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भारत में हर 5 में से 1 महिला को होती है ये बीमारी, जानिए PCOS के Symptoms, Causes और Treatment

एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म डिपार्टमेंट की एक रिसर्च से पता चलता है कि भारत में 20-25 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं. जहां पीसीओएस से पीड़ित 60 फीसदी महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 35-50 फीसदी को फैटी लीवर है.

PCOD PCOD
हाइलाइट्स
  • Pcos से पीड़ित 60 फीसदी महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं

  • लोगों की फिजिकल एक्टिविटी हो गयी है काफी कम

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारी फिजिकल एक्टिविटी कहीं न कहीं कम हो गई हैं. जिसके कारण हमें नई-नई बीमारियों ने घेर लिया है. कई बीमारियां ऐसी हैं जिनके बारे में हमें बहुत बाद में पता चलता है. पीसीओएस या पीसीओडी (PCOS or PCOD) एक ऐसी ही बीमारी है. 12 से 45 साल की महिलाओं में ये बीमारी 5 से 10 प्रतिशत तक पाई जाती है. भारत में 9 से 19 साल की लड़कियों में अगर इस बीमारी का प्रतिशत देखें तो ये लगभग 20% है. ये बीमारी शहरी इलाकों में ज्यादा पाई जाती है.

क्या है पीसीओडी?

पीसीओडी का मतलब है पोलिसिस्टिक ओवेरी सिंड्रोम (Polycystic ovary syndrome), ये एक कॉम्प्लेक्स मेडिकल प्रॉब्लम है जो आजकल काफी कॉमन होती जा रही है. आसान भाषा में समझें, तो हार्मोनल इम्बैलेंस के कारण ओवरीज़ का फंक्शन ठीक से हो नहीं पाता है. दरअसल, हर महीने ओवरी में ओव्युलेशन  होता है जिससे कोई भी महिला प्रेग्नेंट होती है, जब ओवुलेशन नहीं होता है तो ओवरी में छोटी छोटी सिस्ट यानि गांठे बन जाती हैं, जिससे इसका नाम पड़ा है पोलिसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम.

क्या कहते हैं आंकड़ें?

आंकड़ों पर जाएं, तो एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिज्म डिपार्टमेंट की एक रिसर्च से पता चलता है कि भारत में 20-25 प्रतिशत महिलाएं पीसीओएस से पीड़ित हैं. जहां पीसीओएस से पीड़ित 60 फीसदी महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं, वहीं 35-50 फीसदी में फैटी लीवर है. लगभग 70 प्रतिशत में इंसुलिन रेसिस्टेंट होता है, 60-70 प्रतिशत में एण्ड्रोजन का लेवल हाई  होता है और 40-60 प्रतिशत में ग्लूकोज इन्टॉलरेंस होता है.

दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में किए गए अध्ययनों में पीसीओएस के आंकड़ों की बात करें, तो ये 9.13 प्रतिशत और 22.5 प्रतिशत हैं.

क्या कारण हैं?

इसका सबसे बड़ा कारण होता है हार्मोनल इम्बैलेंस (Hormonal Imbalance). जब शरीर में हार्मोन्स बिगड़ जाते हैं और जिस तरह उन्हें फंक्शन करना चाहिए उस तरह नहीं करते हैं तब ये बीमारी होती है. तीरथ राम शाह हॉस्पिटल में गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर रश्मि कहती हैं इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं. वे कहती हैं, “ये पारिवारिक हो सकती है. कई बार अगर आपकी बहन को, मां को या नानी को ये बीमारी है तो आपको भी ये हो सकती है.” इसके साथ हार्मोनल इम्बैलेंस भी इसका बहुत बड़ा कारण है. महिला के शरीर में एक इन्सुलिन नाम का हार्मोन होता है, जो हमारे शरीर में ग्लूकोज को कंट्रोल में रखता है. जिसकी वजह से इन्सुलिन गड़बड़ा जाता है.             

Pcos होने पर क्या समस्याएं आती हैं?

इस बीमारी में एंड्रोजन हाई हो जाता है, जिसकी वजह से चेहरे पर मुंहासे हो जाते हैं, जो शादीशुदा औरतें हैं उनको प्रेगनेंसी में प्रॉब्लम आ सकती है. वहीं शरीर में ज्यादा बाल आ सकते हैं. इसके साथ पीरियड्स होने में दिक्कत आ सकती है यानी आपकी पीरियड साइकिल बिगड़ सकती है. इसके साथ, इसमें ओबेसिटी भी एक सबसे बड़ा कारण है. मोटापा बढ़ता है तो इससे पीसीओएस हो सकता है. और एक बार अगर पीसीओएस हो जाता है तो फिर वजन कम करना काफी मुश्किल हो जाता है. 

फिजिकल एक्टिविटी हो गयी है काफी कम 

इसके साथ डॉक्टर रश्मि कहती हैं कि अब लोगों की फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है, हम अपने घरों में ही बैठे रहते हैं. जो इसके कारणों में से एक है. हमारा लाइफस्टाइल सीधे शरीर पर इफ़ेक्ट डालता है. हमारी डाइट भी इसका कारण है. हम घर के खाने को पसंद न करके बाहर का खाना पसंद करते हैं. जंक फ़ूड जैसे बर्गर, पिज़्ज़ा हमारी ज़िन्दगी का हिस्सा बन चुके हैं. इसकी वजह से हमारे शरीर को जो प्रोटीन और विटामिन मिलने चाहिए वो नहीं मिल पाते हैं.  

डॉक्टर के पास कब जाएं?

डॉ. रश्मि कहती हैं कि जब आपकी पीरियड साइकिल में दिक्क्त आनी  शुरू  हो जाए और जब लगे की आपको पीरियड्स नार्मल नहीं हो रहे हैं , तो डॉक्टर के पास जाएं. अगर शरीर का वजन एकदम से बढ़ने लगे तो डॉक्टर के पास जाएं. या जब चेहरे पर बाल आने शुरू हो जाएं तब भी लड़कियां हमारे पास आती हैं. इन सबके होने से अक्सर महिलाएं डिप्रेशन में चले जाती हैं. लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है कि आप समय से डॉक्टर के पास जाएं.

क्या कोई परमानेंट ट्रीटमेंट है?

इसका कोई परमानेंट ट्रीटमेंट नहीं है. ये जिंदगी भर चलती है, हालांकि इस बीमारी के सिम्पटम्स को कंट्रोल किया जा सकता है. अगर उन्हें कंट्रोल में रखा जाए तो बीमारी अपने आप कम होती चली जाती है, ये एक लॉन्ग टर्म बीमारी है. जरूरी है कि अपनी हेल्थ का ख्याल रखें. एक्सरसाइज करें, डाइट सही रखें, हेल्दी फ़ूड खाएं.