हरियाणा के झज्जर में भारत का सबसे बड़ा कैंसर हॉस्पिटल बनकर तैयार हो चुका है. 1000 करोड़ की लागत से बना यह हॉस्पिटल हरियाणा और इससे सटे राज्यों के लोगों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभर रहा है. भारत के अलग-अलग राज्यों से लोग कैंसर का इलाज कराने राजधानी दिल्ली एम्स आते हैं.
मगर मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण बहुत मुश्किल होती है. बहुत बार तो अस्पताल में बेड मिलना भी मुश्किल हो जाता है. इस कारण ही भारत सरकार ने दिल्ली से लगभग 75 किलोमीटर दूर हरियाणा के झज्जर में कैंसर के लिए स्पेशल अस्पताल बनाया है जो दिल्ली एम्स की ही एक शाखा है.
मरीजों के लिए 710 बेड
झज्जर में बना यह कैंसर हॉस्पिटल 710 बेड की क्षमता वाला हॉस्पिटल है, यानी एक साथ 700 के करीब मरीजों को एडमिट किया जा सकता है. बेड की संख्या बढ़ने से यहां पर ज्यादा से ज्यादा मरीजों का इलाज किया जा सकता है. पूरे अस्पताल के लिए भारत सरकार ने 1000 करोड़ का बजट पारित किया था. इस अस्पताल के शुरू होने से दिल्ली एम्स पर बोझ कुछ कम होगा और लोगों को भी इलाज समय रहते मिल सकेगा.
मरीजों के परिजनों के लिए भी इंतजाम
सरकारी अस्पतालों में सिर्फ मरीज ही नहीं बल्कि उनके साथ आए परिजन भी परेशानी झेलते हैं. दरअसल, सरकारी अस्पताल में मरीज की देखभाल के लिए कोई न कोई परिजन चाहिए होता है. लेकिन ऐसे में मरीज तो अस्पताल में तो भर्ती हो जाता है लेकिन दूर-दराज से आए परिजनों को अस्पताल में कोई जगह नहीं मिलती है.
जिस कारण उन्हें कभी सड़क-फुटपाथ पर तो कभी अस्पताल के गेट पर सोना पड़ता है. लेकिन झज्जर के इस कैंसर हॉस्पिटल में परिजनों के लिए भी एक अलग से वार्ड बनाया गया है. एक ब्लॉक में 710 बेड की सुविधा उपलब्ध कराई गई है जहां 140 रुपए में रहने और दो समय के खाने-पीने की व्यवस्था है.
ब्लड सेंटर भी है मौजूद
कैंसर के मरीजों के इलाज में कई बार ब्लड की जरूरत पड़ती रहती है. इस बात को ध्यान में रखते हुए अस्पताल के अंदर ही ब्लड सेंटर बनाया गया है. जहां पर ब्लड डोनेशन से लेकर बल्ड स्टोर करने के लिए भी अलग से डिपार्टमेंट का बनाया गया है. एसपी डोनेशन के लिए भी अलग से केबिन है, साथ ही, इस ब्लड की सप्लाई फुल रोबोटिक की जाती है.
इसका मतलब है कि एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट में ब्लड ऑटोमेशन और रोबोट्स की मदद से जाता है. इतना ही नहीं, झज्जर एम्स हरियाणा के अलग-अलग इलाकों में समय-समय पर ब्लड डोनेशन कैंप भी लगता है ताकि हॉस्पिटल में कभी भी किसी भी मरीज को खून की कमी ना हो पाए.
लगाई गई हैं एडवांस मशीन
वर्ल्ड क्लास टेक्नोलॉजी वाली टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट की मशीन इस कैंसर हॉस्पिटल में लगाई गई हैं. कैंसर को अस्पताल में ही डिटेक्ट करके यहीं पर हराने की कोशिश की जा रही है और उसके लिए, एडवांस टेस्टिंग मशीन भी यहां लगाई गई है. कैंसर के इलाज में सबसे उपयोगी ट्रीटमेंट होता है कीमो और रेडियो थेरेपी. इन थेरेपी के लिए भी बड़ी-बड़ी मशीन लगाई गई हैं,
झज्जर एम्स में फिलहाल दिल्ली एम्स की टीम मरीजों का इलाज कर रही है. हालांकि, आने वाले समय में यहां के लिए अलग से हायरिंग करके मैनपॉवर बढ़ाई जाएगी. हाल-फिलहाल में यह एम्स पूरी तरीके से बनकर तैयार हो चुका है. हालांकि, अभी आधी क्षमता में ही अस्पताल ऑपरेशनल है यानी 350 बेड ही मरीजों को दिए जा रहे हैं. एम्स झज्जर कैंसर अस्पताल का कहना है कि वह आने वाले एक साल में अपनी पूरी क्षमता के मुताबिक मरीजों का इलाज कर पाएंगे.
इस अस्पताल की खास बात यह है कैंसर की जा थेरेपी प्राइवेट अस्पताल में लाखों में होती है वह थेरेपी इस कैंसर हॉस्पिटल में मात्र ₹700 में हो रही है. इसी तरह कैंसर के इलाज का पूरा खर्च ही यहां पर बहुत ज्यादा कम है.