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अगर एक बार भी नहीं हुए हैं COVID-19 से संक्रमित, तो यह हो सकती है वजह, इस स्टडी में हुआ खुलासा

गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं की एक टीम ने एक खास स्टडी की है, जिसमें उन्होंने Covid-19 के लिए प्राकृतिक प्रतिरोध विकसित करने में इम्युनिटी के महत्व को समझने की कोशिश की. उन्होंने छह महीने के लिए 156 प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रैक किया और फिर अपनी रिपोर्ट पब्लिश की.

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हाइलाइट्स
  • यूरोपियन जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुई स्टडी

  • क्या कोरोना से सुरक्षा में कारगर है IgA एंटीबॉडी

क्या आप आज तक कभी भी कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुए हैं? दुनिया भर में, पिछले दो वर्षों में इस बीमारी ने कम से कम छह मिलियन लोगों की जान ले ली है. लेकिन फिर भी, अपने आस-पास, हम कई ऐसे लोगों से मिलते हैं जो कभी संक्रमित नहीं हुए हैं. उनमें कभी भी COVID-19 के लक्षण नहीं मिले है.

जब लोगों को कोविड -19 के गंभीर संक्रमण से बचाने के लिए वैक्सीन तक नहीं बनी थी, तब भी बहुत से लोग कोरोना से संक्रमित नहीं हुए थे. आज भी, वैक्सीन कोरोनावायरस से पूर्ण सुरक्षा की गारंटी नहीं देती हैं. तो फिर ऐसा कैसे हो सकता है कि किसी व्यक्ति को एक बार भी कोरोना के लक्षण न आए हों.  

इस सवाल को जबाव शायद फरवरी 2022 में यूरोपियन जर्नल ऑफ इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित एक स्वीडिश स्टडी में मिल सकता है. 

क्या थी स्टडी:

गोथेनबर्ग के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कोविड-19 के लिए प्राकृतिक प्रतिरोध विकसित करने में इम्युनिटी की भूमिका को समझने की कोशिश की. उन्होंने छह महीने के लिए छह फैसिलिटीज़ से 156 प्राथमिक स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रैक किया. 

और जिन लोगों को COVID-19 संक्रमण नहीं हुई, उन लोगों के रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट (श्वसन पथ) में उन्होंने IgA (इम्युनोग्लोबुलिन ए) की पहचान की. तो क्या इसका मतलब यह हो सकता है कि इन लोगों की इम्युनिटी में एंटीडोट है. 

क्या कोरोना से सुरक्षा में कारगर है IgA एंटीबॉडी:

इस अध्ययन से पता चला है कि जिन लोगों में IgA एंटीबॉडी थे, उन्हें कभी भी COVID-19 नहीं हुआ. वहीं दूसरे समूह के प्रतिभागियों में आईजीजी एंटीबॉडी के साथ-साथ टी-सेल भी थे लेकिन उन्हें बीमारी हो गई. और जिन प्रतिभागियों का RTPCR कभी पॉजीटिव नहीं आया या कभी बीमार नहीं हुए, उन सभी में IgA एंटीबॉडी थे. 

इसके आलावा, संक्रमण से सुरक्षित रखने वाले अन्य लक्षण थे- महिला होना और श्वसन संबंधी एलर्जी होना. यह स्टडी वैक्सीन से पहले की है. इस में पाया गया कि कुछ व्यक्तियों में IgA एंटीबॉडी होते हैं जो मानव शरीर के लिए सुरक्षा गार्ड की तरह कार्य करते हैं. आईजीजी बल्डस्ट्रीम में पाया जाता है. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि क्या आईजीए सुरक्षात्मक है.  

लेकिन कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि हो सकता है कि लोगों की नाक में हल्का संक्रमण हो और शरीर ने आईजीए एंटीबॉडी बनाए. क्योंकि जरूरी नहीं कि अगर किसी का कोरोना टेस्ट पॉजीटिव नहीं आया तो उन्हें कभी कोविड हुआ न हो.