सरोगेसी यानि किराये की कोख. पिछले दिनों एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस सरोगेसी के जरिये पैरेंट्स बने हैं. इसको लेकर हर तरफ काफी चर्चा है. बॉलीवुड में पिछले कुछ सालों से तो कई स्टार्स सरोगेसी का सहारा लेकर पैरेंट्स बने हैं. ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सरोगेसी का सहारा क्यों लेना पड़ता है और जो महिला इसके जरिये बच्चे पैदा करती है, उसे कितनी बार ऐसा करने की इजाजत है. भारत में सरोगेसी को लेकर क्या नियम-कानून हैं?
भारत में सरोगेसी कर्मशियल नहीं
सबसे पहले आपके यह बता दें कि भारत में सरोगेसी कमर्शियल नहीं है. इसका मतलब ये कि सरोगेसी को किराये की कोख तो कहा जाता है लेकिन इसके लिए कोई भुगतान करना गैरकानूनी है. मतलब ये कि सरोगेसी कोई कारोबार नहीं है. भारत में परोपकार या सामाजिक हित में ही सरोगेसी से बच्चे पैदा करने की अनुमति है. जो महिलाएं सरोगेट मदर बनती हैं उन्हें इसके लिए कोई भुगतान नहीं किया जाता है.
पहले यह देखा गया कि गरीब महिलाएं आर्थिक तंगी के चलते सरोगेसी अपनाती थीं. इसके लिए दंपति उन्हें अच्छे पैसे देते थे और वह मां बनने को तैयार हो जाती थी. इससे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता था. लेकिन, अब इस पर पूरी तरह से बैन है.
सरोगेसी को लेकर कानूनी बंदिशें
सरोगेसी से बच्चा पैदा करने का मतलब है कि जो महिला खुद से बच्चे पैदा नहीं कर सकती वह किराये की कोख का सहारा लेती है. इसमें कुल तीन लोग शामिल होते हैं. दंपति और महिला जो बच्चे पैदा करती है. ये एक मेडिकल प्रक्रिया है जिससे तीनों को गुजरना होता है. मेडिकल प्रक्रिया होने के साथ-साथ इसको लेकर कुछ कानूनी बंदिशें भी हैं ताकि कोई इसका दुरुपयोग नहीं कर सके. दंपति को बच्चा भी मिल सके और किराये का कोख देने वाली मां के साथ कोई नाइंसाफी नहीं हो सके.
ये महिलाएं बन सकती हैं सरोगेट मदर
भारत में नियम के मुताबिक हर महिला सरोगेट मदर नहीं बन सकती है. सबसे पहले यह जरूरी है कि जो महिला सरोगेट मदर बनेगी वह पूरी तरह से स्वस्थ हो. साथ ही मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट का होना जरूरी है. महिला तीसरी गर्भावस्था तक ही सरोगेसी कर सकती है.
आसान भाषा में कहा जाए तो जिस महिला का एक बच्चा है वह दो बार सरोगेसी कर सकती है. जिस महिला का पहले से दो बच्चा है वह एक बार सरोगेसी कर सकती है. अगर किसी महिला के कोई बच्चे नहीं हैं तो वह तीन बार सरोगेसी कर सकती है. कोई पहले से तीन बच्चों की मां है तो उसे सरोगेसी की सलाह नहीं दी जाती है. ऐसा करने से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है.