अगर आप भी कम बुखार और सर्दी खांसी में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपके लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है. मेडिकल एजेंसियां एंटीबायोटिक के इस्तेमाल को लेकर हमेशा से चेतावनी जारी करती रही है और कहती रही है कि इसका इस्तेमाल संभल कर करें. बावजूद इसके लोग अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करते हैं, जो कि सेहत पर बुरा असर डालती है. ऐसे में भारतीय चिकित्सा एवं अनुसंधान परिषद (ICMR) ने नई गाइडलाइन जारी की है और एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने वाले को सावधान किया है.
एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कब किया जाता है ?
एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल डॉक्टर बैक्टीरियल इन्फेक्शन को रोकने और उसे खत्म करने के लिए करते हैं. लेकिन नॉर्मल फीवर में लगातार हो रहे एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से शरीर पर इसका असर कम होने लगा है. यानी जब वाकई में शरीर को एंटीबायोटिक की जरूरत होती है तब वह बेअसर हो जाता है.
ICMR ने गाइडलाइन में क्या कहा ?
नई गाइडलाइंस में डॉक्टरों को कहा गया है कि वो नॉर्मल और वायरल फीवर में एंटीबायोटिक न लिखें. इसका इस्तेमाल केवल गंभीर इंफेक्शन वाले केस में करें. गाइडलाइन में कहा गया है कि कम बुखार या वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियों में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. ICMR ने डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स लिखते वक्त समय सीमा का ध्यान रखने की सलाह दी है. इसके साथ ही कहा है कि त्वचा और कोमल ऊतकों के संक्रमण में पांच दिन, कम्युनिटी ट्रांसमिशन से हुए निमोनिया में भी पांच दिन और अस्पताल में हुए निमोनिया में आठ दिन के लिए एंटीबायोटिक दी जानी चाहिए.
रोगियों पर एंटीबायोटिक का नहीं हो रहा असर
ICMR ने 1 जनवरी 2021 से 31 दिसंबर, 2021 के बीच एक सर्वे किया था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि भारत में बड़ी संख्या में रोगियों पर कुछ एंटीबायोटिक का असर नहीं हो रहा है. इसके पीछे की वजह सामने आई थी कि लगातार एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने से शरीर ने एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध विकसित कर लिया है. और इसका परिमाण था कि बैक्टीरिया लगातार ताकतवर होते गए.