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तनाव कम करने के लिए बढ़ाएं Heart Rate Variability, जानिए क्या है ये और कैसे है मददगार

कई अप्रत्याशित परिस्थितियों में व्यक्ति का हार्ट रेट अचानक बढ़ जाता है. जिसके चलते व्यक्ति तनाव में आ जाता है. लेकिन उसके बाद वह धीरे-धीरे नार्मल हो जाता है. नार्मल होने के पीछे का कारण हार्ट रेट वरियाबिलिटी (HRV) होता है. जिसके बढ़ने पर व्यक्ति का तनाव कम होता जाता है.

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हाइलाइट्स
  • हार्ट रेट बढ़ने की स्थिति को सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम कहते है

  • दबाव से बाहर निकलने की स्थिति को पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम कहते है

कई बार ऐसा होता है कि कुछ परिस्थितियों में हार्ट रेट या ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता है. ब्लड प्रेशर बढ़ने के साथ ही वह व्यक्ति काफी मानसिक तनाव में भी आ जाता है. जिसके चलते वह काफी परेशान रहने लगता है. जैसे- किसी काम के खराब होने पर बॉस का कर्मचारी का डांट देना, ऐसे में व्यक्ति की परिस्थिति असामान्य हो जाती है. जिसके चलते उसकी हार्ट रेट बढ़ जाती है. जो धीरे-धीरे सामान्य हो जाती है. हार्ट रेट सामान्य होने के पीछे का कारण एक शोध में बताया गया है. जिसके मुताबिक हार्ट रेट वरियाबिलिटी (HRV) बढ़ने से व्यक्ति जल्दी से रिलैक्स हो जाता है.

कैसे करता है काम
शोध के मुताबिक दिल धड़कने के बीच की अवधि में जब उतार-चढ़ाव होता है तो उसे हार्ट रेट वरियाबिलिटी (HRV) कहते हैं. इसके बढ़ने से पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम तेज गति से एक्टिव होता है. जो सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को डीएक्टिवेट करना है. ऐसा होने पर व्यक्ति जल्दी से सहज और सामान्य महसूस करने लगता है. जिसके बढ़ने से ही उनका तनाव कम होता जाता है. 

सिम्पेथेटिक और पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम
जब व्यक्ति का ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ता जाता है जो उस परिस्थिति को सिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम कहते है. वही जब व्यक्ति तनाव और दबाव की स्थिति से बाहर निकालने के बाद एकदम रिलैक्स महसूस करता है तो उस परिस्थिति को पैरासिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम कहते है. देखा जाए तो ये दोनों एक दूसरे के विपरीत काम करते है. 

इस तरह बढ़ा सकते हैं हार्ट रेट वरियाबिलिटी
हार्ट रेट वरियाबिलिटी बढ़ाने के लिए अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करना होगा. सबसे पहले आपको अपनी लाइफस्टाइल में रोजाना नियमित रूप से एक्सरसाइज करने को शामिल करना होगा. वहीं इसे बढ़ाने के लिए आप अनुलोम-विलोम कर सकते हैं. अपनी डाइट में पोषक तत्वों को शामिल करना होगा. जिससे एचआरवी में बढ़ोतरी हो. किसी व्यक्ति में एचआरवी 100 मिलीसेकंड को सबसे सही माना जाता है. लेकिन हर व्यक्ति का अलग-अलग एचआरवी होती है.