हम सब जानते हैं कि रिफाइंड अनाज हमारे दिल की सेहत के लिए अच्छा नहीं है. अब तक लोग इसे धारणा करते थे लेकिन अब यह क्लिनिकली साबित हो चुका है. दरअसल, 2,099 ईरानी व्यक्तियों पर हुए एक अध्ययन से पता चला है कि रिफाइंड अनाज - शेल्फ लाइफ को बढ़ाने के लिए पिसे हुए आटे का सेवन के कारण प्रीमैच्योर कोरोनरी आर्टरी की बीमारी बढ़ने का रिस्क होता है.
इसका मतलब है कि आर्टरी की वॉल्स (दीवारों/परतों) पर कोलेस्ट्रॉल बनने लगता है. जिसका वजह से पुरुषों में 55 वर्ष की आयु से पहले और महिलाओं में 65 वर्ष की आयु से पहले ही आर्टरी सिकुड़ने लगती हैं. दूसरी ओर साबुत अनाज या मिलेट्स के सेवन से यह रिस्क कम होता है.
आहार में कम हो सरल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा
इस बार में एम्स में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ राकेश यादव ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि रिफाइंड अनाज खाना, शक्कर और तेल खाने के समान है. ऐसा इसलिए है क्योंकि चोकर और फाइबर को हटाने से अनाज का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बढ़ जाता है. उनका कहना है कि अपने आहार से सरल कार्बोहाइड्रेट की मात्रा को कम करने का प्रयास हमें करना चाहिए.
ईरानी स्टडी में भाग लेने वाले पुरुषों और महिलाओं की कोरोनरी एंजियोग्राफी हुई थी. यह आर्टरी वाहिकाओं (वेसल्स) में ब्लड फ्लो की जांच करती है. इन लोगों में से लगभग आधे लोगों में सामान्य धमनियां (आर्टरी) पाई गईं, जबकि अन्य में एक कोरोनरी धमनी में कम से कम 75 प्रतिशत या बाईं मुख्य कोरोनरी धमनी में 50 प्रतिशत रुकावट थी. फिर इन मरीजों के फूड पैटर्न को समझने के लिए एक सर्वे किया गया.
मिलेट्स को करें खाने में शामिल
इस्फहान यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज, ईरान में हुई इस स्टडी के प्रमुख लेखक खाजवी गस्करेई का कहना है कि ग्लोबल लेवल पर रिफाइंड अनाजों की खपत बढ़ी है. और हमारी सेहत पर इनका प्रभाव भी बढ़ा है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि हम साबुत अनाज की खपत के के बारे में लोगों को जागरूक और प्रोत्साहित करने के तरीके खोजें.
इसके लिए, ज्यादातर डॉक्टर्स सलाह देते हैं कि आटा हमेशा चोकर वाला खरीदना चाहिए. खाने में मिलेट्स जैसे ज्वार और बाजरा शामिल करना चाहिए. मौसमी और स्थानीय फलों का सेवन करें. साथ ही, आहार में कार्बोहाइड्रेट की कुल मात्रा को कम करने का प्रयास करना चाहिए.