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पहली स्वदेशी CAR-T सेल थेरेपी से कैंसर फ्री हुआ मरीज...जानिए क्या है CAR-T cell therapy और कितने हॉस्पिटल्स में है उपलब्ध

भारत के दवा नियामक की ओर से सीएआर-टी सेल थेरेपी के कॉमर्शियल उपयोग को मंजूरी मिलने के महीनों बाद कई अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. ये थेरेपी कई रोगियों के लिए जीवनरक्षक बन गई है और इन्हीं में से एक हैं दिल्ली स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ गुप्ता.

CAR-T Cell therapy CAR-T Cell therapy

कुछ महीने पहले, भारत के दवा नियामक सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO)ने सीएआर-टी सेल थेरेपी (CAR-T cell therapy) के कॉमर्शियल इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. थेरेपी में कैंसर से लड़ने के लिए रोगी के इम्यून सिस्टम को जेनेटिकली री-प्रोग्राम किया जाता है.

कितना आता है खर्च 
आज, यह थेरेपी कई रोगियों के लिए जीवनरक्षक बन गई है, जिनमें दिल्ली स्थित गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. (कर्नल) वीके गुप्ता भी शामिल हैं. डॉ. (कर्नल) वीके गुप्ता के पास भारतीय सेना में काम करने का 28 साल का अनुभव है. उन्होंने केवल 42 लाख रुपये (50,000 डॉलर) का भुगतान करके थेरेपी ली, जबकि विदेशों में इसी तरह की थेरेपी की कीमत 4 करोड़ (480,000 डॉलर) तक है.

थेरेपी लेने वाले पहले मरीज
टाटा मेमोरियल अस्पताल में कर्नल गुप्ता की सर्जरी हुई थी. वहां के डॉक्टरों ने बताया कि वर्तमान में कर्नल गुप्ता कैंसर से मुक्त हैं. गुप्ता यह दर्जा हासिल करने वाले पहले मरीज हैं, जिसके बारे में वह सिर्फ एक साल पहले ही सपना देख सकते थे. गुप्ता पर थेरेपी करने वाले डॉक्टर ने कहा कि वह कैंसर कोशिकाओं से पूरी तरह मुक्त हैं. टाटा मेमोरियल सेंटर के एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (ACTREC)में हेमाटो-ऑन्कोलॉजिस्ट (hemato-oncologist)और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हसमुख जैन कहते हैं, "हालांकि ये कहना जल्दबाजी होगी कि ये इलाज आजीवन काम करेगा, लेकिन मरीज वर्तमान में कैंसर कोशिकाओं से मुक्त है." 

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हालांकि, डॉक्टर ने कहा कि थेरेपी की सफलता दर के बारे में बताना अभी जल्दबाजी होगी. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक निष्कर्ष में ये पाया गया कि अगर कैंसर का प्रारंभिक चरण में पता चल जाए तो रोगियों के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. इसके लिए अभी इस पर कई सालों तक अध्ययन किया जाना बाकी है.

अभी कहां-कहां उपलब्ध है
थेरेपी, NexCAR19, ImmunoACT ने विकसित की है, जो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IITB), IIT-B और टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में स्थापित कंपनी है. यह बी-सेल कैंसर (प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाओं में बनने वाले कैंसर के प्रकार) जैसे ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के इलाज पर केंद्रित है. CDSCO ने अक्टूबर 2023 को इसके कॉमशियल इस्तेमाल की अनुमति दी थी. अभी ये थेरेपी भारत के 10 शहरों के 30 हास्पिटलों में उपलब्ध है. 15 साल से अधिक आयु के मरीज, जो बी-सेल कैंसर से पीड़ित हैं, उपचार के लिए पात्र हैं.

क्या है CAR-T सेल थैरेपी ?
काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर CAR-T सेल थैरेपी से ब्लड कैंसर का इलाज किया जाता है. इस थेरेपी का इस्तेमाल लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया और बी-सेल लिंफोमा जैसे गंभीर कैंसर के इलाज में किया जाएगा. एंटीजन रिसेप्टर (सीएआर)-टी सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक एडवांस तकनीक है. इस तकनीक की मदद से मरीज के शरीर में मौजूद वाइट ब्लड सेल्स के टी सेल्स को निकाला जाता है. इसके बाद टी सेल्स और वाइट ब्लड सेल्स को अलग करके संशोधित करने के बाद मरीज के शरीर में डाला जाता है. ये प्रक्रिया एक ही बार की जाती है. इसके बाद शरीर में टी सेल्स कैंसर से लड़ने और उन्हें खत्म करने का काम करते हैं. अमेरिका में साल 2017 में इस थैरेपी को मंजूरी दी गई थी. 
 

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