बीमारियों से कैसे बचे रहें, इसकी जानकारी दे रहे हैं चंडीगढ़ के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर आरके जसवाल.
पानी कम पीना और पसीना न बहाना मतलब बीमारियों को बुलावा
सर्दियों के मौसम में हमारे दिल में बहुत सारे बदलाव आते हैं. हार्मोन लेवल्स बढ़ जाते हैं, पसीना कम आता है और साल्ट लॉस भी कम होता है, खून गाढ़ा हो जाता है जिसकी वजह से रक्तचाप बढ़ता है. खासकर बहुत ज्यादा ठंड पड़ने के दौरान ब्लड प्रेशर बढ़ने और दिल की धमनियां सिकुड़ने की वजह से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
अगर हम बहुत ठंड के मौसम में ज्यादा फिजिकल वर्क करें तो उसका भी नुकसान हो सकता है. बहुत कठोर व्यायाम करने से दिल को ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. सर्दियों के मौसम में पहले से ही हार्ट स्ट्रेस ज्यादा होती है. ठंड से रक्त धमनियां सिकुड़ जाने के कारण खून का दौरा कम पड़ जाता है. ऐसे में अगर हम लोग दिल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ा दें तो व्यक्ति को पसीना ज्यादा आता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
सर्दियों में हमारा खून ज्यादा गाढ़ा होता है जिसकी वजह से हमारे फेफड़ों में, टांगों की नसों में और दिल में क्लॉट बनने का खतरा रहता है. इसके अलावा स्ट्रोक का डर भी रहता है.
सर्दियों में पहने मल्टी-लेयर कपड़ें
सर्दियों के मौसम में हमें मल्टी लेयर क्लॉथ यानी गर्म कपड़ों कपड़ों की कई परतें पहननी चाहिए ताकि हमारा शरीर बहुत ज्यादा ठंड पड़ने की स्थिति में इंसुलेटेड रहे. हमें ब्लड प्रेशर को लगातार जांचना चाहिए क्योंकि सर्दियों के मौसम में सबका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है. मौसम बदलने के साथ-साथ सबके रक्तचाप में बदलाव आता है. गर्मियों में रक्तचाप नियंत्रित रखने के लिए हम जिन दवाओं का इस्तेमाल करते हैं सर्दियों में उनकी मात्रा या डोज बढ़ानी पड़ती है.
ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर है। कई बार इसके लक्षण नहीं आते और और ज्यादा ब्लड प्रेशर बढ़ने की वजह से दिमाग की नसें फट जाती है. हमें इस स्थिति से बचना चाहिए और लगातार अपने ब्लड प्रेशर पर नजर रखनी चाहिए. सर्दियों के त्योहारों के मौसम में एक तो खून में शुगर की मात्रा बढ़ सकती है, दूसरा हमारी गतिविधियां थोड़ी कम होती हैं. कई बार ब्लड शुगर भी नियंत्रण से बाहर हो जाती है. अनियंत्रित ब्लड शुगर भी दिल का दौरा पड़ने का बड़ा कारण है.
आपको लगातार अपने वजन पर नजर रखनी चाहिए. खाने पीने पर भी नियंत्रण रखना चाहिए क्योंकि अचानक ब्लड शुगर बढ़ सकती है. जिन लोगों को पहले से ही को– मोरबिडिटी है यानी कोई दूसरी बीमारी है उनको वायरल इंफेक्शन, इनफ्लुएंजा और निमोनिया से बचने के लिए वैक्सीन लगानी चाहिए. हमें जब भी वायरल इंफेक्शन होता है तो हमारे दिल के भीतर जो भी फैट डिपॉजिट होते हैं वह असंतुलित होकर क्लॉट बनाते हैं और हार्ट अटैक होता है.
लगातार बरतें सावधानी
कोविड का नया वेरिएंट सामने आने से अब वायरस अटैक के खतरे बढ़ गए हैं. सर्दियों के मौसम में हमें वायरल इंफेक्शन, खासकर चेस्ट इन्फेक्शन से बचकर रहना है. हमें बहुत ज्यादा कड़ी एक्टिविटी नहीं करनी है लेकिन खुद को एक्टिव रखना हैय कड़ाके की सर्दी में बहुत सुबह उठकर व्यायाम करने की जरूरत नहीं है. इसके अलावा पानी पीने पर ध्यान दें. सर्दियों में कम पानी पीने की वजह से हमारा रक्त गाढ़ा हो जाता है. सर्दियों में लोग सारा सारा दिन पानी नहीं पीते. डिहाइड्रेशन ब्लड विस्कोसिन को बढ़ाता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है.
डॉ जसवाल के मुताबिक जिन लोगों को को–मोरबिडिटी है उनको अपना रक्त पतला रखने के लिए सिंगल डोज ब्लड थिनर दवाइयां लेने की सलाह भी दी जाती है. साथ ही, सर्दियों के मौसम में इन्फ्लूएंजा का वैक्सीन जरूर लगाना चाहिए. खाने-पीने और डिहाइड्रेशन का ध्यान रखना भी उतना ही जरूरी है.