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स्वस्थ रहना है तो अपनी ही नहीं पृथ्वी के स्वास्थ्य की भी करनी होगी चिंता, जानिए क्या है Planetary Health की ये थ्योरी

दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण या गर्मी की लहर से होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाएं इसका जीता जागता सबूत हैं और आने वाले कुछ और सालों में ये और भी बढ़ सकती है. इसके लिए जरूरी है कि आसपास के वातावरण और उसके स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए. सरकार और नागरिक दोनों को हवा, पानी, मिट्टी, जैव विविधता जैसे इकोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना चाहिए.

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हाइलाइट्स
  • प्लैनेटरी हेल्थ उभरता हुआ क्षेत्र है, इसपर रिसर्च जरूरी: IIT

  • भविष्य में महामारी या जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों से बचना है, तो पृथ्वी के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा

हमने अक्सर लोगों को कहते हुए सुना है कि अगर हमारे आसपास का वातावरण स्वस्थ होता है तभी हम भी पूरी तरह स्वस्थ रह सकते हैं. इसी कड़ी में अब दुनिया भर में प्लैनेटरी हेल्थ (Planetary Health) यानि ग्रह के स्वास्थ्य को लेकर चर्चा तेज हो गई है. हाल ही में आईआईटी-हैदराबाद के शोधकर्ताओं ने कहा है कि नई स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने और उसके समाधान के लिए पहले जरूरी है कि हम प्लैनेटरी हेल्थ को बढ़ावा दें. उन्होंने कहा, “जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान ने लोगों के स्वास्थ्य और आजीविका को विशेष रूप से दक्षिण एशिया के लोगों को प्रभावित किया है.

क्या है प्लैनेटरी हेल्थ की थ्योरी?

दरअसल, प्लैनेटरी हेल्थ में किसी भी ग्रह को एक सिस्टम के रूप में पहचाना जाता है. ये ठीक ऐसा ही है जैसे किसी इंसान के स्वास्थ्य को. आसान शब्दों में समझें तो इस थ्योरी में ये कहा जाता है कि किसी भी इंसान या व्यक्ति का स्वास्थ्य जितना जरूरी है उतना ही इस ग्रह का या हमारी पृथ्वी का. इसे भी उसी तरह ट्रीट किया जाना चाहिए जिस तरह से पृथ्वी पर रह रहे किसी भी इंसान के स्वास्थ्य को. 

जब हम व्यक्तिगत रूप से अपने स्वास्थ्य के बारे में बात करते हैं, तो हमारा मतलब शरीर के अंगों के स्वस्थ होने से होता है. जैसे जब हमें फ्लू होता है, तो हम यह नहीं कहते हैं कि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं. ठीक इसी तरह शायद हमें अपने ग्रह की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में भी सोचना चाहिए, जो कि सबसे कम स्वस्थ है. प्लैनेटरी हेल्थ भी इसी थ्योरी पर काम करती है.

(Photo: Forbes)
(Photo: Forbes)

प्लैनेटरी हेल्थ उभरता हुआ क्षेत्र है, इसपर रिसर्च जरूरी 

जलवायु परिवर्तन विभाग, IIT हैदराबाद के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ आलोक खांडेकर के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने प्लैनेटरी हेल्थ की इस नई थ्योरी पर काम करना शुरू कर दिया है. डॉ खांडेकर ने कहा कि प्लैनेटरी हेल्थ एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जिसपर रिसर्च की जानी जरूरी है. इसमें ये देखा जाता है कि मानव स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्वास्थ्य कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं या नहीं. 

आलोक खांडेकर ने कहा, "वैश्विक स्वास्थ्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य और व्यक्तिगत स्वास्थ्य तब सबसे अच्छा होता है जब हमारे आस-पास का इकोसिस्टम और वातावरण स्वस्थ होता है.”

नहीं दिया ध्यान तो हो सकती हैं और समस्याएं 

रिसर्च टीम के एक शोधार्थी एनएसवी सरथ चंद्र कहते हैं कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान के कारण कई नई बीमारियां और स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. अगर हम स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करने के लिए खुद को तैयार नहीं करेंगे तो आने  वाले समय में हमें काफी परेशानी हो सकती है.
उन्होंने कहा कि अगर हमें भविष्य में महामारी या जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों से बचना है, तो पृथ्वी के स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा.  

दक्षिण एशिया में बढ़ रही हैं समस्याएं 

आलोक खांडेकर और सरथ चंद्र ने कहा, "उदाहरण के लिए, दक्षिण एशिया में वायु प्रदूषण या गर्मी की लहर से होने वाली मौतों की बढ़ती घटनाएं इसका जीता जागता सबूत हैं और आने वाले कुछ और सालों में ये और भी बढ़ सकती है. इसके लिए जरूरी है कि आसपास के वातावरण और उसके स्वास्थ्य पर ध्यान दिया जाए. सरकार और नागरिक दोनों को हवा, पानी, मिट्टी, जैव विविधता जैसे इकोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना चाहिए. 

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