माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है. कई लोगों में यह दर्द सिर के एक तरफ ही महसूस होता है, जिसमें सिर की दूसरी ओर झनझनाहट वाला तेज दर्द महसूस होता है. यह कुछ घंटों के लिए भी हो सकता है या कई दिन के तक भी ये आपको परेशान कर सकता है. एक ग्लोबल रिपोर्ट के मुताबिक, 213 मिलियन से अधिक भारतीय माइग्रेन से पीड़ित हैं.
महिलाओं में है ज्यादा आम
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, यह महिलाओं में ज्यादा आम है. आमतौर पर लगभग 2 में से एक में ये हार्मोनल प्रभावों के कारण होता है. माइग्रेन सामान्य सिर दर्द से काफी अलग होता है. इसमे जो दर्द होता है वो काफी तेज होता है, और कभी-कभी बर्दाश्त से बाहर हो जाता है.
न्यूरोलॉजिस्ट आपके माइग्रेन को रोकने या कम करने के लिए बेहतर तरीके से आपका उपचार कर सकते हैं. माइग्रेन अक्सर हार्मोन में उतार-चढ़ाव, शराब पीने, कैफीन ज्यादा लेने, तनाव और अच्छे से नींद न लेने का कारण हो सकता है. बता दें, माइग्रेन क्रॉनिक (Chronic) या एपिसोडिक (episodic) हो सकते है.
माइग्रेन आपको ऐसे प्रभावित कर सकता है
1.माइग्रेन से पीड़ित लोग अक्सर अपना काम अच्छे से करने में असमर्थ होते हैं. माइग्रेन होने से कई बार आपकी आय में भी कमी हो सकती है, क्योंकि माइग्रेन से पीड़ित लोगों को तेज सिर दर्द की वजह से बार-बार काम छोड़ना पड़ सकता है.
2. माइग्रेन से एक आंख में थोड़े समय के लिए अंधापन भी हो सकता है. इस माइग्रेन को ओकुलर माइग्रेन भी कहा जाता है जो कि आंख में खून के बहाव रुक जाने से होता है.
3. माइग्रेन दिल के दौरे और हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकता है. यह खून के कम बहाव से हो सकता है.
4. माइग्रेन से अकसर लोग चिंता और तनाव में रहते हैं. मरीजों को इस बात की चिंता होती है कि अगला माइग्रेन अटैक कब आएगा, वह इसी को सोचकर निराश रह सकता है. जिससे उसके जीवन पर प्रभाव पड़ सकता है.
क्या है माइग्रेन होने की वजह?
माइग्रेन होने के कुछ यह कारण हो सकते है.
1. शराब
2. अत्याधिक शोर
3. शारीरिक और मानसिक तनाव
4. कम नींद
5. उपवास
6. एलर्जी
7. गर्भनिरोधक गोलियां
8. मेंस्ट्रुअल साइकिल में उतार चढ़ाव
9. थकावट
10. नर्वेस कम्युनिकेशन खराब होना
क्या माइग्रेन का इलाज हो सकता है ?
बता दें, माइग्रेन का कोई ठोस इलाज नहीं है. लेकिन हां इसके लक्षणों का इलाज कर हम इसे काबू में रख सकते हैं और जो चीजे माइग्रेन को ट्रीगर करती है उस काम या चीज़ों को करने से दूर रह सकते है. डॉक्टर से सही सलाह और अक्सर उनके सम्पर्क मे रहने से आपको मदद मिले सकती है. कम से कम 7 घंटे नींद लें. रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पी लें. योग करे. नियमित रूप से व्यायाम करें.
ये भी पढ़ें