ओमिक्रॉन की वजह से अगर तीसरी लहर की आहट है तो वही नए वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा कवच मजबूत करने की भी तैयारी है. 10 जनवरी से फ्रंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ बुजुर्गों को प्रिकॉशन या बूस्टर डोज दी जानी है. अच्छी खबर ये है कि बूस्टर डोज के लिए देश को जल्दी ही एक और विकल्प मिल सकता है. क्योंकि ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की एक्सपर्ट समिति ने भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल को मंजूरी दे दी है. यानी अब भारत बायोटेक अपनी नेजल वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल करेगा. साथ ही नेजल वैक्सीन के बूस्टर डोज का भी परीक्षण होगा. इसके नतीजे आने के बाद वैक्सीन को मंजूरी मिल सकती है.
तीसरी डोज़ का असर होगा ज्यादा
देश में तीसरी डोज के लिए कौन सी वैक्सीन दी जाएगी, इस पर अभी सरकार ने फैसला नहीं किया है. अभी तक 90 फीसदी लोगों को कोविशील्ड और 10 फीसदी को कोवैक्सीन लगी है. मंथन इस पर किया जा रहा है कि प्रिकॉशनरी या तीसरी डोज के तौर पर पहले ली हुई वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाए या वैक्सीन बदल दी जाए. एक दलील ये है कि अगर तीसरी डोज वैक्सीन बदल कर दी जाती है तो उसका असर ज्यादा होता है.
नेजल वैक्सीन हो सकती है अच्छा विकल्प
इस हिसाब से भारत बायोटेक की नई वैक्सीन अगर मिल जाती है तो बड़ी तादाद में लोगों को जल्दी बूस्टर डोज देना आसान होगा. भारत बायोटेक का दावा है कि दो डोज लगवा चुके लोगों के लिए बूस्टर डोज के तौर पर उसकी नेजल वैक्सीन अच्छा विकल्प साबित हो सकती है. कंपनी इसके लिए पांच हजार लोगों पर क्लीनिकल ट्रायल करना चाहती है. संकेत है कि नेजल बूस्टर डोज को क्लीनिकल ट्रायल के बाद मार्च तक इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है. खास बात ये है कि नैजल वैक्सीन नाक के जरिये शरीर में पहुंचाया जाएगा
यानी इसके लिए इंजेक्शन नहीं लगाया जाएगा.
हाल ही में सीरम इंस्टीट्यूट की कोवोवैक्स और बायोलॉजिकल ई की कोर्बेवैक्स को भी मंजूरी दी गई है. उम्मीद है कि भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन के साथ बूस्टर डोज की मुहिम मजबूती से आगे बढ़ेगी.
देश में कोरोना 6 गुना ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा है. महाराष्ट्र, बंगाल, दिल्ली समेत 7 राज्यों में स्थिति खतरनाक है. 29 दिसंबर तक देश में रोज़ाना 9 हज़ार मामले आ रहे थे जो अब बढ़ कर 58 हज़ार हो गए हैं. हालांकि, अच्छी खबर ये है कि ज्यादातर मरीज़ घर पर ही ठीक हो रहे हैं और अस्पताल जाने की नौबत कम ही आई है.