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रेड लाइट में रहने से बढ़ती है आंखों की रोशनी, सिर्फ कुछ मिनट रहने से होता है ज्यादा फायदा

वैज्ञानिकों का कहना है कि निष्कर्षों से डीप रेड लाइट के जो फायदे दिखाई देते हैं, उनसे आंखों के इलाज के लिए बड़ी सफलता मिल सकती है. साथ ही इससे आंखों के सस्ते घरेलू उपचार खोजे जा सकते हैं.

बढ़ सकती है आंखों की रोशनी बढ़ सकती है आंखों की रोशनी
हाइलाइट्स
  • डीप रेड लाइट के आंखों के लिए हैं कई फायदे.

  • माइटोकॉन्ड्रिया के प्रदर्शन में होता है सुधार.

UCL के रिसर्चस ने हाल ही में की गयी एक स्टडी में पाया है कि हफ्ते में एक बार रेड लाइट के संपर्क में आने से आई साइट में सुधार हो सकता है. अध्ययन के मुताबिक सुबह के समय सिर्फ तीन मिनट डार्क रेड लाइट के संपर्क में आने से आंखों की रोशनी में सुधार हो सकता है.  

जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित ये अध्ययन टीम के पिछले काम पर आधारित है. जिसमें मानव रेटिना में ऊर्जा-उत्पादक माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं को हर दिन तीन मिनट लॉन्गवेव डीप रेड लाइट के संपर्क में रखा गया है, जिसकी मदद से आंखों की घटती रोशनी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. इस लेटेस्ट स्टडी के जरिए वैज्ञानिक यह साबित करना चाहते थे कि उनके पिछले अध्ययनों की तुलना में बहुत कम एनर्जी लेवल का उपयोग करते हुए, तीन मिनट के एक्सपोजर का आई साइट पर क्या असर  होगा. इसके अलावा टीम ने सुबह के एक्सपोजर की तुलना दोपहर के एक्सपोजर से की. 

डीप रेड लाइट के कई फायदे

वैज्ञानिकों का कहना है कि निष्कर्षों से डीप रेड लाइट के जो फायदे दिखाई देते हैं, उनसे आंखों के इलाज के लिए बड़ी सफलता मिल सकती है. साथ ही इससे आंखों के सस्ते घरेलू उपचार खोजे जा सकते हैं. स्टडी के लीड लेखक, प्रोफेसर ग्लेन जेफ़री (यूसीएल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी) ने कहा, "हमने देखा कि सुबह में लॉन्ग वेव डीप रेड लाइट से एक्सपोजर घटती आई साइट में काफी सुधार कर सकता है. ये दुनियाभर में एक प्रमुख स्वास्थ्य मुद्दा है, जो लाखों लोगों को प्रभावित करता है. 

लगभग 40 साल की उम्र के बाद मनुष्यों की आंख के रेटिना में कोशिकाओं की उम्र भी घटनी शुरू हो जाती है.  इस उम्र बढ़ने की गति खासतौर से तब शुरू होती है, जब माइटोकॉन्ड्रिया में गिरावट शुरू होती है. माइटोकॉन्ड्रियल घनत्व रेटिना के फोटोरिसेप्टर कोशिकाओं में सबसे बड़ा होता है. नतीजतन, रेटिना अन्य अंगों की तुलना में तेजी से बूढ़ा हो जाता है. मनुष्यों में गहरे लाल प्रकाश के प्रभावों का अध्ययन करने में, शोधकर्ताओं ने चूहों, भौंरों और फलों की मक्खियों पर अपने पिछले निष्कर्षों पर ध्यान दिया.  जहां सभी में  रेटिना के फोटोरिसेप्टर के काम में काफी सुधार पाया गया, जब उनकी आंखें 670 नैनोमीटर (लॉन्ग वेव लेंथ ) डीप रेड लाइट के संपर्क में थीं. 

माइटोकॉन्ड्रिया के प्रदर्शन में सुधार

प्रोफेसर जेफरी ने कहा, "माइटोकॉन्ड्रिया में उनके प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली लॉन्ग वेव लेंथ के लिए खास संवेदनशीलता है.  650 से 900 नैनोमीटर तक फैली लॉन्ग वेव लेंथ माइटोकॉन्ड्रिया के प्रदर्शन में सुधार करती है." इस अध्ययन ने कोन पर ध्यान केंद्रित किया और प्रोटॉन ऐक्सिस और ट्राइटन ऐक्सिस के साथ कलर कंट्रास्ट की सेंसिटिविटी देखी. स्टडी में शामिल सभी प्रतिभागियों की उम्र 34 से 70 के बीच थी और उन्हें कोई नेत्र रोग नहीं था. परीक्षण से पहले नेत्र स्वास्थ्य के बारे में उन्होंने एक प्रश्नावली पूरी की. इसका मूल्यांकन 'क्रोमा टेस्ट' का उपयोग करके किया गया था. एक LED डिवाइस का इस्तेमाल कर सभी 20 प्रतिभागियों (13 महिलाएं और 7 पुरुष) को सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच 670nm डीप रेड लाइट में  तीन मिनट के लिए रखा गया था. उनके रंग दृष्टि का परीक्षण तीन घंटे बाद फिर से किया गया और 10 प्रतिभागियों का भी एक सप्ताह के बाद जोखिम परीक्षण किया गया. 

रंग दृष्टि में औसतन 17 प्रतिशत सुधार हुआ, कुछ पुराने प्रतिभागियों में 20 प्रतिशत सुधार हुआ. पहले परीक्षण के कुछ महीने बाद 20 प्रतिभागियों में से छह (तीन महिला, तीन पुरुष) का दोपहर 12 बजे से 1 बजे के बीच दोबारा परीक्षण किया गया तो इसमें कोई सुधार नहीं दिखा. प्रोफेसर जेफरी ने कहा, "हफ्ते में एक बार साधारण LED डिवाइस का इस्तेमाल ऊर्जा प्रणाली को रिचार्ज करता है और सुबह का एक्सपोजर घटती आई साइट में सुधार पाने के लिए फायदेमंद है.

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