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भारतीय वैज्ञानिकों ने Malaria Virus पर किया शोध, बताया शरीर पर कैसे डालता है प्रभाव

भारत के वैज्ञानिकों ने मलेरिया संक्रमण पर शोध किया हैं. इस शोध में उन्होंने बताया है कि मच्छर के काटने के बाद मलेरिया के वायरस जब शरीर में प्रवेश करते है तो वह किस तरह से अपने आपको बॉडी में बढ़ाते है.

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हाइलाइट्स
  • मलेरिया वायरस का आकार अर्धचंद्र के समान लंबा और घुमावदार होता है

  • मच्छर के लार में होता है मलेरिया का वायरस

मलेरिया से हर साल दुनिया भर में करीब 200 मिलियन लोग संक्रमित होते हैं. मलेरिया की चपेट में लोग वर्षों से आते रहे हैं. वहीं अब जाकर शोधकर्ताओं की एक टीम ने अब जाकर पता लगाया है कि मलेरिया परजीवी कैसे काम करता है. साथ ही यह भी पता लगाया है कि मच्छर के शरीर में ये कैसे उत्पन्न होता है. 

मलेरिया के ऊपर शोध करने वाली टीम ने पाया है कि संक्रमित लार ग्रंथियों में परजीवियों को सामूहिक रूप से जुटाया जाता है. मलेरिया, तीव्र ज्वर की बीमारी, प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होती है, जो संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती है. मलेरिया का यह शोध नेचर फिजिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है. इस शोध में बताया गया है. मलेरिया वायरस ने वातावरण के अनुकूल होने के लिए आवश्यक साधन के रूप में लचीलापन विकसित किया है. वहीं यह शोध  बताता है कि किस तरह से इसका एक वायरस किसी के शरीर में अपने आपको कैसे बढ़ता है. 

मच्छर की लार ग्रंथि में होते है मलेरिया वायरस 
शोध के अनुसार प्लाज्मोडियम परजीवी एकल-कोशिका वाले जीव होते हैं जिन्हें मच्छर के काटने से त्वचा में इंजेक्ट हो जाते है. जो पहले यकृत में और फिर बाद में रक्त में विकसित होता है. चूंकि प्लाज्मोडियम अब तक अपने अधिकांश चरणों में एकल कोशिका के रूप में कार्य करता है, इसलिए इसके सामूहिक गुणों का शायद ही अध्ययन किया गया हो. मच्छर की लार ग्रंथि में, परजीवी का आकार अर्धचंद्र के समान लंबा और घुमावदार होता है, और इसे स्पोरोजोइट के रूप में जाना जाता है.
 
मलेरिया संक्रमण शरीर में मच्छर के काटते ही बल्ड में लगते है बढ़ने 
मलेरिया के ऊपर हुए इस शोध का हिस्सा रहे प्रो. डॉ. फ्रेडरिक फ्रिस्कनेच ने बताया कि जैसे ही मच्छर द्वारा स्पोरोजोइट को त्वचा में इंजेक्ट किया जाता है, व्यक्तिगत परजीवी जल्दी से रक्त वाहिकाओं की ओर बढ़ने लगते हैं. यह संक्रमण का महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह तभी सफल होता है जब कोई रोगज़नक़ रक्त प्रवाह में पहुंचता है.

मलेरिया वायरस का आकार अर्धचंद्र और घुमावदार 
इस शोध को लेकर भारतीय शोधकर्ता डॉ. पिंटू पात्रा ने बताया कि मलेरिया वायरस को लेकर हुए रिसर्च से  न केवल यह पता चलता है कि मलेरिया के परजीवियों का घुमावदार आकार और लचीलापन उनके भंडारण और विभिन्न मेजबान वातावरण में प्रवेश के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सामूहिक व्यवहार के क्षेत्र में आकार-संचालित पैटर्न के गठन का एक नया उदाहरण भी प्रस्तुत करते हैं.