कोरोना के बाद बीमारियों का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है. एक के बाद एक नई बीमारी दस्तक दे रही है. ऐसी ही एक बीमारी अभी सरदर्द बनी हुई है जिसका नाम है लंपी वायरस. उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाके में लंपी वायरस का कहर लगातार बढ़ता नजर आ रहा है तो वहीं इसका सीधा असर गाय के दूध और उसके उत्पादन में भी देखने को मिल रहा है. उत्तर प्रदेश में अब तक 25 जनपदों में लंपी वायरस पहुंच चुका है इसका सबसे ज्यादा असर मुजफ्फरनगर, सहारानपुर और अलीगढ़ में देखा जा रहा है. प्रदेश में 15 लाख से भी ज्यादा मवेशी इस बीमारी का शिकार हो गए हैं. 25 हजार मवेशी सीधे तौर पर इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके हैं.
लगातार बढ़ता लंपी वायरस गायों की जान के लिए खतरनाक तो है ही वहीं गाय का दूध, गोमूत्र और गोबर पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है . इस बढ़ते सक्रंमण के मद्देनजर लखनऊ मंडल के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी और विशेषज्ञ अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि लंपी वायरस का असर गाय के दूध में दिखाई दे रहा है और दूध में भी वायरस के तत्व पाए जाते हैं.
कैसे बचें इस वायरस से
गाय के दूध में मौजूद संक्रमित वायरस को खत्म करने के लिए दूध को लंबे समय तक उबालना या फिर पाश्चराइजेशन के जरिए इस्तेमाल करना बेहतर ऑप्शन है. बता दें कि दूध को देर तक गर्म करने से वायरस पूरी तरीके से नष्ट हो जाता है, और ये दूध इंसान को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता. लेकिन बच्चों के लिए ये दूध काफी खतरनाक हो सकता है. ये दूध बछड़े के लिए भी काफी नुकसानदायक होता है.
वहीं दूसरी तरफ लंपी वायरस का शिकार हुई गायों के जीवन दर में कोई कमी नहीं होने की बात कही जा रही है. लेकिन इसका सीधा असर उसके दूध उत्पादन और गर्भाशय पर पड़ता है. एक्सपर्ट के मुताबिक इस बीमारी का सीधा असर दूध के 50 फ़ीसदी उत्पादन को कम कर देता है.
एक्सपर्ट का मानना है कि गोमूत्र और गोबर में लंपी वायरस का कोई भी असर नहीं दिखाई देता है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि सक्रंमित गाय इस वायरस के कैरियर ना बने, बता दें कि गाय की लार या उसका संक्रमित रक्त दूसरे जानवर को लगने पर संक्रमण फैल सकता है.