हम सभी जानते हैं कि सर्दियों में कोल्ड और फ्लू की चपेट में आने की संभावना पढ़ जाती है लेकिन ऐसा क्यों है ये आजतक कोई वैज्ञानिक नहीं समझा सका था. लेकिन अब पहली बार, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल की एक स्टडी ने एक सटीक तस्वीर दी है कि आखिर क्यों हम अपनी बॉडी कंडीशन और इम्यूनिटी लेवल के बावजूद सर्दियों में ठंड पकड़ लेते हैं.
इस स्टडी के प्रमुख लेखक, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में ओटोलर्यनोलोजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ बेंजामिन ब्लेयर का कहना है कि उन्होंने पाया कि तापमान में गिरावट के कारण नाक के अंदर की सहज प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (इम्यून रिस्पॉन्स) काफी कम हो जाती है. इससे वायरस को रोकने वाले एक्स्ट्रासेलुलर वेसिकल्स की मात्रा, गुणवत्ता और ताकत भी कम होती है.
लो इम्यून लेवल के कारण होता है इंफेक्शन
लो इम्यूनिटी के कारण वायरस नाक में पहुंचकर कोशिकाओं को संक्रमित करता है. साथ ही, वायरस का रेप्लिकेशन संक्रमण को बढ़ाता है. इस कारण ठंडों में ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. यह स्टडी एलर्जी और क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है. स्टडी में बताया गया है कि म्यूकोसा उच्च गर्मी में अपनी किसी भी सुरक्षात्मक क्षमता को नहीं खोता है.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए डॉ. निखिल मोदी, सीनियर कंसल्टेंट, रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, दिल्ली कहते हैं कि एक्स्ट्रासेलुलर वेसिकल्स (ईवी) और कुछ नहीं बल्कि छोटे झिल्ली-बद्ध कण हैं जो डीएनए, आरएनए और प्रोटीन को ले जा सकते हैं. इन्हें एंटीवायरल प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए कोशिकाओं द्वारा जारी किया जाता है. नाक में, ये थैली वायरस को असंक्रमित कोशिकाओं से बंधने से रोक सकती हैं. लेकिन अगर वे खुद कम तापमान से कमजोर हो जाती हैं, तो वायरस म्यूकोसा से चिपक जाता है.
नाक है वायरस का एंट्री गेटवे
इस स्टडी ने बताया है कि सर्दियों में शरीर वायरस के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करता है. इस लिहाज से नाक काफी हद तक वायरस के लिए एंट्री गेट बन जाती है. साथ ही, नेजल कैविटी बाहर की ठंडी हवा के नजदीक होने के कारण, अधिक संवेदनशील है और शरीर में किसी भी अन्य अंग की तुलना में अपनी इम्यूनिटी जल्दी खो देती है.
इसलिए डॉ. मोदी सलाह देते हैं कि बाहर जाते समय मास्क लगाना बेहतर होता है. साथ हा, दूसरा, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और प्रोटीन से भरपूर डाइट लेकर अपनी इम्यूनिटी बढ़ाएं. दूसरे शब्दों में, मौसमी फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं. व्यायाम करें और सोने का रूटीन बनाएं जिससे आपका शरीर ठीक हो सके और वापस लड़ सके.