विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 26 नवंबर को कहा कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका में खोजा गया कोरोनावायरस का नया स्ट्रेन, B.1.1.1.529 जिसका नाम 'ओमिक्रॉन' रखा गया है, पूरे विश्व के लिए चिंता का विषय है. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिक डॉ समीरन पांडा - जो देश के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान में महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख भी हैं, के मुताबिक कोविशील्ड और कोवैक्सीन इस स्ट्रेन के खिलाफ कारगर साबित होने की संभावना रखते हैं.
कोविशील्ड और कोवैक्सीन अन्य वैक्सींस से अलग
उन्होंने कहा, “एमआरएनए टीके स्पाइक प्रोटीन और रिसेप्टर इंटरैक्शन पर आधारित होते हैं, इसलिए एमआरएनए टीकों को पहले से देखे गए इस परिवर्तन के अनुसार फेरबदल करने की आवश्यकता है. जबकि कोविशील्ड और कोवैक्सीन हमारे सिस्टम के लिए एक अलग एंटीजन प्रेजेंटेशन के माध्यम से इम्युनिटी या प्रतिरक्षा उत्पन्न करते हैं”.
ओमिक्रॉन वेरिएंट कोविड के अब तक खोजे गए वेरिएंट्स में सबसे ज्यादा तेजी से फैलने वाला और खतरनाक वेरिएंट बताया गया है. वैज्ञानिकों के अनुसार यह बहुत तेजी से म्यूटेट कर सकता है, जो इसे एंटीबॉडी के खिलाफ मदद कर सकता है. यह सबसे पहले बोत्स्वाना में पाया गया था, जिसकी वजह से इसे बोत्स्वाना वेरिएंट का नाम भी दिया गया था.
देश में दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे पीएम
इस चिंता से भारत अछूता नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शीर्ष अधिकारियों के साथ, देश में कोविड की स्थिति और टीकाकरण अभियान पर हाल ही में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, पीके मिश्रा, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और नीति आयोग के सदस्य, डॉ वीके पॉल सहित अन्य मौजूद थे. मोदी ने अधिकारियों को विभिन्न दवाओं के पर्याप्त बफर स्टॉक सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ कोऑर्डिनेट करने को कहा. उन्होंने मानदंडों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय यात्रियों और समुदाय से मिले नमूनों की जीनोम सीक्वेंसिंग करने की भी बात कही.
राज्य सरकारें भी कर रही हैं तैयारी
राज्य सरकारों ने भी इस वेरिएंट के बढ़ते खतरे के मद्देनजर सतर्कता दिखानी शुरू कर दी है. महाराष्ट्र ने कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं करने के लिए लोगों पर दंड की घोषणा की. साथ ही राज्य में आने वाले सभी यात्रियों को (घरेलू या अंतरराष्ट्रीय) भारत सरकार द्वारा जारी निर्देशों के आधार पर मॉनिटर किया जाएगा. राज्य ने आगंतुकों के लिए आरटी-पीसीआर परीक्षण भी अनिवार्य कर दिया है जबकि कर्नाटक सरकार ने हवाई अड्डे पर ही स्क्रीनिंग शुरू कर दी है. कर्नाटक ने केंद्र सरकार से राज्य में तीसरी लहर को रोकने के लिए वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की अनुमति भी मांगी है.