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ईटिंग डिसऑर्डर को ठीक करने में मदद कर सकता है 'मैजिक मशरूम',  साइकेडेलिक्स के उपयोग से एनोरेक्सिया का इलाज है संभव

वजन बढ़ने को लेकर कुछ लोग काफी कॉन्शियस रहते हैं. उन्हें हमेशा ये डर सताता है कि कहीं उनका वजन न बढ़ जाए. ऐसे में लोग सबसे पहले अपने भोजन की मात्रा को कम कर देते हैं, इसे हम एनोरेक्सिया नर्वोसा बीमारी कहते हैं. ये एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है.

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हाइलाइट्स
  • एनोरेक्सिया नर्वोसा एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है

  • वजन बढ़ने के डर से लोग अपने भोजन की मात्रा को कम कर देते हैं

हम सबकी खाने की आदत एक दूसरे से अलग होती हैं. खुद को हेल्दी रखने के लिए हमारा खाने का रूटीन भी अलग होता है. हालांकि, कुछ लोग अपने शरीर को लेकर काफी कॉन्शियस रहते हैं. मोटापे के डर से वे कुछ ऐसी आदतें अपना लेते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती हैं. इसे हम ईटिंग डिसऑर्डर (Eating Disorders) कहते हैं.  

आमतौर पर दो ईटिंग डिसआर्डर होते हैं, जैसे एनोरेक्सिया नर्वोसा (Anorexia Nervosa) और बुलीमिया नर्वोसा (Bulimia Nervosa). अब वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च की है जिससे यह पता लगाने में मदद मिल सकती है कि साइकेडेलिक्स (psychedelic) का उपयोग मनुष्यों में एनोरेक्सिया के इलाज के लिए कैसे किया जा सकता है. 

दरअसल, साइकेडेलिक्स, जिसमें साइलोसाइबिन होता है 'मैजिक मशरूम' से बनने वाला साइकोएक्टिव कंपाउंड है. रिसर्च में सामने आया है कि ईटिंग डिसऑर्डर एनोरेक्सिया नर्वोसा के इलाज में मदद करता है. 

क्या है एनोरेक्सिया?

आपको बताते चलें कि एनोरेक्सिया नर्वोसा एक मेंटल हेल्थ डिसऑर्डर है. वजन बढ़ने के डर से लोग अपने भोजन की मात्रा को कम कर देते हैं, इसे ही एनोरेक्सिया नर्वोसा कहते हैं. अब रिसर्च में सामने आया है कि psilocybin लोगों के विचारों और व्यवहार के  इस पैटर्न को तोड़ने में मदद कर सकता है. हालांकि, रिसर्च में ये भी सामने आया है कि सभी लोगों में साइलोसाइबिन ट्रीटमेंट से सुधार नहीं हुआ है. 

कैसे की गई रिसर्च?

ड्रग के ट्रायल में जिन लोगों को शामिल किया गया था उन्हें नहीं बताया गया था कि उन्हें डोज दी जा रही है या फिर प्लेसीबो डोज. इसमें ये जांचा गया कि डोज ने उन लोगों पर असर किया है या नहीं। मोनाश यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता एनोरेक्सिया नर्वोसा पर अभी भी रिसर्च कर रहे हैं. शोधकर्ताओं के मुताबिक, साइकेडेलिक्स को मेंटल हेल्थ ट्रीटमेंट के रूप में उपयोग करने से पहले मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन सिग्नलिंग दोनों में साइलोसाइबिन-इंडियुस्ड चेंज को बेहतर ढंग से समझने की जरूरत है.