1 जुलाई यानी आज के दिन को नेशनल डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को डॉक्टर्स के काम के लिए उन्हें सम्मान दिया जाता है. शारीरिक रूप से स्वस्थ्य न होने पर हम जैसे डॉक्टर को याद करते हैं वैसे ही मानसिक सेहत न सही होने पर हम किसी थेरेपिस्ट की मदद लेते हैं. उनसे बात करने पर हमारा मन हल्का होता है. एक थेरेपिस्ट हजार लोगों की जिंदगी के दुखों से वाकिफ होता है, ऐसे में ये सोचना जरूरी है कि आखिर उनकी मेंटल हेल्थ का ध्यान कौन रखता होगा. कैसे वह अपनी जिंदगी में तनाव से दूर रहते होंगे.
आज नेशनल डॉक्टर्स डे पर हमें इनकी अहमियत समझना जरूरी है. कोरोना महामारी के दौरान जब सब घरों में बंद थे, तब डॉक्टर्स ही थे जो सबसे आगे खड़े होकर 24 घंटे काम कर रहे थे. कोरोना ने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव डाला, जिससे निकलने के लिए थेरेपिस्ट ने ही लोगों की मदद की. अगर हम डॉक्टर्स के बारे में बात करें तो वह भी आम लोगों की तरह इन सब चीजों से गुजर सकते हैं लेकिन, सवाल यह उठता है कि जो इंसान दूसरों की मेंटल हेल्थ का ध्यान रखते हैं उनकी मेंटल हेल्थ का ध्यान कौन रखेगा?
सेल्फ रिलैक्सेशन टेक्निक को अपनाते हैं
हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए मनोवैज्ञानिक शाजीन हाफिज ने बताया कि सभी थेरेपिस्ट के लिए सेल्फ रिलैक्सेशन टेक्निक का इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है. इससे डॉक्टर्स को मानसिक रूप से आराम मिलता है.
परिवार उनके लिए डॉक्टर की तरह है
परामर्श मनोवैज्ञानिक इशिका चौधरी बताती हैं कि उनका परिवार उनके लिए एक डॉक्टर की तरह काम करता है, जिसके साथ वह अपने सभी विचारों और भावनाओं को खुलकर बता सकती हैं. घर पर खाली समय में आपको अच्छी-अच्छी किताबें पढ़नी चाहिए और अपना दिमाग पॉजिटिव रखना चाहिए.
नए-नए लोगों से मिलना जरूरी है
आपको नए-नए लोगों से मिलना चाहिए, जिससे आप कुछ नया जाने और सीखे. ऐसे में आपका दिमाग व्यस्त रहता है और आप मानसिक तौर पर मजबूत बनते हैं.
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