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अब सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी ले सकेंगे गर्भनिरोधक...ICMR ने किया गर्भनिरोधक इंजेक्शन का सफल परीक्षण, 308 लोगों पर किया टेस्ट

महिलाओं के लिए परिवार नियोजन के कई तरह के उपाय उपलब्ध हैं लेकिन पुरुषों के लिए अभी तक ऐसा कोई उपाय नहीं था. मगर अब पुरुषों के लिए इंजेक्शन आ गया है जोकि 99 प्रतिशत केस में प्रेग्नेंसी रोकने में कामयाब बताया जा रहा है.

Contraceptive Injection for Male (Representative Image) Contraceptive Injection for Male (Representative Image)

महिलाओं के लिए तो गर्भनिरोधक गोलियां उपलब्ध हैं लेकिन पुरुषों के लिए अभी तक इस तरह की कोई चीज उपलब्ध नहीं है. अब ICMR को इसके लिए एक बड़ी सफलता मिली है. सात साल के क्लीनिकल ट्रायल के बाद आईसीएमआर ने बताया कि पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक गोली तैयार कर ली गई है और इसका कोई बुरा साइड इफेक्ट नहीं है. यह गर्भनिरोधक लंबे समय तक असर करता है. भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने 303 स्वस्थ वॉलेंटियर पर इसका टेस्ट किया और 7 सालों के फॉलो-अप के बाद यह निष्कर्ष निकाला है.

कितना है प्रभावी
इस स्टडी में पता चला कि नॉन-हार्मोनल इंजेक्शन वाले पुरुष गर्भनिरोधक RISUG (रिवर्सिबल इनहिबिशन ऑफ स्पर्म अंडर गाइडेंस) पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है. यह लंबे समय तक काम करता है. अंतरराष्ट्रीय ओपन एक्सेस जर्नल एंड्रोलॉजी में स्टडी के तीसरे चरण के निष्कर्ष को प्रकाशित किया गया है. इसके मुताबिक 303 स्वस्थ, सेक्सुअली ऐक्टिव और विवाहित पुरुष जिनकी आयु 25 से 40 वर्ष के बीच थी उन्हें परिवार नियोजन उपाय के लिए चुना गया. इन लोगों को 60 मिलीग्राम आरआईएसयूजी वाला इंजेक्शन दिया गया. खास बात यह है कि RISUG से बिना किसी गंभीर साइड-इफेक्ट के 99 प्रतिशत प्रेग्नेंसी रोकी जा सकती है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के. इसने 97.3 फीसदी एजूस्पर्मिया की स्थिति बना दी. यह एक मेडिकल टर्म है जिसका मतलब कि सीमने में कोई भी एक्टिव स्पर्म प्रवेश कर रहा है.

पत्नियों का भी किया गया चेकअप
पुरुषों के अलावा महिलाओं पर भी साइड इफेक्ट का टेस्ट किया गया. इसके लिए उन पुरुषों की पत्नियों का चेकअप किया गया जिन्हें ये इंजेक्शन लगाए गए थे. चेकअप में उन पुरुषों की पत्नियों पर भी इसका कोई  साइड इफेक्ट नहीं दिखा. सभी स्वस्थ थीं. RISUG पॉलीमेरिक एजेंट, स्टाइरीन मेलिक एनहाइड्राइड को मिथाइल सल्फोक्साइड के साथ स्पर्म इक्ट तक पहुंचाता है. आईआईटी खडगपुर के डॉ सुजॉय कुमार गुहा ने इसे डिवलेप किया था. इसके बारे में पेपर 1979 में प्रकाशित किया गया था. लेकिन इसके तीसरे चरण का क्लीनिकल टेस्ट होने में काफी समय लग गया और ये अब जाकर तैयार हो पाया.

कैसे करेगा काम?
इस इंजेक्शन को स्पर्म डक्ट (हर टेस्टिकल में vas deferens या स्पर्म डक्ट होता है) में इंजेक्ट किया जाएगा. यहीं से पेनिस तक स्पर्म आता है. इसको लगाने से पहले व्यक्ति को लोकल एनेस्थीसिया दिया जाता है. RISUG को एक के बाद एक स्पर्म डक्ट्स में इंजेक्ट किया जाता है. इंजेक्शन लगने के बाद काफी चार्ज्ड पॉलिमर स्पर्म डक्ट की अंदर वाली वॉल में चिपक जाते हैं. फिर जब पॉलिमर निगेटिव चार्ज्ड स्पर्म के संपर्क में आता है तो यह उसे नष्ट कर देता है. इससे अंडे फर्टिलाइज करने में वह सक्षम नहीं रह जाता.