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Artificial Heart: विदेश में 1 करोड़ से ऊपर के डिवाइस को IIT कानपुर ने बनाया 10 गुना कम लागत में

IIT Kanpur ने विदेश में मिलने वाले आर्टिफिशियल हार्ट को 10 लाख की लागत के साथ तैयार किया है. सबसे पहले बकरी पर इसका परीक्षण किया जाएगा. इस डिवाइस को टाइटेनियम मेटल से तैयार किया गया है.

Heart Transplant (credit: unsplash) Heart Transplant (credit: unsplash)
हाइलाइट्स
  • IIT Kanpur ने तैयार किया आर्टिफिशियल हार्ट

  • विदेश के मुकाबले 10 गुना कम लागत में किया तैयार

  • सबसे पहले बकरी पर किया जाएगा परीक्षण

तकनीक के मामले में भारत प्रगति की ओर बढ़ता जा रहा है. IIT कानपुर ने आर्टिफिशियल हार्ट (Artificial Heart) तैयार किया है. इसका परीक्षण सबसे पहले एक बकरी पर किया जाएगा. इस हार्ट को टाइटेनियम (Titanium) मेटल से तैयार किया गया है. भारत में बनाए गए इस आर्टिफिशियल हार्ट की लागत विदेश के मुकाबले 10 गुना कम होगी. इसको LVAD (Left Ventricular Assist Device) का नाम दिया गया है.

किन लोगों को पड़ेगी इसकी जरूरत?
इस डिवाइस की जरूरत उन लोगों को है जिनका दिल शरीर में खून पंप करने में सक्षम नहीं है. लेकिन इंसानों से पहले इसका परीक्षण बकरी पर किया जाएगा. बता दें कि आईआईटी कानपुर के बनाए इस हार्ट को 'हृदययंत्र' का नाम दिया गया है. यह जानकारी आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर, प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने दी.

क्या बोले प्रोफेसर अग्रवाल?
प्रोफेसर अग्रवाल ने बताया कि पहले इस हार्ट को सुअर में लगाने का प्लान बनाया गया था. लेकिन अब इसे जल्द ही बकरी में लगाने का प्रयास किया जाएगा. यह फैसला काफी शोध करने के बाद ही लिया गया है. 

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कौन-कौन शामिल है हार्ट को तैयार करने में?
इस डिवाइस को संस्थान के विद्यार्थियों और वरिष्ठ प्रोफेसरों की निगरानी में तैयार किया गया है. बता दें कि विदेश में उपलब्ध आर्टिफिशियल हार्ट की कीमत एक करोड़ रुपए से ऊपर है. इसी को ध्यान में रखते हुए IIT कानपुर और हैदराबाद अस्पताल ने रिसर्च कर इस डिवाइस को तैयार किया है. इस डिवाइस को तैयार करने में करीब 10 लाख रुपये का खर्च आया है. हालांकि मार्केट में आने के बाद इसकी कीमत बढ़ सकती है.

किस तरह तैयार किया गया है डिवाइस?
इस डिवाइस के डिजाइन को तैयार करने में कंप्यूटर की मदद ली गई है. बता दें कि डिवाइस का डिजाइन एक पाइप की तरह होगा, जो हार्ट के एक हिस्से से दूसरे में जुड़ा होगा. इसकी मदद से खून को शरीर के अलग-अलग अंगों तक पहुंचाया जाएगा. 

संक्रमण का ज़रा भी नहीं है खतरा!
जिन लोगों को डर है कि इससे शरीर में संक्रमण फैल सकता है. उन्हें बता दें कि डिवाइस का सरफेस खून के संपर्क में नहीं आएगा. इसकी वजह है कि डिवाइस के अंदर के टाइटेनियम मेटल को इस तरह लगाया गया है कि यह आरटरी के संपर्क में ना आए. अगर ऐसा होता है तो खून में मौजूद प्लेटलेट एक्टिव हो जाएंगे और खून के धक्के शरीर में बन जाएंगे. जिनसे बचने के लिए इस डिवाइस को खास तौर पर तैयार किया गया है.