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2050 तक मायोपिया से पीड़ित हो सकते हैं 50 फीसदी बच्चे, जानें लक्षण, कारण और इलाज

Myopia: मायोपिया सिर्फ धुंधली नजर तक सीमित नहीं है. अगर इसे सही समय पर कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह समस्या आंखों की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते मायोपिया का इलाज किया जाए.

Myopia Myopia
हाइलाइट्स
  • बच्चों में बढ़ रहे मायोपिया के मामले

  • 2050 तक मायोपिया से पीड़ित हो सकते हैं 50 फीसदी बच्चे

बच्चों में मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष एक बड़ी चिंता का विषय है. इसे शॉर्टसाइटेडनेस भी कहा जाता है. हाल ही में किए गए एक सर्वे के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 35% बच्चे मायोपिया से पीड़ित हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि 2050 तक यह आंकड़ा बढ़कर 40 फीसदी तक पहुंच जाएगा, यानी 740 मिलियन से अधिक बच्चे मायोपिया की चपेट में आ सकते हैं.  

मायोपिया सिर्फ धुंधली नजर तक सीमित नहीं है. अगर इसे सही समय पर कंट्रोल नहीं किया गया, तो यह समस्या आंखों की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते मायोपिया का इलाज किया जाए.

मायोपिया क्या है?
मायोपिया एक तरह की आंखों की समस्या है, जिसमें आंखों का फोकस बिगड़ जाता है. सामान्य रूप से, जब रोशनी आंख में प्रवेश करती है तो रेटिना पर केंद्रित होती है, जिससे साफ तस्वीर बनती है. लेकिन मायोपिया में आंख का आकार लंबा हो जाता है या कॉर्निया की वक्रता (curvature) ज्यादा हो जाती है, जिससे रोशनी रेटिना के सामने Centred होती है और दूर की चीजें धुंधली दिखती हैं.

उदाहरण के तौर पर, मायोपिया से पीड़ित व्यक्ति हाईवे पर लगे साइनबोर्ड्स या स्टोर के नाम को तब तक नहीं पढ़ सकता, जब तक वह बहुत उसके पास न पहुंच जाए. 

बच्चों में क्यों बढ़ रहा है मायोपिया?  
हाल ही में सर्वे के अनुसार पिछले 30 सालों में मायोपिया के बढ़ते मामलों पर नजर डाली गई. इसमें 50 देशों के 5 से 19 साल की उम्र के 5.4 मिलियन लोगों के आंकड़े शामिल किए गए. जिसमें हर तीसरा बच्चा मायोपिया से जूझ रहा है और भविष्य में यह समस्या और बढ़ सकती है. खासकर छोटे बच्चों में मायोपिया तेजी से बढ़ रहा है. अनुमान है कि 2050 तक 13 से 19 साल के 50% से अधिक बच्चे इस समस्या से पीड़ित होंगे. 

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मायोपिया के कारण
जेनेटिक्स: अगर माता-पिता में से किसी को मायोपिया है, तो बच्चे में इसके होने की संभावना ज्यादा होती है. 
 
स्क्रीन टाइम ज्यादा: मोबाइल, लैपटॉप और टीवी पर ज्यादा समय बिताने से आंखों पर दबाव पड़ता है.  

आर्टिफिशियल लाइट्स: आजकल बच्चों से लेकर बूढ़े तक, सभी आर्टिफिशियल लाइट्स के संपर्क में ज्यादा रहते हैं, इससे मायोपिया का खतरा बढ़ता है क्योंकि ये रोशनी आंखों के लिए ठीक नहीं होती है.

मायोपिया कितने तरह का होता है

1. साधारण मायोपिया (Simple Myopia)  
यह सबसे सामान्य प्रकार है, जिसे चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के जरिए आसानी से ठीक किया जा सकता है.

2. पैथोलॉजिक मायोपिया (Pathologic Myopia)  
इसे डीजेनेरेटिव मायोपिया भी कहा जाता है. यह ज्यादा गंभीर कंडीशन है और इसमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. 

मायोपिया के लक्षण
मायोपिया होने पर व्यक्ति को आमतौर पर ये समस्याएं होती हैं.  
- दूर की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं 
- नजदीक की चीजें साफ दिखाई देती हैं  
- सिर दर्द  
- आंखों में खिंचाव या थकान महसूस होती है  
- बार-बार आंखें मिचकाना 

मायोपिका के रिस्क क्या हैं

रेटिना का अपनी जगह से हट जाना 
आंख की ऑप्टिक नर्व को नुकसान  
रेटिना का पतला और कमजोर हो जाना  
आंखों में मोतियाबिंद का खतरा  

मायोपिया का उपचार
मायोपिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे कई तरीकों से कंट्रोल किया जा सकता है:  

1. चश्मा: सबसे आम और आसान चश्मे का उपयोग बच्चों और वयस्कों (adults ) दोनों के लिए उपयुक्त है.  

2. कॉन्टैक्ट लेंस:  जो लोग चश्मा पसंद नहीं करते, उनके लिए यह एक अच्छा विकल्प है.  

3. ऑर्थो-के (Ortho-K):  रात में पहने जाने वाले विशेष लेंस, जो कॉर्निया को ठीक करने में मदद करते हैं. 

4. एट्रोपिन आई ड्रॉप्स: बच्चों में मायोपिया को धीमा करने के लिए यह असरदार उपाय है.  

5. आई एक्सरसाइज: रोशनी सुधारने के लिए आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने वाले एक्सरसाइज.

मायोपिया से बचाव 
बच्चों को डिजिटल डिवाइस पर ज्यादा समय न बिताने दें.
बच्चों को रोजाना 1-2 घंटे बाहर खेलने भेजें.  
गाजर, पालक, और खट्टे फलों जैसे पोषक तत्वों से भरपूर भोजन करें.  
लंबे समय तक पढ़ाई या स्क्रीन पर काम करते समय हर 20 मिनट पर ब्रेक लें.  
बच्चों और बड़ों दोनों नियमित रूप से अपनी आंखों की जांच कराएं.

यह स्टोरी निहारिका सिंह ने लिखी है. निहारिका GNTTV में बतौर इंटर्न काम कर रही हैं.