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मलेरिया का बढ़ता प्रकोप होगा कम! रिसर्च में जेनेटिक तौर पर मच्छरों को किया गया मॉडिफाई, बचेगी इंसानों की जान

लंदन के इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च की है, जिसकी मदद से मलेरिया के ट्रांसमिशन को कम किया जा सकता है. बता दें, दुनिया भर में सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक में मलेरिया को गिना जाता है. इस रिसर्च से ज्यादा से ज्यादा लोगों को बचाया जा सकता है.

मलेरिया का बढ़ता प्रकोप मलेरिया का बढ़ता प्रकोप
हाइलाइट्स
  • मलेरिया दुनिया भर में सबसे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है

  • बीमारी को मनुष्यों तक ट्रांसमिट होने से रोका जा सकता है

विज्ञान की दुनिया आए दिन नई ऊंचाइयों को छू रही है. अब इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने ऐसे मच्छर विकसित कर लिए हैं जो आपको काटेंगे तो लेकिन मलेरिया का कारण नहीं बनेंगे. लंदन के इंपीरियल कॉलेज में ट्रांसमिशन: जीरो नाम की शोधकर्ताओं की एक टीम ने ये रिसर्च की है. ये रिसर्च साइंस एडवांस जर्नल में पब्लिश की गई है. जेनेटिक तौर पर जिन मच्छरों को मॉडिफाई किया जाता है उन मच्छरों में मलेरिया पैदा करने वाले पैरासाइट के विकास को धीमा करने की क्षमता होती है. इसकी मदद से इस बीमारी को मनुष्यों तक ट्रांसमिट होने से रोका जा सकता है. 

आपको बताते चलें कि मलेरिया ने दुनिया की लगभग आधी आबादी को खतरे में डाल रखा है. इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने इसके के पैरासाइट के विकास को रोकने के लिए यह नया तरीका निकाला है. रिसर्च को करने वाले डॉ. टिबेबू हबटेवॉल्ड कहते हैं, "2015 के बाद से, मलेरिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. हमें नए नए उपकरण विकसित करने की जरूरत है."

रिसर्च कैसे की गई?

बिल गेट्स और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन में डिजीज मॉडलिंग संस्थान के शोधकर्ताओं ने ये मॉडल बनाया है. इसमें उन्होंने पाया कि जहां ट्रांसमिशन अधिक है वहां भी मॉडिफिकेशन प्रभावी हो सकता है. टीम ट्रांसमिशन: जीरो ने मौजूदा 'जीन ड्राइव' तकनीक को नियोजित करके मच्छरों के डिजाइन के संशोधन किया, ये मच्छर मॉडिफिकेशन के डिजाइन को फैलाएंगे और मलेरिया ट्रांसमिशन को कम करेंगे.

प्रोफेसर जॉर्ज क्रिस्टोफाइड्स के मुताबिक, "जीन ड्राइव एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जो दवाओं, टीकों और  मच्छरों को कंट्रोल करने को कंबाइन करके मलेरिया को फैलने से रोका जा सकता है. इससे इंसानों की जान को बचाया जा सकता है. 

यह कैसे काम की?

आम तौर पर, यह बीमारी लोगों के बीच तब फैलती है जब मादा मच्छर किसी ऐसे व्यक्ति को काटती है जो मलेरिया पैरासाइट से संक्रमित होता है. जिसके बाद मच्छर अगले व्यक्ति को काटने में सक्षम हो जाता है. हालांकि, केवल 10 प्रतिशत मच्छर ही इतने लंबे समय तक जीवित रहते हैं कि पैरासाइट ट्रांसमिट करने के लिए पर्याप्त रूप से विकसित हो सकें. रिसर्च टीम ने पैरेसाइट को आंत में विकसित होने में लगने वाले समय को बढ़ाने का काम किया है. 

बताते चलें कि मलेरिया फैलने की संभावना को कम करने में तकनीक एक आवश्यक उपकरण साबित हुई. अगर ये वास्तविक दुनिया की सेटिंग में सुरक्षित और प्रभावी साबित होता है, तो यह मलेरिया को खत्म करने में मदद करने के लिए एक शक्तिशाली नया उपकरण बन सकता है. 

मलेरिया कितना खतरनाक है?

गौरतलब है कि रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, मलेरिया दुनिया भर में सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है. विश्व मलेरिया रिपोर्ट 2021 के अनुसार, दुनिया की लगभग आधी आबादी ऐसे क्षेत्रों में रहती है जहां मलेरिया ट्रांसमिशन का खतरा है. 2020 में, इस बीमारी के कारण लगभग 241 मिलियन लोग बीमार हुए थे और 627,000 मौते हुई थी. इनमें से लगभग 95 प्रतिशत मौतें अफ्रीकी क्षेत्र में हुई थी.