कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए सरकार अलर्ट हो गई है. गुरुवार को इसे लेकर बैठक भी की गई. ऐसे में एकबार फिर से वैक्सीन और कोरोना प्रोटोकॉल पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में दुनिया में बढ़तें कोरोनो केस के बीच, नाक से दिए जाने वाले टीके को हरी झंडी मिल गई है. वैक्सीन को मंजूरी देने वाली विशेषज्ञ समिति ने गुरुवार को नेजल वैक्सीन को हरी झंडी दे दी है. बताते चलें कि ये फैसला तब आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोविड-19 से जुड़ी तैयारियों का आकलन करने के लिए एक कोविड समीक्षा बैठक की.
इंजेक्शन से दूर भागने वालों के लिए खुशखबरी
दरअसल, इंजेक्शन से दूर भागने वाले लोगों के लिए नेजल वैक्सीन एक बड़ी राहत है. नाक के टीकों को इंजेक्शन वाले टीकों की तुलना में बेहतर माना जाता है. इस फैसले को सुनाते हुए वीडियो कॉल के माध्यम से हुई बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, नीति आयोग के डॉ. वीके पॉल मौजूद थे.
क्या नेजल वैक्सीन होती है दूसरों से बेहतर?
बताते चलें, नेजल वैक्सीन दूसरे टीकों की तुलना में ज्यादा प्रभावी और आसान मानी जाती है. इसका स्टोरेज, वैक्सीन लगाना,वितरण आसान होता है. ये दूसरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है. गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया लोगों को टीकाकरण को लेकर जागरूक कर रहे हैं. साथ ही सभी से अपील की जा रही है कि भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क पहने साथ ही कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करें.
1 दिसंबर को मिली थी मंजूरी
बता दें, 1 दिसंबर को, भारत के केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने 18 साल और उससे अधिक आयु वालों के लिए आपातकालीन स्थितियों में दुनिया की पहली इंट्रा-नेजल वैक्सीन को मंजूरी दी थी. चीन ने भी इनहेलेबल वैक्सीन के साथ-साथ नेजल-स्प्रे वैक्सीन को भी मंज़ूरी दे दी है. रूस और ईरान ने भी अपने म्यूकोसल टीके विकसित किए हैं.
इस बीच, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के गुरुवार को अपडेट किए गए आंकड़ों के अनुसार, भारत में 185 नए कोरोनो वायरस के मामले दर्ज किए गए हैं. जबकि सक्रिय मामले घटकर 3,402 रह गए हैं.