scorecardresearch

Albinism Awareness Day 2023: क्या है ऐल्बिनिज्म, क्यों होता है, जानें इस बीमारी के लक्षण और बचाव के उपाय

What is Albinism Disease: ऐल्बिनिज्म एक अनुवांशिक रोग है, जो पैरेंट्स के जरिए बच्चों को हो सकता है. इसके अलावा, त्वचा, बाल, आंखों को रंग प्रदान करने वाला तत्व मेलानिन जब घटने लगता है तो यह बीमारी शुरू हो सकती है.

ऐल्बिनिज्म से पीड़ित बच्चे (फोटो ट्विटर) ऐल्बिनिज्म से पीड़ित बच्चे (फोटो ट्विटर)
हाइलाइट्स
  • 13 जून को मनाया जाता है इंटरनेशनल ऐल्बिनिज्म अवेयरनेस डे

  • ऐल्बिनिज्म जन्म के समय मौजूद रहने वाला है विकार 

हर साल 13 जून को इंटरनेशनल ऐल्बिनिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 18 दिसंबर 2014 को इस दिवस को मनाने के संकल्प की घोषणा की थी. इसके बाद 2015 से लगातार मनाया जा रहा है. इस दिवस को मनाने का मकसद इस रोग से ग्रसित लोगों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को रोकना है. आज भी इस बीमारी के प्रति लोगों को पूरी तरह से जानकारी नहीं है. आइए जानते हैं क्या है ऐल्बिनिज्म, इसके लक्षण और कारण.  

क्या है ऐल्बिनिज्म
लैटिन शब्द ऐल्बस (सफेद) से ऐल्बिनिज्म की उत्पत्ति हुई है. ऐल्बिनिज्म यानी रंगहीनता जन्म के समय मौजूद रहने वाला एक विकार है. ऐल्बिनिज्म एक अनुवांशिक रोग है. यह रोग त्वचा, बालों और आंखों से संबंधित है. यह एक ऐसी बीमारी है जो इंसान, जानवर और पेड़-पौधे किसी को भी हो सकती है. इसे सफेद दाग वाली बीमारी भी कहते हैं. किसी-किसी में ये रोग जन्म से ही नजर आने लगता है. इस बीमारी से ग्रसित लोगों को त्वचा कैंसर होने का खतरा अधिक होता है.

ऐल्बिनो को जानने से पहले मेलेनिन के बारे में समझना पड़ेगा. मेलेनिन एक प्रकार का पदार्थ है, जो हमारे शरीर में पाया जाता है. मेलेनिन की कितनी मात्रा हमारे त्वचा में मौजूद है, इसी आधार पर हमरी त्वचा के रंग का निर्धारण होता है. जब बच्चे का शरीर उचित मात्रा में मेलेनिन का निर्माण नहीं कर पता है तब बच्चे के बाल और आंखों का रंग हल्का हो जाता है. कभी-कभी इस बीमारी में बच्चे का पूरा शरीर प्रभावित होता है जबकि कुछ मामलों में केवल बच्चे की आंखे ही प्रभावित होती हैं. अल्बिनो से प्रभावित बच्चों की आंखे दिखने में भूरी दिखती हैं. कभी-कभी आखें गुलाबी या लाल भी दिख सकती हैं.

जानिए इसके कारण
1.  जब माता और पिता दोनों के शरीर में ऐल्बिनिजमजीन होते हैं, तो उनसे पैदा होने वाले बच्चे को ऐल्बिनिजम होने की संभावना होती है. ऐसी संभावना 4 में से 1 मामले में देखी जाती है. 
2. ऐल्बिनिजम तब होता है, जब मानव शरीर भोजन को मेलेनिन में परिवर्तित करने में विफल रहता है. यह एक आनुवंशिक स्थिति है. भारत में लोग आमतौर पर सोचते हैं कि यह तब होता है जब मछली और दूध एक साथ खाए जाते हैं. यह एक गलतफहमी है.
3. न्यिस्टागमस एक ऐसी स्थिति है जो ऐल्बिनिजम से जुड़ी हुई है. इसमें आंखें तेजी से बाएं से दाहिनी ओर घूमती हैं, जो आपकी दृष्टि को प्रभावित करती हैं. मेलेनिन की कमी से सूर्य की किरणें आंखों पर ज्यादा प्रभाव डालती हैं और आपकी नजर धुंधली हो जाती है.
4. पिगमेंट मेलेनिन के आधार पर लगभग 10 से अधिक विभिन्न प्रकार के ऐल्बिनिजम के मामले देखे जा सकते हैं.
5. ऐल्बिनिजम एक ऐसी स्थिति है, जो केवल मनुष्यों में नहीं, बल्कि जानवरों और पौधों में भी देखी जाती है.

ऐल्बिनिज्म के लक्षण
1. ऐल्बिनिज्म के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग नजर आ सकते हैं. 
2. त्वचा पर झाइयों की समस्या होना.
3. त्वचा का रंग हल्का होना.
4. बालों का रंग भूरा, पीला और सफेद होना.
5. आईब्रो, आईलैशेज का रंग पीला या गोल्डन होना.
6. आंखों का रंग हल्का नीला या ब्राउन हो जाना.
7. थोड़ी रौशनी होने पर आंखों का रंग लाल दिखना.
8. आंखों से संबंधित समस्याएं होना जैसे फोटोफोबिया, नियरसाइटेडनेस.

कैसे करें बचाव
ऐल्बिनिज्म या रंगहीनता का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस डिसऑर्डर से ग्रस्त लोग अपनी त्वचा और आंखों को सुरक्षित रखने, अपनी दृष्टि क्षमता को बढ़ाने के लिए कुछ खास उपायों को आजमा सकते हैं. आपको जैसे ही दिखे की आपकी त्वचा, बालों और आंखों के रंग में बदलाव हो रहा है, तो डॉक्टर के पास जरूर जाएं. जन्म के बाद शिशु में ये लक्षण दिखें तो भी डॉक्टर को दिखाएं. 

यदि परिवार के किसी सदस्य को ऐल्बिनिज्म है, तो जेनेटिक काउंसलर आपको ऐल्बिनिज्म के प्रकार के बारे में बताएगा. साथ ही, इस समस्या के बच्चे में होने की संभावना कितनी हो सकती है, इसके बारे में सही जानकारी देने में मदद कर सकता है. कुछ आवश्यक उपलब्ध टेस्ट के बारे में भी जानकारी दे सकता है. धूप में निकलें तो सनस्क्रीन का यूज करें. बड़ी सी टोपी पहनें. जितना हो सके त्वचा को धूप में बचाए रखने की कोशिश करें, ताकि आपको सनबर्न और स्किन कैंसर की समस्या ना हो. धूप व यूवी किरणों से बचाने वाले कपड़े पहनें.