scorecardresearch

New Study on Cancer: ये 4 बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ा सकते हैं कैंसर का खतरा, समय से चल जाए पता तो बचाई जा सकेगी लाखों लोगों की जान!

पेट के कैंसर के ज्यादातर मामले बैक्टीरिया के कारण होते हैं. सर्वाइकल कैंसर, जैनिटल और ओरल कैंसर की वजह भी ज्यादातर मामलों में वायरस ही होते हैं.

Cancer patient: Photo: National Cancer Institute Cancer patient: Photo: National Cancer Institute
हाइलाइट्स
  • हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण बहुत आम है

  • पेट के कैंसर के ज्यादातर मामले बैक्टीरिया के कारण होते हैं.

कैंसर दुनिया के सबसे गंभीर और जानलेवा बीमारियों में से एक है. हार्ट डिजीज के बाद कैंसर दूसरी सबसे जानलेवा बीमारी है. कैंसर की वजह से हर साल करीब 1 करोड़ लोगों की जान जाती है. कैंसर को लेकर दुनियाभर में कई तरह की रिसर्च की जा रही है.  इसी कड़ी में American Association for Cancer Research ने भी एक रिसर्च पब्लिश की है. इस रिसर्च में चार कॉमन इंफेक्शन को कैंसर का कॉज बताया है! ये अपने तरह की पहली रिसर्च है! शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर ऐसे इंफेक्शन की समय से पहचान कर ली जाए तो कैंसर को रोका जा सकता है!

पेट के कैंसर के ज्यादातर मामले बैक्टीरिया के कारण होते हैं. सर्वाइकल कैंसर, जैनिटल और ओरल कैंसर की वजह भी ज्यादातर मामलों में वायरस ही होते हैं. वैश्विक स्तर पर कैंसर के सभी मामलों में से अनुमानित 13 प्रतिशत मामलों का कारण इंफेक्शन है. ये इंफेक्शन कौन से हैं और किस तरह से कैंसर का कारण बन सकते हैं इस पर रिसर्च पूरी रिसर्च आधारित है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर इन संक्रमणों का समय से पता लगा लिया जाए तो कैंसर को रोकने और इलाज करने में काफी मदद मिलेगी.

शालीमार बाग के मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के मेडिकल ऑन्कोलॉजी डायरेक्टर डॉ. कुमारदीप दत्ता चौधरी कहते हैं इन्फेक्शन के कारण होने वाले कैंसर के कई मामलों के लिए कुछ वायरस और बैक्टीरिया जिम्मेदार होते हैं. सबसे आम में से एक ह्यूमन पैपिलोमावायरस (एचपीवी) है, जो सर्वाइकल कैंसर के लगभग सभी मामलों से जुड़ा हुआ है. एचपीवी गले, गुदा और लिंग जैसे दूसरे क्षेत्रों में भी कैंसर का कारण बन सकता है. हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लंबे समय तक लीवर में इन्फेक्शन पैदा करके लीवर कैंसर का कारण बनते हैं, जिसकी वजह से सिरोसिस और फिर बाद में कैंसर हो सकता है. एक दूसरा वायरस, एपस्टीन-बार (ईबीवी), कुछ इम्युनिटी सेल्स को प्रभावित करता है और लिम्फोमा और नासॉफिरिन्जियल कैंसर से जुड़ा होता है.

डॉ. कुमारदीप दत्ता आगे कहते हैं कि हेलिकोबैक्टर पाइलोरी जैसे बैक्टीरिया भी कैंसर के बनने में भूमिका निभाते हैं. यह पेट में लंबे समय तक सूजन पैदा कर सकता है, जिससे अल्सर हो सकता है और पेट के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. डॉक्टर कहते हैं, “ऐसे में इस प्रकार के कैंसर को कम करने के लिए रोकथाम जरूरी है. एचपीवी और हेपेटाइटिस बी के लिए वैक्सीन, इन्फेक्शन के लिए एंटीबायोटिक्स, और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहल से हम इसके खतरे को कम कर सकते हैं.

आइए जानते हैं कौन से हैं ये इंफेक्शन

Human papillomavirus: HPV वायरस का पूरा नाम है ह्यूमन पैपिलोमा वायरस. HPV वायरस के 200 से ज्यादा प्रकार हैं, जिनमें से करीब 12 सर्वाइकल, जैनिटल और ओरल कैंसर का कारण बनते हैं. ज्यादातर HPV खुद ब खुद ठीक हो जाते हैं. लेकिन  करीब 10 प्रतिशत महिलाओं में हाई रिस्क इंफेक्शन विकसित हो सकता है. ज्यादा सेक्सुअली एक्टिव रहने वाले लोग अपने जीवन में कभी-न-कभी HPV वायरस के संपर्क में आते हैं लेकिन हमारा शरीर लड़कर उसे खत्म कर देता है कंडोम का इस्तेमाल एचपीवी संक्रमण से बचा सकता है, हालांकि यह पूरी तरह सुरक्षित नहीं है. इसके लिए टीकाकरण बेहतर विकल्प है. अगर आपने कम उम्र में ही वैक्सीनेशन करा लिया है तो HPV से संक्रमित होने का रिस्क कम हो जाता है.

Infection
Infection

सीडीसी 11-12 साल की उम्र से लेकर 26 साल की उम्र तक एचपीवी वैक्सीन की दो या तीन खुराक की सलाह देते हैं. HPV वायरस से होने वाले कैंसर की वैक्सीन सिर्फ महिलाओं ही नहीं, बल्कि पुरुषों को भी होने वाले कई तरह के कैंसर को रोकने में कारगर है. यह वैक्सीन तब ज्यादा प्रभावी होती है जब सेक्शुअली एक्टिव होने से पहले इसे लगवाया जाए. इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति अगर किसी के साथ यौन संबंध बनाते हैं तो बहुत आशंका है कि दूसरा व्यक्ति भी इससे संक्रमित हो जाएगा.

एचपीवी से संक्रमित कई लोगों में, इसका कोई लक्षण नहीं दिखता है. कई बार गुप्तांगों या उनके आस-पास की त्वचा पर मस्से इस वायरस का संकेत दे सकते हैं.

Hepatitis B and C: ये वायरस लीवर सेल्स में सूजन पैदा करके कैंसर का कारण बनते हैं. पुरानी सूजन से लीवर में स्कार टिशू का निर्माण होता है, जिसे सिरोसिस कहा जाता है. जोकि कैंसर के लिए एक मजबूत जोखिम कारक है. कुछ मामलों में, हेपेटाइटिस बी हेल्दी लीवर में परिवर्तन करके सीधे कैंसर का कारण भी बन सकता है. हेपेटाइटिस बी और सी दोनों ही वायरस खून और सीमन के जरिए फैलते हैं, लेकिन इनके कारण और इलाज में अंतर है.

हेपेटाइटिस-सी को साइलेंट किलर भी कहा जाता है. शुरू-शुरू में इसका कोई असर नहीं दिखता और जब दिखता है तो मरीज को बचाना संभव नहीं होता. टैटू गुदवाने, संक्रमित खून चढ़वाने, संक्रमित मरीज की सुई और दूसरे का रेजर इस्तेमाल करने से इस वायरस का संक्रमण हो सकता है. अमेरिका में हेपेटाइटिस सी आमतौर पर Intravenous drug लेने वालों में होता है क्योंकि ये लोग ड्रग्स लेने के लिए पुरानी नीडल का इस्तेमाल करते हैं.

hepatitis b



हेपेटाइटिस बी आमतौर पर मां से उसके बच्चे में फैल सकता है. यह वायरस चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम और अमेरिका जैसे देशों में आम है. ब्लड टेस्ट के जरिए दोनो इंफेक्शन की पहचान की जा सकती है. बाजार में हेपेटाइटिस बी का टीका उपलब्ध है. हेपेटाइटिस सी के लिए कोई वैक्सीन नहीं बनाई गई है, लेकिन संक्रमण के जोखिम को रोकने में मदद करने के लिए नीडल शेयर न करना सबसे अच्छा तरीका है.

H. pylori: हेलिकोबैक्टर पाइलोरी संक्रमण बहुत आम है. दुनिया की लगभग आधी आबादी में यह बैक्टीरिया होता है लेकिन उनमें से केवल 1 से 3 प्रतिशत को ही कैंसर हो सकता है. यह अकेला ऐसा बैक्टीरिया है, जो पेट में रह सकता है और डेवलप भी हो सकता है. ये बैक्टीरिया लार, दांतों की मैल और मल में पाए जाते हैं. संक्रमण पेट की परत में पुरानी सूजन पैदा करता है, जो कैंसर को बढ़ावा देता है. ब्लड टेस्ट, स्टूल टेस्ट, एंडोस्कोपी या बायोप्सी से इस वायरस का पता लगाया जा सकता है. 

भीड़भाड़ वाले इलाके जैसे-झुगी झोपड़ी, बस्ती में रहने वाले लोगों और साफ पानी न पीने वालों को इसका खतरा ज्यादा होता है. एच. पाइलोरी इंफेक्शन के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. लेकिन इसके कुछ आम लक्षणों में सांस फूलना, डकार आना, जि मचलाना, पेट में गड़बड़, भूख कम लगना, हार्टबर्न शामिल है. यह इंफेक्शन, दो लोगों के कॉन्टैक्ट, खाने और पानी से फैल सकता है.