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Explainer: बैलेंस्ड डाइट से लेकर, प्रोटीन और साल्ट इनटेक तक, भारतीयों के लिए ये हैं ICMR की 17 डाइटरी गाइडलाइंस

अक्सर कहा जाता है कि स्वस्थ जीवन शैली जीने के लिए अच्छा खाना चाहिए, अच्छा आराम करना चाहिए और साथ ही कुछ न कुछ फिजिकल एक्टिविटी में भी शामिल होना चाहिए. ये सभी मिलकर न सिर्फ आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाते हैं उम्र को बढ़ाने में भी मदद करते हैं. ICMR और NIN ने मिलकर भारतीयों के लिए Dietary Guidelines जारी की हैं.

Dietary Guidelines (Photo: Unsplash) Dietary Guidelines (Photo: Unsplash)

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने संयुक्त रूप से भारतीयों के लिए नई डाइटरी गाइडलाइंस जारी की हैं. इन गाइडलाइंस के पीछे का उद्देश्य हर एक व्यक्ति की ओवरऑल ग्रोथ है. एक रिपोर्ट के साथ जारी दिशानिर्देश में उल्लेख किया गया है कि भारत में 56% बीमारियां डाइट यानी खान-पान से जुड़ी हुई हैं. 

ICMR की गाइडलाइन्स में मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स के बारे में भी बात की गई है. यह फूड प्रोडक्ट्स के न्यूनतम आठ ग्रुप्स से मैक्रोन्यूट्रिएंट्स और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की सोर्सिंग की सिफारिश करता है. इसमें कहा गया है कि अनाज का सेवन कुल ऊर्जा का 45 प्रतिशत तक सीमित होना चाहिए, जो वर्तमान में 50 से 70 प्रतिशत तक है. 

स्वस्थ भोजन क्या है? 
रिपोर्ट के अनुसार, एक स्वस्थ भोजन में प्रचुर मात्रा में सब्जियां, पर्याप्त साबुत अनाज और दालें या बीन्स के साथ-साथ नट्स या बीज भी कुछ मात्रा में शामिल होते हैं. साथ ही, फल और सादा  दही भी लेना चाहिए. इसमें एक्स्ट्रा शुगर नहीं होती है या इसकी मात्रा बहुत कम होती है और इसमें स्वाद के लिए न्यूनतम तेल/वसा और नमक मिलाया जाता है. 

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दिशानिर्देशों के अनुसार, एक दिन में 2000 किलो कैलोरी सेवन के लिए, लोगों को लगभग 250 ग्राम अनाज, 400 ग्राम सब्जियां, 100 ग्राम फल, 85 ग्राम दालें/अंडे/मांस वाले खाद्य पदार्थ, 35 ग्राम नट और बीज और 27 ग्राम वसा/तेल खाना चाहिए. 

ये हैं ICMR के दिशानिर्देश 
1. बैलेंस्ड डाइट के लिए अलग-अलग वैरायटी के खाने खाएं: विभिन्न फूड ग्रुप्स से खाने के लिए फूड प्रोडक्ट्स का चयन बुद्धिमानी से करें ताकि आपको खाने से सही पोषण से भरपूर संतुलित आहार मिले. 

2. गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान एक्स्ट्रा फूड और हेल्थकेयर: गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान अतिरिक्त पौष्टिक भोजन और देखभाल की जरूरत होती है. इसलिए लगातार खान-पान पर ध्यान दें और किसी पोषण एक्सपर्ट से सलाह लेते रहें. 

3. पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराएं; दो साल और उसके बाद तक स्तनपान जारी रखें: पहले छह महीने तक विशेष स्तनपान कराने से शिशु की वृद्धि और विकास तो होता ही है, साथ ही, मां का स्वास्थ्य भी बेहतर होता है. 

4. छह महीने की उम्र के बाद, शिशु को घर का बना सेमी-सॉलिड आहार खिलाना चाहिए: घर का बना खाना किफायती, पकाने में आसान, बढ़ते बच्चे के लिए सुरक्षित और स्वास्थ्यवर्धक होता है. आप किसी से कंसल्ट करके बच्चे के लिए आसानी से खाने योग्य खाना घर पर ही बनाएं. 

5. स्वास्थ्य और बीमारी में बच्चों और किशोरों के लिए पर्याप्त और उचित आहार सुनिश्चित करें: दो साल से ऊपर के बच्चों और किशोरों के लिए बैलेंस्ड डाइट सही विकास में मदद करती है और उनकी इम्यूनिटी को बढ़ाती है. 

6. खूब सारी सब्जियां और फलियां खाएं: सब्जियां और हरी पत्तेदार सब्जियां कई विटामिन और मिनरल्स देती हैं और सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और विभिन्न बीमारियों से सुरक्षित भी रखती हैं. 

7. तेल/फैट्स का प्रयोग कम मात्रा में करें; फैट्स और जरूरी फैटी एसिड की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विभिन्न प्रकार के तिलहन, मेवे आदि चुनें: विभिन्न प्रकार के तिलहन, मेवे और साबुत अनाज का उपयोग करने से सभी फैटी एसिड का संतुलन मिलता है. रिफाइंड या निकाले गए तेल प्रोसेस्ड उत्पाद हैं, इसलिए उन्हें कम मात्रा में उपयोग करना सबसे अच्छा है. 

8. अच्छी समानता वाले प्रोटीन और जरूरी अमीनो एसिड लें; मांसपेशियों के निर्माण के लिए प्रोटीन सप्लीमेंट से बचें: अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी मांसपेशियों या मसल्स को बनाए रखना महत्वपूर्ण है. ज्यादा मसल्स के विकास और संरक्षण के लिए अच्छी गुणवत्ता वाले प्रोटीन का सेवन और रेजिस्टेंस एक्सरसाइज रूटीन का पालन करें. 

9. पेट के मोटापे, अधिक वजन और ओवरऑल मोटापे को रोकने के लिए एक हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं: ज्यादा वजन और सामान्य या ओवरऑल मोटापे के अलावा, पेट का मोटापा, जो पेट की एबडोमिनल कैविटी में आंतरिक अंगों में और उसके आसपास एक्स्ट्रा फैक्ट्स का संकेत है, और यह जीवनशैली संबंधित बीमारियों से जुड़ा हुआ है. 

10. शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, रेगुलर एक्सरसाइज करें: नियमित फिजिकल एक्टिविटी, योग और एक्सरसाइज व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रखते हैं और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं. 

11. नमक का सेवन सीमित करें: बढ़ा हुआ नमक (सोडियम क्लोराइड) का सेवन स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा करता है और हाई ब्लड प्रेशर और संबंधित हृदय रोग और स्ट्रोक का कारण बन सकता है.

12. सुरक्षित और स्वच्छ फूड्स का सेवन करें: दूषित फूड्स कई बीमारियों, पुरानी बीमारियों का कारण बनते हैं और कुपोषण में भी योगदान दे सकते हैं. 

13. सही प्री-कुकिंग और कुकिंग तरीकों का उपयोग करें: अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ खाना पकाने का तरीका भी महत्वपूर्ण है. इसलिए कुकिंग के समय साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें.

14. खूब पानी पियें: अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी महत्वपूर्ण है. 

15. अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और हाई फैट, शुगर, नमक का सेवन कम करें: अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में अक्सर फैट्स, शुगर और नमक की मात्रा ज्याद होती है. इन फूड्स के नियमित सेवन से नॉन-कम्यूनिकेबल रोगों का खतरा बढ़ जाता है जैसे डायबिटीज, हाइपरटेंशन, कार्डियोवस्कुलर बीमारी, और भी बहुत कुछ. 

16. स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए बुजुर्गों के आहार में पोषक तत्वों से भरपूर फूड्स को शामिल करें: स्वस्थ और सक्रिय रहने के लिए, बुजुर्गों को पर्याप्त शारीरिक गतिविधि के साथ-साथ विटामिन और मिनरल्स से भरपूर फूड्स की जरूरत होती है. 

17. फूड लेबल्स पर जानकारी पढ़ें: ज्यादातर फूड प्रोडक्ट्स अब प्री-पैकेज्ड रूप में उपलब्ध हैं. इसलिए, उपभोक्ता को यह जानना जरूरी है कि पैक के अंदर कौन सी आईडी है. इसके अलावा, पैकेज पर फूड लेबल कंटेंट, इंग्रेडिएंट्स और पोषण संबंधी जानकारी के साथ-साथ शेल्फ जीवन के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं.