ज्यादातर लोग खाना पकाने के लिए एलपीजी गैस का इस्तेमाल करते हैं. पहले जहां ये कहा जाता था कि कोयला और लकड़ी पर खाना बनाने से सांस संबंधी बीमारियां हो सकती हैं लेकिन ताजा रिसर्च अब ये कहती है कि एलपीजी गैस पर भी खाना बनाना अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करने से कम नहीं है. लकड़ी से निकलने वाले धुएं के कारण कई स्वास्थ्य समस्याएं होती थीं इसलिए एलपीजी को एक सुरक्षित विकल्प माना गया. अब, एक नए अध्ययन में ये खुलासा हुआ है कि रसोई गैस सेहत के लिए खतरनाक है. ऑस्ट्रेलिया की न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है अब एलपीजी गैस का विकल्प खोजने का वक्त भी आ गया है.
रसोई गैस से हो रहीं सांस संबंधी बीमारियां
लगातार ऐसे सबूत मिल रहे हैं कि खाना बनाने का यह तरीका सेहत के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी स्वस्थ नहीं है. रिसर्च के प्रमुख प्रो. ग्रीन के मुताबिक जब आप गैस जलाते हैं तो असल में आप मीथेन को जला रहे होते हैं, जिससे नाइट्रोजन-ऑक्सीजन मिलकर नाइट्रो ऑक्साइड बनते हैं जो जहरीले कण हैं. इससे दमा समेत कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. आपको बता दें, मीथेन, सबसे खतरनाक ग्रीनहाउस गैस है. जो कार्बन डाई ऑक्साइड से 25 गुना ज्यादा गर्मी अपने अंदर कैद करती है.
उन्होंने कहा, "हम स्टोव पर आमतौर पर खाना बनाते हैं. इसका मतलब ये है कि आपका प्रदूषण से नियमित तौर पर वास्ता पड़ता है क्योंकि चेहरा गैस के करीब होता है. बच्चों को दमे का रोग होने में कुकिंग गैस से होने वाले उत्सर्जन की बड़ी भूमिका है. अब हमारे पास विकल्प हैं जो ज्यादा सुरक्षित हैं और पर्यावरण के भी अनुकूल हैं.''
वैज्ञानिकों ने इसे बताया विकल्प
ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि हर 8 में से 1 अमेरिकी बच्चे को दमा की वजह रसोई गैस है. बात करें भारत की तो यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता देश है. गैस पर खाना बनाने से घर की हवा 5 गुनी ज्यादा प्रदूषित होती है. अध्ययन में यह सलाह दी गई है कि एलपीजी की जगह इंडक्शन या बिजली के चूल्हों का इस्तेमाल करें. इसे कुकिंग गैस के सबसे सक्षम विकल्प के रूप में देखा जा रहा है.