कैंसर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के वैज्ञानिकों ने कैंसर ट्रीटमेंट के लिए नया तरीका सुझाया है जिसमें लंग्स और सर्वाइकल कैंसर सेल्स का जल्द से जल्द पता लगाना और फिर इन्हें खत्म करना शामिल है.
दुनिया भर में कैंसर मृत्यु दर के सबसे बड़े कारणों में से एक है. कई स्टडीज ने विकासशील और विकसित दोनों देशों में इसके बढ़ते बोझ के बारे में चेतावनी दी है. मई 2022 में बायो मेडिकल सेंट्रल जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि 2025 तक भारत में कैंसर के मामले 29.8 मिलियन तक पहुंच जाएंगे. इसमें कहा गया है कि उत्तर और पूर्वोत्तर भारत की आबादी में बीमारी का बोझ सबसे ज्यादा होगा.
इसके अलावा, भारत के कुल कैंसर मामलों में 40 प्रतिशत से ज्यादा सात प्रमुख कैंसर साइट्स - लंग्स (10.6%), ब्रेस्ट (10.5%), इसोफीगस (5.8%), मुंह (5.7%), पेट (5.2%), लिवर (4.6%), और सर्विक्स युट्री (4.3%) का योगदान है.
कैंसर की समय पर जांच बचा सकती है जान
रिसर्चर्स ने हाइब्रिड सोने और तांबे के सल्फाइड नैनोपार्टिकल्स में कैंसर-विरोधी गुणों का उपयोग करके शरीर में एक ठोस ट्यूमर बनाने वाली बीमारी का पता लगाया. वैज्ञानिकों ने कहा कि ये पार्टिकल्स फोटोथर्मल, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फोटोकॉस्टिक गुणों से भरपूर हैं - जिनके संयोजन से कैंसर का पता लगाया जा सकता है. ब्रेस्ट कैंसर सहित कई ऐसे कैंसर हैं जिनका समय से पता चलने पर और सही ट्रीटमेंट मिलने पर मरीज की जान बचाई जा सकती है.
एक्सपेरिमेंट के लिए, टीम ने फोटोथर्मल स्टडी के लिए सेल लाइनों से प्राप्त कैंसर सेल्स को 960 नैनोमीटर (इमेजिंग) और 1,064 एनएम फ्रीक्वेंसी पर इन्फ्रारेड (आईआर) प्रकाश के अधीन स्टडी किया.
IISc के इंस्ट्रुमेंटेशन एंड एप्लाइड फिजिक्स (आईएपी) विभाग के सहायक प्रोफेसर जय प्रकाश ने बताया कि अच्छी जांच दर के साथ, कैंसर से मरने की दर लगभग 25 प्रतिशत थी. वह एसीएस एप्लाइड नैनो मैटेरियल्स में प्रकाशित पेपर के लेखकों में से एक हैं. ये नैनोपार्टिकल्स कुछ अन्य कैंसर के निदान में भी मदद कर सकते हैं.